UP News: उत्तर प्रदेश के आगरा जिले से अस्पतालों को लेकर फर्जीवाड़े से जुड़ी बड़ी खबर सामने आ रही है. सूत्रों के मुताबिक यहां एक डॉक्टर के नाम से कई अस्पतालों के रजिस्ट्रेशन होने के मामले में खुलासा होने के बाद स्वास्थ्य विभाग में ऐसे ही 15 डॉक्टर चिह्नित किए हैं, जिनके नाम से आगरा सहित आस-पास के जिलों में 449 अस्पताल और पैथॉलजी लैब रजिस्टर्ड मिले हैं. फिलहाल स्वास्थ्य विभाग ने अब इसको लेकर जांच बिठा दी है.
सूत्रों के मुताबिक यूपी के आगरा जिले में पंजीकृत 1269 चिकित्सकीय संस्थानों का साल 2023-24 के लिए ऑनलाइन लाइसेंस नवीनीकरण को लेकर अभियान चलाया जा रहा है. इसी दौरान जब 15 डॉक्टरों के नाम से 449 अस्पताल और पैथोलॉजी रजिस्ट्रेशन की जानकारी सामने आई तो पूरे स्वास्थ्य विभाग में हड़कम्प मच गया. इसके बाद जब और जानकारी जुटाई गई तो मालूम हुआ कि, यह सभी संस्थान आगरा, मथुरा से लेकर फिरोजाबाद, अलीगढ़, एटा, हाथरस, मैनपुरी, इटावा, मेरठ और कानपुर समेत कई जिलों में स्थित हैं. सबसे बड़ी बात कि ये सभी डाक्टर इन अस्पतालों में पूर्णकालिक सेवाएं देना भी दर्शा रहे हैं. जबकि स्वास्थ्य विभाग के नियमों के मुताबिक एक डॉक्टर एक ही अस्पताल में पूर्णकालिक सेवाएं दे सकता है.
इस पूरे मामले को लेकर स्वास्थ्य विभाग की टीम ने जब आगे जांच की तो मालूम हुआ कि डॉ. मनीष कुमार वार्ष्णेय के नाम से 65 अस्पताल पंजीकृत हैं. केवल आगरा में ही इस नाम से 7 अस्पताल चल रहे हैं. ठीक इसी तरह डॉ. राकेश कुमार के नाम से 52 अस्पताल पंजीकृत पाए गए हैं. इनमें से पांच आगरा में ही हैं. इसी के साथ डॉक्टर अशोक कुमार के नाम भी 37 अस्पताल रजिस्टर्ड मिले हैं, जो कि इनमें से 6 तो आगरा में ही संचालित हैं. फिलहाल इस पूरे मामले में स्वास्थ्य विभाग की टीम आगे की जांच कर रही है.
पूरे मामले को लेकर सीएमओ डॉक्टर अरुण श्रीवास्तव ने मीडिया को जानकारी दी कि सत्यापन के दौरान 15 डॉक्टरों के नाम से कई जिलों में 449 अस्पताल पंजीकृत पाए गए हैं. इनमें से कई की तो एनएमसी पंजीकरण संख्या भी एक ही समान है. जबकि नियमानुसार एक डॉक्टर एक ही अस्पताल में सेवा दे सकता है. फिलहाल इस पूरे मामले की ब्योरा तलब किया गया है और इस सूची अब शासन को भेजी जाएगी. वहीं आईएमए अध्यक्ष डॉक्टर ओपी यादव ने मीडिया को जानकारी दी कि, सीएमओ ने जानकारी दी है कि एक डॉक्टर के नाम से कई अस्पताल पंजीकृत मिले हैं. उन्होंने कहा कि, इलाज को धंधा बना देने वाले और मरीजों की जान से खिलवाड़ करने व लापरवाही बरतने वाले चिकित्सकों के खिलाफ सरकार को सख्त कार्रवाई करनी चाहिए.
-भारत एक्सप्रेस
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