बांग्लादेश की आजादी के लिए 1971 में लड़े गए युद्ध में बर्बरता की सारी हदें टूट गई थीं. इस युद्ध में भले ही पाकिस्तान को करारी शिकस्त का सामना करना पड़ा हो, लेकिन युद्ध के दौरान पाकिस्तानी सैनिकों ने मानवता की सारी हदों को पार कर दिया था. इस युद्ध में जमकर लोगों का खून बहा था, बड़े पैमाने पर कत्ल किए गए और करीब 2 लाख महिलाओं का रेप किया गया था.
इस युद्ध में मिली जीत के बाद बांग्लादेश का एक मुल्क के तौर जन्म हुआ, इस युद्ध में बांग्लादेश की आजादी के लिए सिर्फ सैनिक ही नहीं लड़ रहे थे, बल्कि दूसरी ओर महिलाएं भी अपनी गरिमा और मान-सम्मान बचाने के लिए जंग लड़ रही थीं. ये युद्ध शेख मुजीबुर्रहमान की अगुवाई में लड़ा गया था.
इस युद्ध के दौरान पाकिस्तानी सेना ने तकरीबन 2 लाख बंगाली महिलाओं का रेप किया था. 25 मार्च 1971 से शुरू हुआ ये युद्ध 16 दिसंबर 1971 तक चला था. इस युद्ध में 30 लाख लोगों की मौत हुई थी. एक करोड़ लोगों को विस्थापित होना पड़ा था.
बांग्लादेश की आजादी के लिए लड़े गए इस युद्ध के दौरान हुई यौन हिंसा को आधुनिक इतिहास में सामूहिक बलात्कार का सबसे बड़ा मामला बताया जाता है. आज तक में छपी रिपोर्ट में 1971 में युद्ध के दौरान रेप की राजनीति पर रिसर्च कर चुकीं मानवविज्ञानी नयनिका मुखर्जी के हवाले से लिखा गया है कि युद्ध के दौरान महिलाओं से बलात्कार एक तरह से राजनीतिक हथियार बन जाता है. जो जीत के राजनीतिक हथकंडे के समान है.
बीते कुछ दशकों में 1971 के इस भीषण युद्ध की बर्बरता की वास्तविकता का इतिहासकारों और लेखकों ने दस्तावेजीकरण किया है. जिसमें बंगाली महिलाओं की भयावह परिस्थितियों को उजागर किया है. इन दस्तावेजों में पाकिस्तानी सेना की ओर से बनाए गए रेप कैंपों का भी जिक्र किया गया है. इन कैंपों में बंगाली महिलाओं पर जमकर अत्याचार किया जाता था. उन्हें कई-कई दिनों तक भूखा रखने के साथ ही पाकिस्तानी सैनिक बार-बार रेप करते थे, जिसकी वजह से तमाम महिलाओं ने इन कैंपों में ही दम तोड़ दिया.
ऑस्ट्रेलिया की एक डॉक्टर जेफ्री डेविस ने दिए गए एक इंटरव्यू में इस युद्ध के दौरान महिलाओं के साथ हुई हैवानियत के बारे में बताया था. उन्होंने कहा था कि युद्ध के बाद बंदी बनाए गए पाकिस्तानी सैनिकों ने खुद बताया था कि तत्कालीन पाकिस्तानी आर्मी चीफ टिक्का खान के आदेश पर बंगाली महिलाओं का रेप किया जाता था.
डॉक्टर जेफ्री डेविस को युद्ध खत्म होने के बाद अबॉर्शन कराने के लिए बांग्लादेश लाया गया था. उनका कहना था कि एक दिन में करीब 100 महिलाओं का गर्भपात कराया जाता था.
-भारत एक्सप्रेस
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