Ayodhya: राम नगरी अयोध्या में भगवान श्रीराम का भव्य मंदिर अपने अंतिम चरण की ओर बढ़ रहा है और पूरा आकार ले रहा है. कारीगर दिन-रात मेहनत कर मंदिर का निर्माण जल्द से जल्द करने में जुटे हैं, क्योंकि जनवरी में प्राण प्रतिष्ठा का कार्यक्रम भी होना है. ऐसे में निर्माण कार्य तेज गति से आगे बढ़ रहा है. वहीं पहले फेज के तहत ग्राउंड फ्लोर के निर्माण का कार्य दिसंबर तक पूरा कर लेने का फैसला लिया गया है ताकि जनवरी में कार्यक्रम का आयोजन किया जा सके. तो वहीं रामलला के दर्शन को लेकर बड़ा अपडेट सामने आ रहा है.
राम मंदिर निर्माण समिति के अध्यक्ष नृपेंद्र मिश्रा ने मीडिया को जानकारी दी है कि, जो भक्त मंदिर में आएंगे वह करीब एक घंटे तक यहां रहेंगे. रामलला का दर्शन करने के लिए करीब 45 मिनट का इंतजार श्रद्धालुओं को करना होगा, और भक्त अपने रामलला की सुंदर छवि को 20 सेकेंड्स तक निहार सकेंगे. यानी जो दर्शन होंगे वह 20 सेकेंड तक कर सकेंगे.
दरअसल ये फैसला रामलला के दर्शन करने वाले श्रद्धालुओं की भीड़ को देखते हुए लिया गया है. नृपेंद्र मिश्रा ने मंदिर को लेकर आगे बताया कि, भक्तों को पहले मंडप तक पहुंचने में कम से कम 45 मिनट का समय लगेगा. उन्होंने कहा कि, राम मंदिर के निर्माण का पहला चरण दिसंबर तक पूरा हो जाएगी. इस समय मंदिर का ग्राउंड फ्लोर बनकर तैयार हो जाएगा. वह बोले कि मंदिर का निर्माण तीन एकड़ में हो रहा है.
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वहीं सुरक्षा व्यवस्था को लेकर नृपेंद्र मिश्रा कहा कि, मंदिर की सुरक्षा के लिए एक लेयर और बढ़ाई जाएगी. साथ ही उन्होंने बताया कि, इंफॉरर्मेशन और इंटेलिजेंस सिस्टम भी विकसित किया जा रहा है और इसके लिए गृह मंत्रालय की ओर से व्यवस्था की जा रही है व पूरे क्षेत्र की सुरक्षा व्यवस्था के लिए ब्लूप्रिंट तैयार कर लिया गया है. साथ ही मंदिर में आने वाले भक्तों की भीड़ के लिए भी नियंत्रण सिस्टम का ब्लूप्रिंट तैयार किया गया है. वहीं उन्होंने ये भी बताया कि, मंदिर में आने वाले श्रद्धालुओं की संख्या को 50 हजार, 1 लाख, 5 लाख और 10 लाख के आधार पर रख कर योजना बनाई गई है और भीड़ नियंत्रण को लेकर जो भी चुनौतियां आएंगी उससे निपटने की भी तैयारी की जा रही है. इसको लेकर सुरक्षा एजेंसी अपने स्तर पर प्लान तैयार करेंगी और फिर उसे मंदिर समिति के समक्ष रखेंगी.
नृपेंद्र मिश्रा ने राम मंदिर निर्माण को लेकर जानकारी दी कि, मंदिर के निर्माण में सामान्य सीमेंट का इस्तेमाल नहीं हुआ है और न ही स्टील का इस्तेमाल किया गया है. मुख्य रूप से मंदिर का निर्माण पत्थर से किया गया है. अगर राम मंदिर की नींव की बात करें तो इसकी गहराई 12 मीटर तक रखी गई है. उन्होंने जानकारी दी कि, नींव की अर्थ रिफिलिंग का काम इस तरह की टेक्नोलॉजी के जरिए किया गया है, जो 28 दिन में पत्थर में बदल जाता है. उन्होंने ये भी बताया कि, मंदिर के निर्माण के हर लेयर का काम पूरा होने के बाद उसके मजबूती की जांच भी कराई जाएगी और इसके बाद ही अगले लेयर के निर्माण का काम शुरू होगा. उन्होंने बताया कि अभी तक मंदिर निर्माण में 47 लेयर निर्माण हो चुका है. तो वहीं उन्होंने शोध पत्र को लेकर जानकारी दी और बताया कि, अब तक हुए कार्य को लेकर हम लोग शोध पत्र तैयार कर रहे हैं.
-भारत एक्सप्रेस
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