जस्टिस यसवंत वर्मा. (फाइल फोटो)
दिल्ली हाईकोर्ट के जज जस्टिस यशवंत वर्मा के घर के अंदर का एक वीडियो सामने आया है, जिसमें साफ दिखाई दे रहा है कि अधजले नोट पड़े हुए हैं. इस मामले की गंभीरता को देखते हुए जांच के लिए एक विशेष समिति का गठन किया गया है. इन तस्वीरों को सुप्रीम कोर्ट ने की वेबसाइट पर जारी किया गया है.
इस मामले से संबंधित एक रिपोर्ट भी प्रकाशित की गई है. रिपोर्ट में बताया गया है कि जिस कमरे में आग लगी थी, वहां आग बुझने के बाद 4-5 अधजली बोरियां पाई गईं. इन बोरियों में भारतीय मुद्रा के अवशेष मिले हैं.
सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले की जांच के लिए तीन सदस्यीय समिति बनाई है. इस समिति में पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस शील नागू, हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस जी.एस. संधावालिया और कर्नाटक हाईकोर्ट की जज जस्टिस अनु शिवरामन शामिल हैं. साथ ही, दिल्ली हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस को निर्देश दिया गया है कि फिलहाल जस्टिस यशवंत वर्मा को कोई न्यायिक कार्य न सौंपा जाए.
जस्टिस यशवंत वर्मा ने अपने ऊपर लगे आरोपों को पूरी तरह से खारिज किया है. उन्होंने कहा है कि उनके या उनके परिवार के किसी भी सदस्य ने स्टोर रूम में कभी नकदी नहीं रखी. जस्टिस वर्मा ने इसे उनके खिलाफ रची गई साजिश बताया है.
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दिल्ली हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस को दिए अपने लिखित जवाब में जस्टिस वर्मा ने कहा कि उन्हें फंसाने और उनकी छवि खराब करने के इरादे से यह झूठे आरोप लगाए गए हैं. उन्होंने यह भी दावा किया कि न तो उन्हें जली हुई नोटों की कोई बोरी दिखाई गई और न ही उनके पास कोई ऐसी चीज सौंपी गई है.
-भारत एक्सप्रेस
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