Reliance BP partnership: दुनिया की प्रमुख ऊर्जा कंपनी बीपी (BP Plc) भारत में गैस उत्पादन को लेकर बड़ा कदम उठाने जा रही है. बीपी के सीईओ मरे ऑचिनक्लॉस ने हाल ही में कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में हुए तेल और गैस क्षेत्र के नीतिगत सुधारों ने भारत को विदेशी निवेश के लिए बेहद आकर्षक बना दिया है. उन्होंने बताया कि सरकार द्वारा पुराने कानूनों में किए गए बदलावों से परिचालन स्पष्टता बढ़ी है और जोखिम कम हुए हैं.
बीपी और रिलायंस इंडस्ट्रीज लिमिटेड (RIL) अब ओडिशा तट के पास स्थित ब्लॉक NEC-OSN-97/2 (NEC-25) से गैस उत्पादन शुरू करने की तैयारी में हैं. मरे ऑचिनक्लॉस के मुताबिक, यह ब्लॉक भारत के पूर्वी तट पर एक नया गैस हब बनने की क्षमता रखता है, जिसकी उत्पादन क्षमता लगभग 9.9 मिलियन स्टैंडर्ड क्यूबिक मीटर प्रतिदिन (mmscmd) हो सकती है.
गौरतलब है कि 2012-13 में बीपी और रिलायंस ने NEC-25 ब्लॉक में 3.5 बिलियन डॉलर की लागत से गैस उत्पादन की योजना बनाई थी. लेकिन तकनीकी मुद्दों को लेकर DGH (डायरेक्टोरेट जनरल ऑफ हाइड्रोकार्बन) के साथ विवाद होने के कारण यह योजना लटक गई थी. अब सरकार के नीतिगत सुधारों के चलते यह प्रोजेक्ट दोबारा सक्रिय किया गया है.
बीपी और रिलायंस पहले से ही कृष्णा गोदावरी बेसिन के KG-D6 ब्लॉक से 28 mmscmd गैस का उत्पादन कर रहे हैं, जो देश के कुल प्राकृतिक गैस उत्पादन का लगभग एक-तिहाई है. इसके अतिरिक्त, दोनों कंपनियां इस ब्लॉक में और उत्पादन बढ़ाने के लिए R-Cluster और सैटेलाइट क्लस्टर में इनफिल ड्रिलिंग और MJ फील्ड में वर्कओवर जैसी तकनीकों पर काम कर रही हैं.
बीपी और रिलायंस के पास दो अन्य एक्सप्लोरेशन ब्लॉक भी हैं—KG-UDWHP-2018/1 और KG-UDWHP-2022/1—जिन्हें उन्होंने OALP (ओपन एकरेज लाइसेंसिंग पॉलिसी) के अंतर्गत हासिल किया है. यदि इन क्षेत्रों में खोज सफल रही, तो मौजूदा इंफ्रास्ट्रक्चर का उपयोग करके उत्पादन शुरू किया जा सकता है.
बीपी कंपनी भारत में सौ साल से अधिक समय से सक्रिय है. कास्टरॉल ब्रांड के जरिए उसने अपने लुब्रिकेंट व्यवसाय की शुरुआत की थी. आज, वह भारत के ऊर्जा क्षेत्र में एक प्रमुख भागीदार बन चुकी है. बीपी के सीईओ ने कहा, “भारत की मजबूत नीति, युवा जनसंख्या, औद्योगिक विकास और शहरीकरण से ऊर्जा की मांग बढ़ रही है, और इसी कारण भारत निवेश के लिए बेहद आकर्षक गंतव्य बन गया है.”
सरकार ने हाल ही में 1948 के ऑयल फील्ड एक्ट में अहम बदलाव करते हुए इसकी परिभाषा में शेल ऑयल, शेल गैस और कोल बेड मीथेन को भी शामिल किया है. इस कानून में अंतरराष्ट्रीय मध्यस्थता की अनुमति, लंबी लीज अवधि और पारदर्शी नियमों जैसी सुविधाएं दी गई हैं, जिससे विदेशी कंपनियों के लिए कारोबार करना आसान हुआ है.
बीपी-रिलायंस ने पहली बार OALP-IX बिड राउंड में भारत की सरकारी कंपनी ONGC के साथ मिलकर गुजरात-सौराष्ट्र बेसिन में एक्सप्लोरेशन ब्लॉक के लिए बोली लगाई थी. बीपी प्रमुख ने कहा कि इस तरह की साझेदारियां घरेलू उत्पादन को बढ़ावा देने और आयात पर निर्भरता घटाने में मददगार साबित होंगी.
ऊर्जा के अपस्ट्रीम सेक्टर के साथ-साथ बीपी का डाउनस्ट्रीम सेक्टर में भी बड़ा दखल है. रिलायंस के साथ मिलकर बीपी की जियो-बीपी (Jio-bp) ब्रांड के तहत देशभर में करीब 2000 पेट्रोल पंप हैं. इसके अलावा, यह इलेक्ट्रिक व्हीकल चार्जिंग स्टेशनों की एक श्रृंखला भी स्थापित कर रही है.
बीपी प्रमुख ने कहा, “हम आने वाले समय में बायो-सीएनजी, ईवी चार्जिंग और एलएनजी जैसे क्षेत्रों में भी सेवाएं बढ़ाने की योजना पर काम कर रहे हैं. हमारा लक्ष्य ग्राहकों की जरूरतों को बेहतर तरीके से पूरा करना है, चाहे वे किसी भी प्रकार का वाहन चला रहे हों.”
बीपी देश में घरेलू गैस और आयातित एलएनजी की मार्केटिंग को भी बढ़ाना चाहता है. कंपनी का लक्ष्य है कि वह एलएनजी की मांग को एकत्रित करके उसे अपने वैश्विक व्यापार नेटवर्क के जरिए आपूर्ति करे, जिससे व्यावसायिक और औद्योगिक ग्राहकों तक बेहतर सेवाएं पहुंचाई जा सकें.
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-भारत एक्सप्रेस
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