Ayodhya Ram Mandir: अयोध्या के भव्य राम मंदिर में रामलला विराजमान हो चुके हैं. इसी साल 22 जनवरी पीएम नरेंद्र मोदी ने रामलला की प्राण-प्रतिष्ठा की थी और इसी के बाद यानी 23 जनवरी से भक्तों के लिए मंदिर के पट खोल दिए गए थे तो तभी से लगातार हजारों की संख्या में राम भक्त मंदिर पहुंच रहे हैं. इसी बीच खबर सामने आ रही है कि, रामलला के सूर्य अभिषेक की योजना को आगे बढ़ाया गया है और इसको लेकर CBRI रुड़की के वैज्ञानिकों ने राम जन्मभूमि परिसर का दौरा किया है. राममंदिर निर्माण समिति की दो दिवसीय बैठक शुक्रवार को शुरू हुई थी जिसमें समिति के अध्यक्ष नृपेंद्र मिश्र और सीबीआरआई रुड़की के वैज्ञानिक भी अयोध्या में मौजूद रहे. वैज्ञानिकों ने नृपेंद्र मिश्र और मंदिर निर्माण की कार्यदायी संस्था के इंजीनियरों के साथ मंदिर परिसर का निरीक्षण किया.
बैठक में निर्माण कार्यों की समीक्षा भी की गई और इसी के साथ ही सूर्य की किरणों से रामलला के अभिषेक की योजना को गति देने को लेकर चर्चा हुई. बता दें कि रामलला के दिव्य-भव्य मंदिर निर्माण को लेकर केंद्रीय भवन अनुसंधान संस्थान ( CBRI) रुड़की के वैज्ञानिक को अहम जिम्मेदारी सौंपी गई है. उनकी ओर से राममंदिर की नींव के अलावा संरचनात्मक डिजाइन, सूर्य तिलक और संरचनात्मक स्वास्थ्य निगरानी का कार्य किया जा रहा है. इसी के साथ ही सीबीआरआई के वैज्ञानिक रामनवमी पर सूर्य रश्मियों से रामलला का तिलक करने की योजना पर लगातार काम कर रहे हैं. बैठक में इंजीनियरों ने नृपेंद्र मिश्र के सामने राममंदिर निर्माण की आगे की योजना का प्रजेंटेशन किया. परकोटा, तीर्थयात्री सुविधा केंद्र के निर्माण की प्रगति पर भी चर्चा हुई. साथ ही राममंदिर के ट्रस्टी डॉ. अनिल मिश्र, सीबीआरआई के निदेशक प्रो. आर प्रदीप कुमार, वैज्ञानिक डॉ. देबदत्ता घोष आदि मौजूद रहे.
बता दें कि राममंदिर निर्माण कार्य को अब आगे बढ़ाने का काम शुरू कर दिया गया है. अब शिखर बनने लगा है और जल्द ही दूसरे तल को लेकर भी काम शुरू कर दिया जाएगा. तो वहीं सूर्य किरणों के अभिषेक के लिए उपकरण कहां और कैसे लगाए जाएं, इसको लेकर वैज्ञानिकों ने मंथन शुरू कर दिया है और शुक्रवार को इसी को लेकर बैठक आहुत की गई. प्रत्येक साल रामनवमी के दिन प्रभु श्रीराम की प्रतिमा के मस्तक पर सूर्य रश्मियों से तिलक होगा. इस तरह से मंदिर को डिजाइन किया जा रहा है.
इसको लेकर तय किया गया है कि राममंदिर के तीसरी मंजिल से लेकर गर्भगृह में स्थापित रामलला की मूर्ति तक पाइपिंग और आप्टो मैकेनिकल सिस्टम से सूर्य की किरणें पहुंचाई जाएं.
इसके लिए उच्च गुणवत्ता के चार शीशे व चार लेंस का इस्तेमाल किया जाएगा. तो वहीं दो शीशे निचले तल पर लगाए जा चुके हैं और इसी के साथ ही दो शीशे तीसरी मंजिल पर लगाए जाएंगे. फिलहाल इस साल रामनवमी पर रामलला का सूर्य किरणों से अभिषेक हो पाएगा या नहीं, इसको लेकर अभी वैज्ञानिकों ने कुछ भी नहीं कहा है, लेकिन तैयारी जोरों पर है.
बता दें कि राम जन्म भूमि परिसर में अभी सप्त मंडपम का निर्माण शेष रह गया है. इसमें भगवान राम के समकालीन सात पात्रों के मंदिर बनाए जाने हैं. यानी इन सात मंदिरों में महर्षि वाल्मीकि, वशिष्ठ, अगस्त्य, विश्वामित्र, निषादराज, शबरी व अहिल्या के मंदिर बनाए जाएंगे. जल्द ही सप्त मंडपम का कार्य शुरू करने की तैयारी है. बैठक में सप्त मंडपम का निर्माण परिसर में किस स्थल पर होगा, इसको लेकर भी चर्चा हुई साथ ही इसकी डिजाइन, ड्राइंग आदि को लेकर मंथन किया गया.
-भारत एक्सप्रेस
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