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अंध विश्वास, जादू-टोने जैसी प्रथाओं को खत्म करने की मांग वाली याचिका वापस ली गई, जानें अदालत ने क्‍या कहा

कोर्ट ने कहा कि संविधान में राज्यों को अंधविश्वास मिटाने और वैज्ञानिक सोच विकसित करने का निर्देश है. ऐसी हजारों चीजें हैं जो बच्चों को पाठ्यक्रम में सीखनी चाहिए.

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सांकेतिक फोटो

India News: अंध विश्वास, जादू-टोने और इसी तरह की अन्य कुप्रथाओं को खत्म करने की मांग वाली याचिका को याचिकाकर्ता ने वापस ले लिया. कोर्ट ने कहा कि कोई समाज सुधारक कोर्ट आकर समाज सुधारक नहीं बन सकता है. कोर्ट के बाहर भी समाज के लिए काम करके समाज सुधारक बना जा सकता है.

मामले की सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता अश्विनी उपाध्याय ने कहा कि जब धाबोलकर की हत्या हुई, तो इस अंधविश्वास पहलू से निपटने के लिए एक कानून बनाया गया था. फिर भाटिया परिवार के 11 सदस्यों ने अंधविश्वास के कारण आत्महत्या कर ली और केरल में 2 महिलाओं की इसी वजह से हत्या कर दी गई. फिर दो हफ्ते पहले हाथरस में 121 की मौत हो गई. जिस पर सीजेआई ने कहा कि यह शिक्षा के बारे में भी है और धारणा यह है कि आप जितना अधिक शिक्षित होंगे, आपका रुझान इन पर नहीं होगा, लेकिन कोर्ट वैज्ञानिक सोच बढ़ाने का निर्देश कैसे दे सकती है.

अश्विनी कुमार की ओर दायर की गई थी याचिका

कोर्ट ने कहा कि संविधान में राज्यों को अंधविश्वास मिटाने और वैज्ञानिक सोच विकसित करने का निर्देश है. ऐसी हजारों चीजें हैं जो बच्चों को पाठ्यक्रम में सीखनी चाहिए. यह याचिका बीजेपी नेता व सुप्रीम कोर्ट के वकील अश्विनी कुमार उपाध्याय की ओर दायर की गई थी. याचिका में कहा गया है कि समाज में प्रचलित अवैज्ञानिक कामों को खत्म करने के लिए कानून की जरूरत है. इसमें फर्जी संतों को भोले-भाले लोगों का शोषण करने से रोकने के संबंध में भी कदम उठाने का अनुरोध किया गया था.

कोर्ट को इस तरह के निर्देश देने की मांग की गई थी

याचिका में केंद्र और राज्यों को संविधान के अनुच्छेद 51A की भावना के अनुरूप नागरिकों में वैज्ञानिक दृष्टिकोण, मानवतावाद और सुधार की भावना विकसित करने के लिए कदम उठाने का निर्देश देने की मांग की गई थी.

याचिका में कहा गया था कि अनुच्छेद 32 के तहत जनहित याचिका के रूप में यह रिट याचिका दायर कर रहा है, जिसमें संविधान के अनुच्छेद 14, 21, 25 के तहत मिले मौलिक अधिकारों को सुरक्षित करने के लिए अंधविश्वास और जादू-टोना को नियंत्रित करने के लिए उचित कदम उठाने की मांग की गई थी.

याचिका में यह भी कहा गया था कि अंधविश्वास से भरी कुछ प्रथाएं क्रूर, अमानवीय और शोषण करने वाली है और इन पर लगाम लगाने के लिए कानून बनाने की सख्त जरूरत है. याचिका में यह भीआरोप लगाया गया था कि कई लोग और संगठन अंधविश्वास और जादू-टोने का सहारा लेकर बड़े पैमाने पर धर्मांतरण कर रहे हैं.

– भारत एक्‍सप्रेस

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