मनोरंजन

Year Ender 2024: श्याम बेनेगल, शारदा सिन्हा, अमीन सयानी, पंकज उधास, जाकिर हुसैन… इन हस्तियों ने दुनिया को कहा अलविदा

साल 2024 को खत्म होने में बस कुछ दिन ही शेष रह गए हैं. नया साल नई ताजगी और नई शुरुआत के साथ दस्तक देने को तैयार है. हालांकि, कई गम हैं, जो कभी भर नहीं पाएंगे. इस साल मनोरंजन जगत की कई हस्तियों ने दुनिया को अलविदा कह दिया. इस सूची में जाकिर हुसैन से लेकर शारदा सिन्हा तक का नाम शामिल है, जिन्हें हमने नम आंखों से अंतिम विदाई दी.

जाकिर हुसैन

दुनिया को अलविदा कहने वाले सितारों की लिस्ट में तबला के महान कलाकार और उस्ताद जाकिर हुसैन का नाम शामिल है. फेफड़े की खतरनाक बीमारी इडियोपैथिक पल्मोनरी फाइब्रोसिस से जंग लड़ रहे उस्ताद ने 73 वर्ष की आयु में अंतिम सांस ली. उस्ताद का 15 दिसंबर को निधन हो गया था. हुसैन का सैन फ्रांसिस्को के एक अस्पताल में इलाज चल रहा था.

भारत के सबसे प्रसिद्ध संगीतकारों में से एक जाकिर हुसैन ने अपने छह दशकों के करिअर में चार ग्रैमी पुरस्कार प्राप्त किए, जिनमें से तीन इस साल की शुरुआत में 66वें ग्रैमी पुरस्कार में मिले. तबला के दिग्गज उस्ताद अल्ला रक्खा के बेटे जाकिर को 1988 में पद्मश्री, 2002 में पद्मभूषण और 2023 में पद्मविभूषण से सम्मानित किया गया था.

शारदा सिन्हा


छठ गीतों को एक नया आयाम देने वाली अभिनेत्री शारदा सिन्हा ने बीते 5 नवंबर को आखिरी सांस ली. मल्टीपल मायलोमा (एक प्रकार का ब्लड कैंसर) से जंग लड़ रहीं बिहार की स्वर कोकिला ने 72 वर्ष की आयु में दुनिया को अलविदा कह दिया था. सिन्हा का नई दिल्ली एम्स में इलाज चल रहा था.

सिन्हा अपने प्रशंसकों के बीच ‘कातिक मास इजोरिया’ और ‘कोयल बिन बिगिया ना सोभे राजा’ जैसे लोक गीतों के साथ-साथ ‘गैंग्स ऑफ वासेपुर’ के ‘तार बिजली के जैसे हमारे पिया’, मैंने प्यार किया के ‘कहे तोसे सजना’ और ‘हम आपके हैं कौन’ के गीत ‘बाबुल जो तुमने सिखाया’ के लिए जानी जाती थीं. शारदा सिन्हा को पद्म भूषण से सम्मानित किया गया था. वह भोजपुरी, मैथिली और मगही भाषाओं में गाए जाने वाले लोकगीतों का पर्याय थीं.

बिहार कोकिला के नाम से मशहूर शारदा सिन्हा का जन्म बिहार के सुपौल में हुआ था. छठ पूजा और शादियों जैसे अवसरों पर गाए जाने वाले अपने लोक गीतों के कारण अपने मूल राज्य और पूर्वी उत्तर प्रदेश के कुछ हिस्सों में वे बेहद लोक​प्रिय थीं. उनके कुछ लोकप्रिय छठ गीतों में ‘छठी मैया आई ना दुआरिया’, ‘उगह हे सूरज देव’, ‘केलवा के पात पर’, ‘पहिले पहिल छठी मईया’, ‘हो दीनानाथ’, ‘कांच ही बांस के बहंगिया’ शामिल हैं.

रोहित बल

इस साल दुनिया को अलविदा कह देने वाले सितारों की सूची में फिल्म इंडस्ट्री के मशहूर फैशन डिजाइनर रोहित बल का नाम शामिल है. बल ने 1 नवंबर को अंतिम सांस ली. उन्हें दिल का दौरा पड़ा था, जिस वजह से उनका निधन हो गया. उन्हें साउथ दिल्ली के एक अस्पताल में भर्ती कराया गया था. रोहित बल 63 वर्ष के थे.

