Ayodhya Ram Mandir: अयोध्या में रामलला की प्राण प्रतिष्ठा और राम मंदिर उद्घाटन को लेकर तैयारी तेज गति से आगे बढ़ रही है. कार्यक्रम में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ ही देश भर के सैकड़ों वीवीआईपी मौजूद रहेंगे. इसी बीच खबर सामने आ रही है कि रामलला की प्राण प्रतिष्ठा के लिए 22 जनवरी को निकाला गया मूहूर्त न केवल देश बल्कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के लिए भी अति शुभ है. रामलला की प्राण-प्रतिष्ठा 84 सेकेंड के सूक्ष्म मुहूर्त में होगी. ज्योतिषाचार्यों की मानें तो पंच बाण से मुक्त ये मुहूर्त भारत के लिए संजीवनी का काम करेगा. रामलला की प्राण प्रतिष्ठा भारत के विश्वगुरु बनने की राह को प्रशस्त करेगी. आचार्यों ने मीडिया को बाताया है कि ग्रहों की अनुकूलता प्राण प्रतिष्ठा के मुहूर्त को संपूर्ण भारत के लिए कल्याणकारी बना रहा है.
अगर ज्योतिषाचार्यों की मानें तो 22 जनवरी को जिस समय रामलला की प्राण-प्रतिष्ठा होगी, उस समय अथवा मुहूर्त देश के साथ ही इस प्राण प्रतिष्ठा के यजमान पीएम नरेंद्र मोदी के लिए भी अति लाभकारी है. राममंदिर में रामलला की प्राण प्रतिष्ठा के लिए देश भर से 5 मुहूर्त प्रस्तावित किए गए थे, राममंदिर तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट ने अंत में गीर्वाणवाग्वर्धिनी सभा और काशी के विद्वानों पर अंतिम निर्णय छोड़ दिया. बता दें कि राम लला की प्राण-प्रतिष्ठा सहित अयोध्या में होने वाले सभी कर्मकांड की पूरी जिम्मेदारी काशी के वैदिक ब्राह्मणों को सौंपी गई है. रामलला की पूजा के लिए काशी से ही हवन, पूजन और प्राण प्रतिष्ठा समारोह की सामग्री अयोध्या आएगी.
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मीडिया सूत्रों के मुताबिक, 26 दिसंबर को काशी के ब्राह्मणों का पहला जत्था रवाना होगा. इसके साथ ही यज्ञ कुंड व पूजन मंडप का कार्य भी आरंभ हो जाएगा. प्राण प्रतिष्ठा समारोह में चारों वेदों के साथ ही कृष्ण यजुर्वेदीय शाखा के 51 वैदिक ब्राह्मण काशी से रवाना होंगे और रामलला की प्राण प्रतिष्ठा 84 सेकेंड के सूक्ष्म मुहूर्त में होगी. बताया जा रहा है कि पंच बाण से मुक्त ये मुहूर्त भारत के लिए संजीवनी का काम करेगा और रामलला की प्राण प्रतिष्ठा भारत के विश्वगुरु बनने की राह को प्रशस्त करेगी. ग्रहों की अनुकूलता प्राण प्रतिष्ठा के मुहूर्त को संपूर्ण भारत के लिए कल्याणकारी बना रहा है.
ज्योतिषाचार्यों की मानें तो राममंदिर में रामलला की प्राण प्रतिष्ठा के लिए देश भर से 5 मुहूर्त प्रस्तावित किए गए थे. राममंदिर तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट ने अंत में गीर्वाणवाग्वर्धिनी सभा और काशी के विद्वानों पर अंतिम निर्णय छोड़ दिया था, जिसमें से सबसे अधिक शुभ मुहूर्त 22 जनवरी का सही समझा गया और फिर इसे ही निर्धारित किया गया. मिली जानकारी के मुताबिक, देश भर के विद्वानों की ओर से 17, 21, 24, 25 जनवरी का प्राण प्रतिष्ठा का मुहूर्त दिया गया था. उनमें से काशी के ज्योतिषाचार्य पंडित गणेश्वर शास्त्री द्राविड़ ने एक मुहूर्त चुना है. 22 जनवरी की यह तिथि पांच बाण अग्नि बाण, मृत्यु बाण, चोर बाण, नृप बाण और रोग बाण से पूरी तरह से मुक्त है. इसके कारण यह देश के लिए संजीवनी योग का निर्माण कर रही है. मुहूर्त को लेकर काशी विश्वनाथ धाम के लोकार्पण और राममंदिर के शिलान्यास का मुहूर्त निकालने वाले पं. गणेश्वर शास्त्री द्राविड़ ने बताया कि मेष लग्न में वृश्चिक नवांश में अभिजीत मुहूर्त में श्रीरामजन्मभूमि में रामलला की मूर्ति स्थापना के लिए अतिसूक्ष्म मुहूर्त है. ये दोपहर में 12 बजकर 29 मिनट आठ सेंकेंड से 12 बजकर 30 मिनट 32 सेकेंड तक 84 सेकेंड का है.
