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बालासोर ट्रेन हादसा हो या भागलपुर पुल का ढहना… जारी है नॉन स्टॉप ‘पॉलिटिक्स’

Opposition on Balasore Accident: ओडिशा के बालासोर ट्रेन हादसे में 275 लोगों की मौत हो गई है. इस हादसे के तुरंत बाद से विपक्ष केंद्र सरकार पर हमलावर है. कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष ने पीएम मोदी को 5 सवालों वाला पत्र सौंपा है. लेकिन, केंद्र सरकार ने इस हादसे की जांच सीबीआई को सौंप दी है. वहीं बिहार के भागलपुर में 1700 करोड़ की लागत का पुल ढह गया है. जिस पर नीतीश सरकार ने जांच बैठा दी है. चाहे घटना ओडिशा के बालासोर की हो या बिहार की. राजनीति नॉन स्टॉप जारी है.

दाल में कुछ काला है- ममता

हादसे के बाद से तमाम विपक्षी पार्टी केंद्र सरकार को घेरने में जुटी है. मोदी सरकार के कवच सिस्टम को लेकर विपक्षी पार्टी सियासी हवा को मोड़ दे रही है. पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने कहा कि दाल में कुछ काला है. उन्होंने कहा कि अकेले उनके राज्य में ही 61 की मौत हुई है और 182 लोग लापता हैं. उन्होंने कहा कि मुझे रेल मंत्री का इस्तीफा नहीं चाहिए. जो सच है सामने आए.

वहीं, कांग्रेस ने केंद्र पर रेल यात्रियों की सुरक्षा पर ध्यान न देकर उनकी जिंदगी से खिलवाड़ करने का आरोप लगाया है और सीबीआई जांच की मांग के लिए रेलवे पर निशाना साधते हुए कहा कि एजेंसी अपराधों की जांच करने के लिए है न कि रेल दुर्घटनाओं की. कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने पीएम मोदी को लिखा कि जांच एजेंसी तकनीकी, संस्थागत और राजनीतिक विफलताओं के लिए जवाबदेही तय नहीं कर सकती है. वहीं, कांग्रेस ने कहा है कि कहां गया कवच सिस्टम, जिसको लेकर बड़े-बड़े दावे किए जा रहे थे.

बिहार में पुल गिरने से उफान पर सियासत

भागलपुर में गंगा नदी में बन रहे पुल गिरने को लेकर बीजेपी ने सीएम नीतीश कुमार पर हमला बोला है. बीजेपी ने एक बयान जारी करके कहा कि बिहार के भागलपुर में गंगा नदी पर बन रहा है पुल जिस तरह से भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ा है. इस पुल के गिरने से सीएम नीतीश कुमार और उनकी सरकार के भ्रष्टाचार का प्रमाण लेकर सामने आया है. ये कई सवाल पैदा करता है. वहीं, सुशील मोदी ने कहा है कि जो लोग बालासोर ट्रेन दुर्घटना की जिम्मेदारी पीएम मोदी को लेने के लिए कह रहे थे, क्या वो लोग इसकी जिम्मेदारी लेंगे?

 

यह भी पढ़ें:  “मोहब्बत की दुकान नहीं नफरत का शॉपिंग मॉल खोल रही है कांग्रेस”, जेपी नड्डा ने राहुल गांधी पर साधा निशाना

बता दें कि भारतीय रेलवे का करीब 170 वर्ष पुराना इतिहास है. दुनिया के सबसे बड़े रेल नेटवर्क में से एक भारतीय रेलवे में अलग-अलग पदों पर बड़ी संख्या में पेशेवर लोग बैठे हुए हैं. हालांकि, इस संगठन को एक समस्या का सामना करना पड़ा है. वो है ट्रेनों का राजनीतिकरण. यह एक ऐसा चलन है जो पिछले कुछ वर्षों में तेजी से बढ़ा है. इससे राजनीतिक लाभ निकालने की कोशिश की गई है.

अलग-अलग पटरियों की ट्रेनें आपस में टकराईं

गौरतलब है कि ओडिशा के बालासोर के बहनगा बाजार स्टेशन पर शुक्रवार की देर शाम तीन अलग-अलग पटरियों की ट्रेनें आपस में टकरा गईं. कोरोमंडल एक्सप्रेस बहनगा स्टेशन क्रॉस करने वाली थी, तब गाड़ी अचानक लूप लाइन में चली गई, जहां मालगाड़ी खड़ी थी. इसके बाद इतनी भीषण टक्कर हुई कि कोरोमंडल एक्सप्रेस का इंजन मालगाड़ी के ऊपर चढ़ गया. टकराने के बाद कोरोमंडल एक्सप्रेस की बोगियां दूसरी मेन लाइन पर गिर गई, जो डाउन लाइन है. उस पर बेंगलुरु-हावड़ा एक्सप्रेस आ रही थी और ये पटरी पर गिरी बोगी को चीरते हुए निकल गई.

-भारत एक्सप्रेस

Rakesh Kumar

Sr. Sub-Editor

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