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Bihar Reservation: बिहार में अटक सकता है 75 फीसदी आरक्षण का दांव! अगर सुप्रीम कोर्ट में दे दी गई चुनौती तो क्या करेंगे नीतीश कुमार?

Bihar Reservation: बिहार सरकार ने राज्य सरकार की नौकरियों और शैक्षणिक संस्थानों में वंचित जातियों के लिए कोटा 50 से बढ़ाकर 65 प्रतिशत करने के लिए गजट अधिसूचना जारी कर दी है. इससे आरक्षण का कुल दायरा 75 फीसदी का हो जाएगा. अब, बिहार में अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति और अन्य पिछड़े वर्गों के लिए संशोधन विधेयक-2023 और बिहार शैक्षिक संस्थानों में प्रवेश में आरक्षण विधेयक, 2023 अधिनियम बन गए हैं. बिहार सरकार के अधिकारी के अनुसार, राज्यपाल राजेंद्र विश्वनाथ आर्लेकर द्वारा दो विधेयकों को मंजूरी देने के बाद अधिसूचनाएं जारी की गईं, जिससे नई कोटा प्रणाली लागू करने का मार्ग प्रशस्त हो गया. हालांकि, कहा जा रहा है कि अगर सुप्रीम कोर्ट में इसे चुनौती दे दी गई तो यह अटक भी सकता है. कानून के जानकारों का कहना है कि अगर ये मामला सुप्रीम कोर्ट पहुंचा तो नीतीश सरकार को यह बताना होगा. कोर्ट ने 1992 में  इंदिरा साहनी मामले में सुनवाई के दौरान आरक्षण का दायरा 50 फीसदी कर दिया था. हालांकि, शीर्ष अदालत ने कहा था कि किसी विशेष परिस्थिति में इसे तोड़ा जा सकता है.

मुख्यमंत्री कार्यालय ने एक बयान में कहा, “राज्य सरकार की नौकरियों और शैक्षणिक संस्थानों में बढ़े हुए कोटा के प्रावधानों को जरूरतमंद लोगों के लाभ के लिए अक्षरश: लागू किया जाना चाहिए.” मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने राज्यव्यापी जाति सर्वेक्षण के बाद नई प्रणाली के कार्यान्वयन पर वरिष्ठ सरकारी अधिकारियों के साथ एक बैठक की अध्यक्षता की, जिसकी रिपोर्ट पहले पेश की गई थी.

6 हजार से कम कमाने वाले परिवारों को वित्तीय सहायता

बयान में कहा गया है, “सीएम ने कहा कि जाति-आधारित सर्वेक्षण रिपोर्ट के निष्कर्षों के आधार पर, राज्य में 6,000 रुपये प्रति माह से कम कमाने वाले 94 लाख परिवारों को एकमुश्त वित्तीय सहायता के रूप में 2 लाख रुपये प्रदान किए जाएंगे.” इसमें कहा गया है कि इन परिवारों में से जो लोग बेघर हैं, उन्हें अपने घर के निर्माण के लिए जमीन खरीदने के लिए एक लाख रुपये की एलडीए वित्तीय सहायता प्रदान की जाएगी.

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हमसे सबक ले केंद्र सरकार: विजय चौधरी

वित्त मंत्री विजय कुमार चौधरी ने कहा, “केंद्र द्वारा जाति जनगणना के लिए अपनी अनिच्छा स्पष्ट करने के बाद ही बिहार सरकार ने जातीय जनगणना कराने का फैसला किया. अब, उन्हें हमसे सबक लेना चाहिए.” अब, दशकीय जनगणना, जो 2021 में पूरी हो जानी चाहिए थी, तुरंत शुरू होनी चाहिए और केंद्र को गणना अभ्यास के साथ-साथ राष्ट्रव्यापी जाति-आधारित गणना के लिए जाना चाहिए.”

जातीय सर्वेक्षण के बाद सरकार ने विधानसभा में इसका विश्लेषण पेश किया. इसके बाद विधानसभा ने कोटा बढ़ाने के लिए दो विधेयक – बिहार पदों और सेवाओं में रिक्तियों का आरक्षण संशोधन विधेयक और बिहार आरक्षण (शैक्षणिक संस्थानों में प्रवेश) संशोधन विधेयक – पारित किया. विधेयक में अनुसूचित जाति के लिए कोटा 16 से बढ़ाकर 20 प्रतिशत, अनुसूचित जनजाति (एसटी) के लिए 1 से 2 प्रतिशत, अत्यंत पिछड़ी जाति (ईबीसी) के लिए 18 से 25 प्रतिशत और अन्य पिछड़ा वर्ग ( ओबीसी) जाति-आधारित आरक्षण की कुल मात्रा को 50 से बढ़ाकर 65 प्रतिशत करने के लिए 15 से 18 प्रतिशत तय किया गया था.

-भारत एक्सप्रेस

Rakesh Kumar

Sr. Sub-Editor

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