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Dilip Kumar Death Anniversary: अंग्रेजों के खिलाफ बोलने पर जेल भेज दिए गए थे दिलीप कुमार, पांच दशक का रहा फिल्मी करियर

Dilip Kumar Death Anniversary: हिंदी सिनेमा के दिग्गज अभिनेता दिलीप कुमार का इसी साल जुलाई महीने में निधन हो गया था. वे 98 साल के थे दिलीप कुमार पिछले काफी समय से फिल्मों से दूर थे और बीमार भी थे ऐसे में सायरा ही उनका पूरा ख्याल रखती थीं. आज ही के दिन दिलीप कुमार इस दुनिया को अलविदा कह चुके थे. आपको बता दें कि दिलीप कुमार का जन्म 11 दिसंबर 1922 के दिन पाकिस्तान के पेशावर में जन्मा यह सितारा मुस्लिम धर्म से ताल्लुक रखता था, लेकिन फिल्मों में आने के बाद उन्होंने नाम बदला और शोहरत की बुलंदियों पर पहुंच गए. आपको यह जानकर हैरानी होगी कि एक जमाने में दिलीप कुमार अंग्रेजों की कैंटीन में सैंडविच बनाते देखे गए थे और एक बार जेल भी गए थे. दिलीप कुमार साहब की याद में हम आपको उस किस्से से रूबरू करवा रहें है.

कैंटीन में काम करते-करते दिलीप कुमार को जाना पड़ा था जेल

जब दिलीप कुमार उर्फ मोहम्मद यूसुफ खान ने फिल्मों में कदम रखा था उस दौरान वह एक बार अपने पिता से नाराज हो गए और अंग्रेजों की कैंटीन में काम करने लगें थे. माना जाता है कि उस कैंटीन में वह सैंडविच बनाते थे जो बेहद स्वादिष्ट होते थे. इन सैंडविच को खाने के लिए लोग दूर-दूर से कैंटीन पहुंचते थे. इसी कैंटीन में काम करते-करते दिलीप कुमार को एक बार जेल भी जाना पड़ गया था जिसका जिक्र उन्होंने अपनी किताब दिलीप कुमार-‘द सब्सटांस एंड द शैडो’ में किया था.

इस वजह से गए थे जेल

एक बार दिलीप कुमार ने अपनी कैंटीन में स्पीच दी कि आजादी के लिए भारत की लड़ाई एकदम जायज है और ब्रिटिश शासक भारतीयों के साथ गलत पेश आते हैं. ये किस्सा दिलीप कुमार की किताब ‘द सब्सटांस एंड द शैडो’ में बयां किया गया है. अपनी किताब में दिलीप कुमार लिखते है फिर क्या था ब्रिटेन विरोध भाषण के लिए मुझे येरवाड़ा जेल भेज दिया गया जहां कई सत्याग्रही बंद थे. तब सत्याग्रहियों को गांधीवाले कहा जाता था दूसरे कैदियों के समर्थन में मैं भी भूख हड़ताल पर बैठ गया. सुबह मेरे पहचान के एक मेजर आए तो मुझे जेल से रिहा किया गया मुझे भी वहां गांधीवाला बुलाया जाता था.

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पांच दशक का रहा फिल्मी करियर

सायरा बानो और दिलीप कुमार ने साल 1966 में शादी की थी. शादी के वक्त सायरा 22 साल की थीं तो वहीं दिलीप कुमार 44 साल के थे, लेकिन जब मोहब्बत सच्ची होती है तो उम्र का फासला मायने नहीं रखता. हीर-रांझा, लैला मजनू की दास्तान सुनने वालों ने सायरा और दिलीप की सच्ची मोहब्बत अपनी आंखों से देखी है. दिलीप कुमार ने देवदास, मुगल-ए-आजम जैसी फिल्मों में अपने शानदार अभिनय को पेश किया है. वह आखिरी बार 1998 में आई फिल्म ‘किला’ में नजर आए थे. ‘ट्रेजेडी किंग’ कहलाने वाले दिलीप कुमार ने अपने पांच दशक के फिल्मी करियर में एक से बढ़कर एक सुपरहिट फिल्में दीं. दिलीप कुमार को 2015 में उन्हें पद्म विभूषण से नवाजा गया था. उन्हें 1994 में दादासाहेब फाल्के अवार्ड से भी सम्मानित किया गया.

-भारत एक्सप्रेस 

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