दिल्ली के रोहिणी इलाके में स्थित मानसिक रूप से कमजोर लोगों के लिए बने सरकारी आवास (आशा किरण) में जनवरी 2024 से अब तक 14 मौतें होने का मामला सामने आने के बाद दिल्ली सरकार की मंत्री आतिशी ने एडिशनल चीफ सेक्रेटरी (राजस्व) को पूरे मामले की तुरंत मजिस्ट्रेट से जांच शुरू करने और एक रिपोर्ट सौंपने के निर्देश दिए हैं.
मंत्री ने उन लोगों के खिलाफ कार्रवाई करने का भी निर्देश दिया जिनकी लापरवाही के कारण ये मौतें हुई हैं और भविष्य में ऐसी घटनाओं को रोकने के लिए सही कदम उठाने को भी कहा गया है.
जारी किए गए जांच पत्र में आतिशी ने कहा, ‘आज मुझे एक खबर (प्रतिलिपि संलग्न) मिली, जिसमें दिल्ली के रोहिणी में स्थित मानसिक रूप से कमजोर लोगों के लिए सरकारी आवास (आशा किरण) में जनवरी 2024 से 14 मौतों की घटना के बारे में बताया गया है. कथित तौर पर ये मौतें स्वास्थ्य समस्याओं और कुपोषण के कारण हुईं और यह यहां रहने वालों को अपेक्षित सुविधाओं की उपलब्धता की कमी का संकेत देती हैं.’
उन्होंने कहा, ‘राजधानी दिल्ली में ऐसी बुरी खबर सुनना बेहद चौंकाने वाला है और अगर यह सच है तो हम इस तरह की चूक बर्दाश्त नहीं कर सकते. यह एक बहुत ही गंभीर मुद्दा है और निवासियों को बेहतर सुविधाएं प्रदान करने के लिए ऐसे सभी घरों की स्थितियों में सुधार करने के लिए पूरी प्रणाली को सुधारने और कठोर कदम उठाने के लिए इसकी गहन जांच की जानी चाहिए.’
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आतिशी ने अपने पत्र के जरिये एडिशनल चीफ सेक्रेटरी (राजस्व) को निर्देशित किया है कि पूरे मामले की तुरंत मजिस्ट्रेट से जांच शुरू करें और 48 घंटों के भीतर उस पर एक रिपोर्ट प्रस्तुत करें. जिनकी लापरवाही के कारण ये मौतें हुई हैं, उनके खिलाफ कार्रवाई की अनुशंसा करें. भविष्य में ऐसी घटनाओं की पुनरावृत्ति को रोकने के लिए उठाए जाने वाले सुझावात्मक उपायों की सिफारिश करें.
आशा किरण में हुई इस घटना ने एक बार फिर दिल्ली सरकार के अधिकारियों की लापरवाही को उजागर किया है, जिसके बाद मंत्री को इस पर जांच के आदेश देने पड़े हैं.
दिल्ली सरकार का समाज कल्याण विभाग आशा किरण चलाता है, जिसकी स्थापना 1989 में की गई थी, जिसमें 350 लोगों को रहने की क्षमता है. आश्रय गृह में रहने वालों की मौतों के कारण पिछले कई दशकों से यह आश्रय गृह विवादों में घिरा रहा है.
2014 में आशा किरण में 51 मौतें हुई थीं और 2005 में 59 मौतें हुई थीं. भारत के नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक ने 2015 में सरकार की आलोचना करते हुए कहा था कि आशा किरण में अत्यधिक भीड़ है, चिकित्सा संबंधी आपात स्थितियों के लिए पर्याप्त व्यवस्था नहीं है और स्टाफ की कमी है.
-भारत एक्सप्रेस
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