Abdul Hameed Paramveer Chakra Controversy: अमर शहीद वीर अब्दुल हमीद की जयंती समारोह 1 जुलाई को है लेकिन इससे पहले ही परमवीर चक्र को लेकर परिवार में विवाद की स्थिति बन गई है.
परमवीर चक्र के रखरखाव और उस पर हक को लेकर विवाद लगातार गहराता जा रहा है. जहां एक ओर शहीद के पोते का दावा है कि दादी ने वसीयतनामे में परमवीर चक्र उसके नाम किया तो वहीं शहीद पिता के सम्मान को लगातार बढ़ाने में जुटे बेटे का कहना है कि वह मां रसूलन बीवी के सपनों को पूरा करने के लिए सर्वोच्च सम्मान मांग रहे हैं.
मालूम हो कि उत्तर प्रदेश के गाजीपुर के धामूपुर में जन्मे वीर अब्दुल हमीद ने 1965 में भारत-पाकिस्तान युद्ध में अदम्य साहस का परिचय दिया था और पाकिस्तान के पैटर्न टैंक को ध्वस्त करके युद्ध का पूरा पासा ही पलट कर रख दिया था. पाकिस्तान अपने पैटर्न टैंक पर बहुत घमंड करता था और दावा करता था कि इसको लेकर दिल्ली तक पहुंच जाएगा और कब्जा कर लेगा.
हालांकि उसके इस दावे को भारत के वीर लाल अब्दुल हमीद ने आईसीएल गन से 12 से ज्यादा पैटर्न टैंक को नष्ट करके चकनाचूर कर दिया था. हालांकि इसी युद्ध क्षेत्र में वह 10 सितंबर, 1965 को शहीद हो गए थे. वह इस युद्ध के हीरो थे. उनको परमवीर चक्र से नवाजा गया था.
वीर शहीद अब्दुल हमीद को मरणोपरांत उनकी पत्नी रसूलन बीवी को तत्कालीन राष्ट्रपति ने सर्वोच्च सैन्य सम्मान परमवीर चक्र से सम्मानित किया था. तो वहीं अमर शहीद अब्दुल हमीद के बड़े बेटे जैनुल हसन जब आर्मी से सेवानिवृत्त होकर घर वापस लौटे तो उनकी जयंती के मौके पर कार्यक्रम का आयोजन करने लगे. इसी क्रम में इस बार एक पुस्तक का लोकार्पण एक जुलाई को आरएसएस के सरसंघचालक मोहन भागवत के हाथों होने जा रहा है. किताब का नाम पापा परमवीर है.
शहीद वीर अब्दुल हमीद के बड़े बेटे जैनुल हसन ने मीडिया से बात करते हुए कहा कि, मां रसूलन बीवी की अंतिम इच्छा थी कि उनके निधन के बाद पिता को मिला सर्वोच्च सम्मान परमवीर चक्र सेना के म्यूजियम में रखा जाए. मैं, उनकी अंतिम इच्छा पूरी करने के लिए भतीजे जमील आलम से सम्मान मांग रहा हूं. जैनुल हसन ने ये दावा किया कि पहले तो भतीजे ने टालमटोल की लेकिन अब उसने पूरी तरह से सम्मान देने से मना कर दिया है. जैनुल हसन ने कहा कि मां की अंतिम इच्छा पूरी करने के लिए ही यह सम्मान म्यूजियम में स्वयं रखवाना चाहते हैं, ताकि लोगों को पिता के शौर्य गाथा की जानकारी मिले और वे उससे प्रेरणा ले सकें. इसी के साथ ही उन्होंने ये भी कहा कि मुझे डर है कि कहीं वह इस सम्मान का दुरुपयोग न करे.
परमवीर चक्र विजेता शहीद वीर अब्दुल हमीद के पोते जमील आलम ने मीडिया को दिए बयान में कहा कि 2019 में दादी रसूलन बीवी का निधन होने से पहले उन्होंने मुझे और मेरे भाई को उत्तराधिकारी बनाया था. जमील आलम ने ये भी कहा कि उनको जहां कहीं भी जाना होता था मैं ही ले जाता था. बड़े पिता जी और अन्य लोगों की उनकी चिंता नहीं थी. यहा वजह रही कि उन्होंने वसीयतनामा में बाबा को मिले सम्मान को लिखा-पढ़ी में मेरे हवाले कर दिया. जमील आलम ने ये भी कहा कि बड़े पिताजी ने मुख्यमंत्री पोर्टल पर भी शिकायत की थी. इस पर लिखित जवाब भी दे दिया है. इसी के साथ ही जमील आलम ने ये भी कहा कि मैं ये सम्मान बिल्कुल नहीं दूंगा और अगर मुझसे जबरदस्ती की गई तो मानहानि का दावा भी करूंगा.
-भारत एक्सप्रेस
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