भारत के शुरुआती डिजाइनरों में से एक रोहित बल ने 1990 के दशक में फैशन डिजाइनिंग को एक व्यावहारिक, ग्लैमरस पेशे के रूप में लोकप्रिय बनाया. उनके बाद आने वाले कई लोग अपनी सफलता का श्रेय उन्हें देते हैं. उनके डिजाइनों को भारतीय परिधानों की गहरी समझ और बारीकियों पर विशेष ध्यान देने के कारण प्रशंसा मिली. उनके डिजाइन किए गए इनोवेटिव ड्रेसेज को हॉलीवुड सितारों और सुपरमॉडल्स ने पहना. वह भारत की समृद्ध सांस्कृतिक विरासत को समकालीन शैली के साथ सम्मिश्रण का पर्याय थे.

अमीन सयानी


लोकप्रिय रेडियो शो ‘बिना गीत माला’ के प्रतिष्ठित प्रस्तोता अमीन सयानी का बीते 20 फरवरी को दिल का दौरा पड़ने से निधन हो गया. वह 91 वर्ष के थे. 1932 में जन्मे अमीन सयानी ने 1951 में रेडियो सीलोन के साथ अपना कार्यकाल शुरू किया था.

‘नमस्कार भाइयों और बहनों, मैं आपका दोस्त अमीन सयानी बोल रहा हूं,’ उस दौर में बड़े लकड़ी के बक्से जैसे दिखने वाले रेडियो सेट से आने वाली इस आवाज के जादुई असर ने कई दशकों तक लोगों को अपने मोहपाश में बांधे रखा था. उन्होंने रेडियो प्रस्तोताओं के गंभीर लहजे से परहेज किया और एक ऐसी शैली और भाषा का इस्तेमाल किया जो सुलभ होने के साथ-साथ जानकारीपूर्ण भी थी.

उनका शो बिनाका गीतमाला जो रेडियो सीलोन पर 30 मिनट के कार्यक्रम के रूप में शुरू हुआ था, 1950 के दशक में एक सनसनी बन गया. इसके कई नाम बदले गए लेकिन इसका सार कभी नहीं खोया – बिनाका गीतमाला, हिट परेड और सिबाका गीतमाला. यह 1952 से 1994 तक चला. इसने कई रेडियो स्टेशन भी बदले और बाद में ऑल इंडिया रेडियो के विविध भारती पर प्रसारित किया गया.

वॉयसओवर आर्टिस्ट के रूप में अमीन सयानी के पास 54,000 से अधिक रेडियो कार्यक्रमों की मेजबानी और संचालन करने का रिकॉर्ड है. वॉयसओवर आर्टिस्ट के रूप में लगभग 19,000 जिंगल्स में उनके योगदान के लिए लिम्का बुक ऑफ रिकॉर्ड्स में भी उनका नाम दर्ज है.

बिजली रमेश

तमिल फिल्म इंडस्ट्री के मशहूर अभिनेता बिजली रमेश का 26 अगस्त को निधन हो गया था. लीवर फेल होने की वजह से उन्होंने 46 वर्ष की आयु में दुनिया को अलविदा कह दिया. बिजली रमेश यूट्यूब प्रैंक वीडियो के जरिये मशहूर हुए, जिससे अंतत: उन्हें कुछ फिल्मों में भूमिकाएं मिलीं. उन्होंने कई टीवी शो के साथ शिवप्पु मंजल पचाई (2019), अदाई (2019) और काथु वकुला रेंदु काधल (2022) जैसी फिल्मों में अभिनय किया.

उस्ताद राशिद खान

भारतीय शास्त्रीय गायक उस्ताद राशिद खान का 55 वर्ष की आयु में 9 जनवरी को निधन हो गया था. कैंसर से पीड़ित उस्ताद का कोलकाता के एक अस्पताल में इलाज चल रहा था, जहां उन्होंने अंतिम सांस ली. रामपुर-सहसवान घराने से ताल्लुक रखने वाले शास्त्रीय गायक उस्ताद राशिद खान इस घराने के संस्थापक इनायत हुसैन खान के परपोते थे. गायक ने 2006 में पद्मश्री और संगीत नाटक अकादमी पुरस्कार सहित कई पुरस्कार जीते. 2022 में उन्हें देश के तीसरे सबसे बड़े नागरिक पुरस्कार पद्म भूषण से सम्मानित किया गया. पश्चिम बंगाल सरकार ने उस्ताद राशिद खान को बंगा विभूषण और संगीत महासम्मान से भी सम्मानित किया था.

