Baghpat Lakshagraha News: उत्तर प्रदेश के बागपत के लाक्षागृह केस में हिंदू पक्ष को जीत मिलने के बाद से पूरे इलाके की सुरक्षा बढ़ा दी गई है. लाक्षागृह स्थित मजार का मालिकाना हक हिंदू पक्ष को मिलने के बाद से पुलिस-प्रशासन इसको लेकर अलर्ट मोड पर आ गया है. मीडिया सूत्रों के मुताबिक, यहां पर कई थानों की फोर्स और सीओ को लाक्षागृह की सुरक्षा में तैनात कर दिया गया है. इसी के साथ में पीएसी फोर्स और पुलिस ने भी कमान सम्भाल ली है. दो दर्जन से अधिक पुलिसकर्मियों को लाक्षामंडप में तैनात किए गया है.
बता दें कि किसी भी तरह की स्थिति से निपटने के लिए एसपी बागपत अर्पित विजय वर्गीय ने यहां की सुरक्षा बढ़ा दी है. बता दें कि, उत्तर प्रदेश के बागपत के लाक्षागृह केस में कोर्ट का फैसला हिंदुओं के पक्ष में आने के बाद से ही यहां की सुरक्षा के लिए बड़ी संख्या में पुलिस बल तैनात किया गया है. इस मामले में 53 साल बाद अदालत ने अपना फैसला सुनाते हुए लाक्षागृह की 100 बीघा जमीन पर हिंदू पक्ष के अधिकार की बात कही है. ज्ञानवापी मामले के बाद हिंदू पक्ष को लाक्षागृह मामले में मिली जीत के बाद खासा उत्साह देखा जा रहा है.
पश्चिमी उत्तर प्रदेश के बागवत जिले के बरनावा में लाक्षागृह की जमीन को लेकर विवाद कई सालों से चल रहा था. इसके बाद ये मामला कोर्ट में चला गया. मुस्लिम पक्ष इस जमीन को सूफी संत शेख बदरुद्दीन की मजार बता रहा था तो वहीं हिंदू पक्ष का दावा था कि यह महाभारत कालीन लाक्षागृह है. जहां पांडवों को कौरवों द्वारा जलाकर मारने की कोशिश की गई थी. इसी के साथ ही इसकी बनावट को देखते हुए हिंदू पक्ष ने तमाम सबूत भी रखे. इसके बाद इसकी भी एएसआई जांच कराई गई थी. 1970 से इस मामले में अदालत में सुनवाई चल रही थी. इसके बाद सारे सबूत देखने के बाद इस पूरे मामले में 53 साल बाद बागपत कोर्ट ने हिंदू पक्ष के हक में बड़ा फैसला दे दिया है.
बता दें कि इस मामले में पिछले साल तेजी आई और फिर कई जांच कराए जाने के बाद हिंदू और मुस्लिम पक्ष कोर्ट के फैसले की ओर देख रहा था. तो वहीं सोमवार को इस मामले में फैसला हिंदू पक्ष के हक में आया है. तो वहीं 1970 में इस मामले को लेकर बरनावा निवासी मुकीम खान ने वक्फ बोर्ड के पदाधिकारी की हैसियत से मेरठ के सरधना की कोर्ट में एक केस दायर कराया था और कहा था कि, इस लाक्षागृह टीले पर शेख बदरुद्दीन की मजार और एक बड़ा कब्रिस्तान मौजूद है. जिस पर वक्फ बोर्ड का अधिकार है. तो वहीं लाक्षागृह गुरुकुल के संस्थापक ब्रह्मचारी कृष्णदत्त महाराज को इस मामले में मुकीम खान ने प्रतिवादी बनाया था और मामले में लिखा था कि कृष्णदत्त महाराज जो बाहर के रहने वाले हैं, इस कब्रिस्तान को समाप्त कर यहां हिंदुओं का तीर्थ स्थान बनाना चाहते हैं. फिलहाल 53 साल बाद आए इस मामले में फैसले के वक्त वादी और प्रतिवादी दोनों ही मौजूद नहीं है क्योंकि दोनों की मौत हो चुकी है.
-भारत एक्सप्रेस
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