चुनाव

भाजपा सांसद के खिलाफ पत्नी ने ही खोला मोर्चा, गुपचुप तरीके से कराया नामांकन; यूपी की इस लोकसभा सीट पर बढ़ी रार

Lok Sabha Election 2024: उत्तर प्रदेश में लोकसभा चुनाव-2024 को लेकर अब कुनबे में ही रार छिड़ गई है. ताजा मामला अकबरपुर लोकसभा सीट से सामने आया है. यहां पर पर भाजपा के लोकसभा प्रत्याशी व वर्तमान सांसद देवेंद्र सिंह भोले की पत्नी ने ही उनके खिलाफ मोर्चा खोल दिया है और अपने पति के खिलाफ गुपचुप तरीके से नामांकन पत्र दाखिल कर दिया है.

बता दें कि देवेंद्र सिंह भोले ने भाजपा के टिकट पर अपना चुनाव नामांकन पहले ही करा चुके हैं. तो वहीं उनकी पत्नी ने आज निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में अपना नामांकन कानपुर में करा लिया है. इस खबर के सामने आने के बाद से ही यूपी की सियासत का पारा हाई हो गया है. हर जगह इस इसकी चर्चा हो रही है.

पत्नी ने निर्दलीय उम्मीदवार के तौर पर भरा पर्चा

यूपी की सियासत में बस एक ही सवाल लोग उठा रहे हैं कि आखिर ऐसी क्या बात हो गई कि पति के खिलाफ पत्नी ने निर्दलीय पर्चा भर दिया जबकि पति की सबसे बड़ी राजनीतिक पार्टी का हिस्सा हैं. बता दें कि हाल ही में देवेंद्र सिंह भोले ने गाजे-बाजे के साथ अपना नामांकन पत्र दाखिल किया था तो वहीं आज उनकी पत्नी प्रेम शीला ने लोकसभा चुनाव के लिए अपना खुद का निर्दलीय उम्मीदवार के तौर पर नामांकन पर्चा दाखिल कर दिया है.

सवाल यही है कि आखिर पत्नी ने अपने प्रत्याशी पति की सीट पर ही निर्दलीय नामांकन क्यों करा लिया? फिलहाल ये राजनीति की गणित है, कभी समझ में आती है और कभी नहीं.

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पत्नी ने दिखाया अपना नामांकन पर्चा

मीडिया सूत्रों के मुताबिक एक तस्वीर सोशल मीडिया पर वायरल हो रही है जिसमें बीजेपी प्रत्याशी देवेंद्र सिंह भोले की पत्नी प्रेमशीला अधिकारियों को अपना नामांकन पर्चा देती हुई दिखाई दे रही है. फिलहाल इस पूरे मामले में देवेंद्र सिंह भोले का अभी तक कोई बयान सामने नहीं आया है.

हालांकि मीडिया ने उनसे काफी सम्पर्क करने की कोशिश की. इस पर देवेंद्र सिंह भोले के प्रतिनिधि ने जानकारी दी कि देवेंद्र सिंह भोले की पत्नी प्रेमशीला ने भी निर्दलीय नामांकन कराया है. हालांकि इस पूरे मामले में इसकी वजह साफ नहीं हो पाई है.

यूपी की सियासत में बस एक ही सवाल तैर रहा है कि आखिर सांसद पति के खिलाफ पत्नी ने ऐसा फैसला क्यों किया? हालांकि राजनीतिक जानकारों का कहना है कि ये काम चुनाव में लाभ लेने के लिए भी कराया जा सकता है. या फिर प्रत्याशी का किसी कारण नामांकन रद्द हो जाए और उसे समय न मिले तो वो अपने किसी निर्दलीय कैंडिडेट के नामांकन से चुनाव में अपनी भागीदारी दूसरे दृष्टि कोण से बना सकता है. हालांकि इस पूरे मामले की रणनीति कुछ भी हो लेकिन अपने पति के खिलाफ पत्नी का खड़ा होना चर्चा का विषय बन गया है.

-भारत एक्सप्रेस

Archana Sharma

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