श्याम बेनेगल


मशहूर फिल्म निर्देशक श्याम बेनेगल का बीते 23 दिसंबर को 90 साल की उम्र में निधन हो गया. कथित तौर पर वे किडनी से जुड़ी समस्याओं से भी पीड़ित थे. भारतीय सिनेमा में एक बहुत बड़ी हस्ती और समानांतर सिनेमा आंदोलन के अगुआ श्याम बेनेगल का इंडस्ट्री पर प्रभाव बेमिसाल था. अपने शानदार करिअर के दौरान उन्होंने कई पुरस्कार अर्जित किए, जिनमें प्रतिष्ठित दादा साहब फाल्के पुरस्कार, सिनेमा के क्षेत्र में भारत का सर्वोच्च सम्मान और 18 राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार शामिल हैं. सिनेमा के क्षेत्र में उनके उल्लेखनीय योगदान के सम्मान में उन्हें 1976 में पद्म श्री और बाद में 1991 में भारत के तीसरे सबसे बड़े नागरिक पुरस्कार पद्म भूषण से सम्मानित किया गया.

बेनेगल ने बतौर निर्देशक अपनी पहली फीचर फिल्म अंकुर (1974) बनाई, जिसमें अनंत नाग और शबाना आजमी मुख्य भूमिकाओं में थे. इस फिल्म को आलोचकों की व्यापक प्रशंसा मिली और इसने राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार जीता. यह फिल्म इसमें शामिल सभी लोगों के करिअर के लिए ऐतिहासिक साबित हुई. उनकी तीसरी फिल्म निशांत (1975) इससे भी बड़ी उपलब्धि थी, जिसने 1976 के कान फिल्म समारोह में पाल्मे डी’ओर के लिए नामांकन अर्जित किया. गिरीश कर्नाड, शबाना आजमी, अनंत नाग, अमरीश पुरी, स्मिता पाटिल और नसीरुद्दीन शाह जैसे दिग्गजों की एक बेहतरीन टीम के साथ यह फिल्म फिल्म निर्माण में उनकी महारत का प्रमाण है. 80 के दशक में उन्होंने टेलीविजन की दुनिया में कदम रखने के अलावा कलयुग (1981), आरोहण (1982), मंडी (1983), त्रिकाल (1985) और सुसमन (1987) जैसी समीक्षकों द्वारा प्रशंसित फिल्में बनाईं.

असीम रचनात्मक ऊर्जा से संपन्न उन्होंने अपने करिअर के विभिन्न चरणों में एक निर्देशक के रूप में खुद को फिर से स्थापित किया. उन्होंने विभिन्न थीम, विषय और प्रारूपों के साथ भी प्रयोग किया और 20 से अधिक फीचर फिल्में, 70 डॉक्यूमेंट्री और शॉर्ट फिल्में बनाईं. उल्लेखनीय बात यह है कि उनके अधिकांश काम समय की कसौटी पर खरे उतरे और आज भी प्रासंगिक हैं. बेनेगल की फिल्मों में महिला पात्र मुखर, स्वतंत्र और साहसी रही हैं. उन्होंने अंकुर, निशांत, भूमिका, मंडी, मम्मो, सरदारी बेगम, जुबैदा और हरी भरी जैसी फिल्में इसकी बानगी हैं.

ऋतुराज सिंह

टीवी जगत के मशहूर अभिनेता ऋतुराज सिंह का 20 फरवरी को 59 साल की उम्र में निधन हो गया था. अभिनेता अपने मुंबई स्थित घर में थे, जहां देर रात उन्हें हार्ट अटैक आया और उन्हें बचाया नहीं जा सका. ऋतुराज सिंह को ‘अनुपमा’ सीरियल में यशपाल, ‘ये रिश्ता क्या कहलाता है’ में पुरुषोत्तम अजमेरा, ‘दीया और बाती हम’ में महेंद्र सिंह जैसे किरदारों के लिए बेहद पसंद किया गया. उन्होंने ‘बंदिश बैंडिट्स’, ‘मेड इन हैवन’ जैसी वेब सीरीज और ‘बद्रीनाथ की दुल्हनिया’, ‘सत्यमेव जयते 2’ और ‘यारियां 2’ जैसी फिल्मों में भी अभिनय किया था.