गीर्वाणवाग्वर्धिनी सभा के परीक्षाधिकारी मंत्री पं. गणेश्वर शास्त्री द्राविड़ ने मीडिया को जानकारी दी कि 22 जनवरी को अभिजीत मुहूर्त में प्राण प्रतिष्ठा करने से रामजी की राज्यवृद्धि होगी अर्थात नीति के अनुसार शासन कार्य चलेगा. प्राण प्रतिष्ठा मुहूर्त पर देश भर से आई आपत्तियों को गीर्वाणवाग्वर्धिनी सभा ने खारिज कर दिया है. उन्होंने कहा कि राममंदिर तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के स्वामी गोविंद देव गिरि महाराज ने मुहूर्त पर आई आपत्तियों के निराकरण के लिए काशी गीर्वाणवाग्वर्धिनी सभा को पत्र लिखा था. सभा ने आपत्तियों को खारिज करते हुए 22 जनवरी के मुहूर्त को सर्वाधिक शुभ बताया है.
पं. गणेश्वर शास्त्री द्राविड़ ने आगे बताया कि रामजी का जन्मनक्षत्र पुनर्वसु है. इससे गणना करने पर तृतीय पर्यय में रोहिणी नक्षत्र रामजी को वधतारा पड़ती है. वहीं प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के लिए मृगशिरा नक्षत्र के तीसरे चरण में कोई दोष नहीं है. रामजी के लिए मृगशीर्ष मैत्र तारा है जो कि प्रधानमंत्री के लिए शुभ है. उन्होंने बताया कि सोमवार को प्राण प्रतिष्ठा होने से प्रधानमंत्री की प्रतिष्ठा में उत्तरोत्तर वृद्धि का योग बन रहा है. सोमवार, मृगशीर्ष नक्षत्र और पंचबाण से मुक्त होने पर प्राण प्रतिष्ठा की का मुहूर्त संजीवनी योग निर्मित कर रहा है.
बता दें कि रामलला की प्राण-प्रतिष्ठा के कर्मकांड की पूरी जिम्मेदारी काशी के वैदिक ब्राह्मणों को सौंपी गई है. रामलला के पूजन के लिए सामग्री भी काशी से ही अयोध्या जाएगी. 26 दिसंबर को काशी के ब्राह्मणों का पहला जत्था अयोध्या पहुंचेगा और इसी के साथ ही यज्ञ कुंड व पूजन मंडप का कार्य भी आरंभ हो जाएगा. प्राण प्रतिष्ठा समारोह में चारों वेदों के साथ ही कृष्ण यजुर्वेदीय शाखा के 51 वैदिक ब्राह्मण काशी से अयोध्या पहुंचेंगे.
पं. अरुण दीक्षित ने कार्यक्रम को लेकर बताया कि प्राणप्रतिष्ठा मुहूर्त को भव्य बनाने के लिए और कोई भी पूजा छूट न जाए, इसलिए ग्रंथों के अध्ययन के साथ ही देश भर के विद्वानों से संपर्क किया जा रहा है. रामलला की प्राणप्रतिष्ठा के लिए अयोध्या में आठ तरह के मंडप का निर्माण किया जाएगा. उन्होंने आगे बताया कि, काशी से अयोध्या जाने वाले वैदिक चारों वेदों का पारायण करेंगे. इसके साथ ही काशी से 108 कलश पंचगव्य, 10 तरह की समीधा, सहस्त्रछिद्राभिषेक के लिए घड़ा, तीर्थों का जल, नवरत्न, पंचरत्न, पारा और सप्तधान्य अयोध्या पूजन के लिए जाएगा.
मालूम हो कि प्राण प्रतिष्ठा का कार्यक्रम कर्मकांडी पं. लक्ष्मीकांत दीक्षित के आचार्यत्व में होगा. उनके सानिध्य में ही देश भर के 121 वैदिक ब्राह्मण प्राण प्रतिष्ठा मुहूर्त को संपन्न कराएंगे. उन्हें कांची के शंकराचार्य शंकर जयेंद्र सरस्वती ने इसके लिए चुना है. उल्लेखनीय है कि, प्राण प्रतिष्ठा की शुरुआत 16 जनवरी को सरयू की जलयात्रा के साथ होगी. पहले दिन भगवान की मूर्ति को नगर भ्रमण कराया जाएगा. तो वहीं 17 जनवरी को गणेश पूजन के साथ ही प्राण प्रतिष्ठा समारोह की शुरूआत हो जाएगी. 22 जनवरी को अभिजीत मुहूर्त में प्राण प्रतिष्ठा होगी और इस दौरान रामलला की पहली आरती प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी उतारेंगे.
-भारत एक्सप्रेस
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