Banda News: वैसे तो करीब-करीब हर रोज सरकारी अस्पतालों की कुछ न कुछ खामियां सामने आती ही रहती हैं. कभी घूस लेने का वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल होता है तो कभी किसी मरीज का ठीक से इलाज न करने का आरोप लगता है, लेकिन बांदा के जिला अस्पताल में तो डाक्टरों ने मरे हुए को जिंदा बता दिया और जिंदा को मरा हुआ और कागजों में जमकर खेल किया. ये मामला सामने आने के बाद पीड़ित को सुनकर दंग ही रह गए.
दरअसल जिला अस्पताल में कर्मियों और डॉक्टर ने जिस महिला को वार्ड में भर्ती कर इलाज किया था उसकी रजिस्टर पर इंट्री तक नहीं की. ये मामला तब खुला जब महिला की मौत के बाद परिजन प्रमाणपत्र बनवाने के लिए पहुंचे. बस यहीं पर डाक्टरों की लापरवाही का पेच फंस गया तो दूसरी ओर अपनी गलती छुपाने के लिए डॉक्टर ने जिंदा मरीज के बीएचटी (बेड हेड टिकट) नंबर पर मृत मरीज की इंट्री कर दी. हालांकि जांच में लापरवाही पाए जाने पर सम्बंधित डॉक्टर और कर्मचारियों को चेतावनी जारी की गई है.
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मीडिया सूत्रों के मुताबिक, 27 मई को जरैली कोठी निवासी कल्लू खां की पत्नी मुन्नी बेगम के सीने में दर्द उठा. उस पर उनको जिला अस्पताल में भर्ती कराया गया. यहां ओपीडी पर्चे के आधार पर उसे भर्ती कर लिया गया और इलाज शुरू हुआ, लेकिन करीब 45 मिनट बाद उनकी मौत हो गई. इसके बाद डॉक्टरों ने मृत्यु प्रमाण पत्र बनवाने के लिए परिजनों को एक पर्ची थमा दी थी. इस पर अगस्त महीने में परिजन जब मृत्यु प्रमाण पत्र बनवाने के लिए अस्पताल पहुंचे और यहां पर बीएचटी नंबर का जिक्र हुआ तो डाक्टरों की लापरवाही सामने आ गई. क्योंकि परिजन जब बीएचटी नम्बर लेने पहुंचे तो जिला अस्पताल के रिकॉर्ड में मुन्नी का बीएचटी नंबर मिला ही नहीं. इसके बाद डॉक्टरों ने अपनी गलती को छिपाने के लिए 27 मई की रात को जिंदा मरीज जमालपुर निवासी बरातीलाल का बीएचटी नंबर 12428 पर मुन्नी को भर्ती दिखा दिया और खुद को बचाने की पूरी कोशिश की, लेकिन लापरवाही उजागर हो गई.
इसके बाद मुन्नी का मृत्यु प्रमाण पत्र जारी हुआ और जिंदा मरीज के बीएचटी नम्बर पर मृत्यु प्रमाण पत्र बनाया गया. इस मामले के सामने आने के बाद अस्पताल में हड़कम्प मच गया. बात सीएमएस तक पहुंची तो उन्होंने जांच कराई और डॉक्टर की लापरवाही पकड़ी गई. इस पर उन्होंने चेतावनी जारी की और कहा कि, भविष्य में इस तरह की लापरवाही न की जाए. इस पूरे मामले को लेकर जिला अस्पताल बांदी के सीएमएस डाय एसएन मिश्र ने कहा कि, इस प्रकरण में जांच कराए जाने पर डॉक्टर की लापरवाही सामने आई है. उनको चेतावनी जारी कर दी गई है तो वहीं बताया कि, जब मृत्यु प्रमाणपत्र जारी किया जा रहा था तब उन्होंने बीएचटी नंबर में क और ख करके इंट्री करने के लिए कहा था, लेकिन उसी नंबर पर भर्ती जारी कर दी गई. ये मामला पुराना है. उन्होंने बताया कि इस मामले की जांच वह खुद ही कर रहे हैं.
-भारत एक्सप्रेस
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