पंकज उधास


मशहूर गजल गायक पंकज उधास का 72 साल की उम्र में 26 फरवरी को निधन हो गया. वह पैंक्रियाटिक कैंसर से पीड़ित थे. पंकज उधास को महेश भट्ट की 1986 की क्राइम थ्रिलर ‘नाम’ से ‘चिट्ठी आई है’, प्रवीण भट्ट की 1998 की फिल्म ‘एक ही मकसद’ से ‘चांदी जैसा रंग है’, फिरोज खान की 1988 की एक्शन थ्रिलर ‘दयावान’ से ‘आज फिर तुमपे प्यार आया है’, लॉरेंस डिसूजा की 1991 की रोमांटिक फिल्म ‘साजन’ से ‘जीए तो जीएं कैसे’ और अब्बास-मस्तान की 1993 की रिवेंज थ्रिलर ‘बाजीगर’ से ‘छुपाना भी नहीं आता, जताना भी नहीं आता’ जैसे यादगार ट्रैक के लिए अपनी आवाज देने के लिए जाना जाता है.

उनके गजल करिअर में आहट (1980) जैसे प्रतिष्ठित एल्बम और ‘ना कजरे की धार’, और ‘आहिस्ता कीजिए बातें’, ‘एक तरफ उसका घर’ और ‘थोड़ी थोड़ी पिया करो’ जैसे ट्रैक शामिल हैं. आहट के बाद कई हिट एल्बम आए, जिनमें ‘मुकर्रर’ (1981), ‘तरन्नुम’ (1982), ‘महफ़िल’ (1983), ‘पंकज उधास लाइव ऐट रॉयल अल्बर्ट हॉल’ (1984), ‘नायाब’ (1985) और ‘आफरीन’ (1986) शामिल हैं. 2006 में गजल संगीत के क्षेत्र में उनकी सेवाओं और उनके धर्मार्थ कार्यों के लिए पंकज उधास को भारत के सर्वोच्च नागरिक सम्मानों में से एक पद्मश्री से सम्मानित किया गया था.

अतुल परचुरे

मनोरंजन जगत के लोकप्रिय अभिनेता और कॉमेडियन अतुल परचुरे का 57 वर्ष की आयु में 14 अक्टूबर को निधन हो गया. स्वास्थ्य समस्याओं की वजह से अभिनेता मुंबई के एक अस्पताल में भर्ती थे. वह एक प्रसिद्ध मराठी अभिनेता थे, जिन्होंने कई हिंदी टेलीविजन शो और फिल्मों में काम किया, जिनमें कपिल शर्मा के कॉमेडी शो में उनकी यादगार भूमिका भी शामिल है.

उन्हें खास तौर पर उनकी हास्य भूमिकाओं के लिए जाना जाता है. अपने काम के माध्यम से उन्होंने लोकप्रियता हासिल की, जिसमें ‘वासु ची सासु’, ‘प्रियतमा’ और तरुण ‘तुर्क म्हातारे अर्का’ जैसे उल्लेखनीय मराठी धारावा​हिक शामिल हैं. उनकी प्रमुख फिल्मों में ‘नवरा माझा नवसाचा’, ‘सलाम-ए-इश्क’, ‘पार्टनर’, ‘ऑल द बेस्ट: फन बिगिन्स’, ‘खट्टा मीठा’ और ‘बुड्डा होगा तेरा बाप’ आदि शामिल हैं.

विकास सेठी

टीवी इंडस्ट्री के मशहूर अभिनेता विकास सेठी का 8 सितंबर को नासिक में 48 वर्ष की आयु में निधन हो गया था. अभिनेता को दिल का दौरा पड़ा था. विकास ने 2000 के दशक के कुछ सबसे लोकप्रिय डेली सोप ओपेरा में सहायक किरदारों के रूप में अपनी भूमिकाओं के लिए प्रसिद्धि पाई थी. वह ‘क्योंकि सास भी कभी बहू थी’, ‘कहीं तो होगा’ और ‘कसौटी जिंदगी की’ जैसे मशहूर टीवी शो में नजर आए. डेली ओपेरा के अलावा, विकास ने कल्ट फिल्म ‘कभी खुशी कभी गम’ में भी काम किया, जिसमें उन्होंने करीना कपूर के दोस्त रॉबी की भूमिका निभाई.

डेल्ही गणेश


तमिल फिल्मों और टीवी शोज में बेहतरीन काम कर लोकप्रिय हुए अभिनेता गणेश महादेवन का 9 नवंबर को 80 वर्ष की आयु में निधन हो गया. उम्र संबंधी बीमारियों से जूझ रहे अभिनेता का चेन्नई स्थित आवास पर इलाज चल रहा था. डेल्ही गणेश नाम से प्रसिद्ध अभिनेता को को फिल्म पासी (1979) में उनके अभिनय के लिए तमिलनाडु राज्य फिल्म पुरस्कार विशेष पुरस्कार मिला और 1994 में तत्कालीन मुख्यमंत्री जे. जयललिता द्वारा प्रतिष्ठित कलैमामणि पुरस्कार से सम्मानित किया गया.

उन्हें कमल हासन के साथ ‘नायकन’, ‘अपूर्वा सगोधरगल’, ‘माइकल मदना कामा राजन’, ‘अव्वई शानमुगी’ और ‘तेनाली’ जैसी प्रतिष्ठित फिल्मों में उनके सहयोग के लिए व्यापक रूप से जाना जाता था. अपने करिअर के दौरान, डेल्ही गणेश ने 400 से अधिक तमिल, तेलुगू और मलयालम फिल्मों में काम किया, जिनमें ‘पोलाधवन’, ‘एंगम्मा महारानी’, ‘​​परित्चाइक्कु नेरामाचू’, ‘कीर्ति चक्र’, ‘मनोहरम’ और ‘पुन्नामी नागू’ शामिल हैं. वह ‘अजब प्रेम की गजब कहानी’, ‘चेन्नई एक्सप्रेस’ और ‘दस’ जैसी बॉलीवुड फिल्मों में भी नजर आए थे.

सुहानी भटनागर

आमिर खान की सुपरहिट फिल्म ‘दंगल’ में बबीता फोगाट का किरदार निभाकर लोकप्रिय हुईं अभिनेत्री सुहानी भटनागर का 19 वर्ष की आयु में 16 फरवरी को निधन हो गया. अभिनेत्री की डर्मेटोमायोसाइटिस से निधन हो गया. डर्मेटोमायोसाइटिस एक रेयर बीमारी है, जिसमें मांसपेशियों में सूजन पड़ जाती है और त्वचा में चकत्ते पड़ जाते हैं. भटनागर फरीदाबाद के रचना मानव विश्वविद्यालय से पत्रकारिता में स्नातक की पढ़ाई कर रही थीं.

कुमार शाहनी


बीते फरवरी माह में फिल्म निर्माता कुमार शाहनी का 83 वर्ष की आयु में कोलकाता के एक अस्पताल में निधन हो गया था. शाहनी के परिवार में उनकी पत्नी और दो बेटियां हैं. फिल्म निर्माता का जन्म अविभाजित भारत के सिंध के लरकाना में हुआ था. 1947 में विभाजन के बाद शाहनी का परिवार बॉम्बे चला गया. वह भारतीय समानांतर सिनेमा में एक महत्वपूर्ण नाम थे. उन्होंने 1972 में माया दर्पण से फिल्म निर्देशन की शुरुआत की. हिंदी लेखक निर्मल वर्मा की लघु कहानी पर आधारित यह फिल्म सामंती भारत में अपने प्रेमी और अपने पिता के सम्मान की रक्षा के बीच विभाजित एक महिला के इर्द-गिर्द घूमती है.

इसके बाद उन्होंने 1984 में ‘तरंग’ बनाई. अमोल पालेकर और स्मिता पाटिल अभिनीत इस फिल्म को राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार मिला. कहानी एक अनैतिक व्यवसायी के इर्द-गिर्द घूमती है, जो एक ट्रेड यूनियन नेता की पत्नी के साथ संबंध बना लेता है. इसके अलावा उन्होंने चार अध्याय और कस्बा जैसी फिल्मों का निर्देशन किया था.

डॉली सोही

सर्वाइकल कैंसर से जंग लड़ रहीं टीवी इंडस्ट्री की मशहूर अभिनेत्री डॉली सोही का 8 मार्च को 48 वर्ष की आयु में निधन हो गया. उन्हें टीवी शो ‘झनक’ और ‘भाभी’ के लिए जाना जाता था. इसके अलावा उन्हें ‘कुसुम’, ‘मेरी आशिकी तुम से ही’, ‘कुमकुम भाग्य’ और ‘परिणीति’ जैसे टीवी शो में एक्टिंग के लिए जाना जाता है.

-भारत एक्सप्रेस

Prashant Verma

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