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India-Canada Tensions: टारगेट किलिंग, एक्सटॉर्शन, टेरर फंडिंग… कनाडा का ‘संत’ निज्जर भारत का बड़ा गुनहगार

India-Canada Tensions: खालिस्तानी आतंकवादी हरदीप सिंह निज्जर की हत्या पर कनाडा के साथ बढ़ते तनाव के बीच, भारत ने आतंकी संगठनों के साथ उसके संबंधों को लेकर एक विस्तृत डोजियर तैयार किया है. निज्जर को संत बताने वाले कनाडाई पीएम जस्टिन ट्रूडो को उसके खालिस्तानी आतंकी होने के सबूत दिए जाएंगे. डोजियर से यह भी पता चला कि निज्जर पहले भारत से भाग कर कनाडा गया और जाली पासपोर्ट के आधार पर नागरिकता हासिल कर ली. इसके बाद, उसने कनाडा में आतंकी तंत्र चलाना शुरू कर दिया. इतना ही नहीं वो पाकिस्तानी आतंकवादियों से सीधे संपर्क में था. जिस निज्जर के लिए कनाडा ने भारत के साथ संबंध खराब किए हैं उसने अतित में टारगेट किलिंग, एक्सटॉर्शन, टेरर फंडिंग जैसे कई गुनाह किए हैं.

निज्जर ने अतीत में किए हैं कई गुनाह

भारतीय खुफिया एजेंसियों के डोजियर के अनुसार, निज्जर खालिस्तान कमांडो फोर्स (KCF) के आतंकवादी गुरदीप सिंह का करीबी था. गुरदीप सिंह वही आतंकी है जिसने 1980 के दशक के अंत और 1990 के दशक की शुरुआत में पंजाब में 200 से अधिक हत्याओं को अंजाम दिया था. एक वक्त में गुरदीप मौत का दूसरा नाम बन गया था.

डोजियर के मुताबिक, हरदीप सिंह निज्जर पंजाब के जालंधर के गांव भार सिंह पुरा का रहने वाला था. शुरुआती दिनों से ही उसके गुंडों से दोस्ती थी. कहा जाता है कि गुरनेक सिंह नेका ने उसे गैंगस्टर बनने की नसीहत दी थी. साल 1996 में जब खालिस्तानी संगठन के साथ उसके संबंधों और आपराधिक गतिविधियों की जांच की जा रही थी तो वो फर्जी तरीके से कनाडा भाग गया.

रिपोर्ट के अनुसार, निज्जर ने रवि शर्मा के नाम का इस्तेमाल करके कनाडा में नागरिकता हासिल करने की कोशिश की. 1997 में, निज्जर की शरण याचिका को कनाडाई अधिकारियों ने खारिज कर दिया था. याचिका खारिज होने के कुछ ही दिनों बाद उसने कनाडाई महिला से शादी कर ली, जिसके बाद उसे कनाडा का नागरिकता मिल गया.

यह भी पढ़ें: कनाडा की एजेंसियों के नाक के नीचे खालिस्तानियों का ‘मानव तस्करी’ का खेल

पाकिस्तान में जगतार सिंह तारा से मुलाकात

डोजियर में बताया गया है कि शुरुआत में निज्जर कनाडा में एक ट्रक ड्राइवर था, लेकिन 2012 में निज्जर ने पाकिस्तान का दौरा किया और बब्बर खालसा इंटरनेशनल (BKI) के प्रमुख जगतार सिंह तारा से मुलाकात की. बीकेआई भारत में एक नामित आतंकवादी संगठन है और माना जाता है कि इसका पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी आईएसआई के साथ घनिष्ठ संबंध है. जगतार सिंह तारा ने कथित तौर पर पाकिस्तान में निज्जर को हथियार और आईईडी की ट्रेनिंग दी.

2013 में, तारा ने निज्जर को हाथ से चलने वाले जीपीएस चलाने का प्रशिक्षण देने के लिए अमेरिका से हरजोत सिंह बिरिंग को कनाडा भेजा. इसके बदले में निज्जर ने तारा को दस लाख पाकिस्तानी रुपये भेजे. 2014 में, निज्जर ने हरियाणा में डेरा सच्चा सौदा मुख्यालय पर आतंकी हमले की योजना बनाई. भारत ने निज्जर को इंडिया नहीं आने दिया. इससे योजना विफल हो गई. डोजियर में बताया गया है कि निज्जर, टेरर फाइनेंसिंग, बॉर्डर पार से ड्रग्स और हथियारों की स्मगलिंग भी करता रहा है.

नवंबर 2014 में, इंटरपोल ने हत्या और आतंक के एक दर्जन से अधिक मामलों की साजिश रचने के लिए निज्जर के खिलाफ रेड कॉर्नर नोटिस (RCN) जारी किया. मामलों की जानकारी कनाडाई अधिकारियों के साथ साझा किया गया था लेकिन कोई कार्रवाई नहीं की गई. साथ ही, आरसीएन के बावजूद, कनाडाई अधिकारियों ने उसे नो-फ्लाई लिस्ट में डालने के अलावा कोई कार्रवाई नहीं की. डोजियर के मुताबिक, कनाडा की निष्क्रियता ने भारत में निज्जर की आतंकवादी गतिविधियों को और बढ़ावा दिया.

2014 में, निज्जर ने पंजाब के पूर्व शीर्ष पुलिस अधिकारी मोहम्मद इज़हार आलम और पंजाब के राजनीतिक नेताओं निशांत शर्मा और बाबा मान सिंह जी पिहोवा वाले को निशाना बनाने के लिए साजिश रची. 2015 में, निज्जर और तारा ने पंजाब में आतंकी हमले की योजना बनाई और कनाडा में एक गिरोह खड़ा किया जिसमें मनदीप सिंह धालीवाल, सरबजीत सिंह, अनुपवीर सिंह और दर्शन सिंह फौजी शामिल थे.

जब KTF चीफ बना निज्जर

दिसंबर 2015 में उन्हें ब्रिटिश कोलंबिया, कनाडा में हथियारों का प्रशिक्षण दिया गया था. उसी साल, तारा को भारत लाया गया. इसके बाद निज्जर खालिस्तान टाइगर फोर्स (KTF) का चीफ बन गया. अप्रैल 2021 में, निज्जर “बैसाखी जत्था” के बहाने फिर पाकिस्तान का दौरा किया. निज्जर एक प्रतिबंधित आतंकवादी संगठन सिख्स फॉर जस्टिस से भी जुड़ा था. उसने कनाडा में हिंसक भारत विरोधी विरोध प्रदर्शन भी आयोजित किया था और भारतीय राजनयिकों को धमकी दी थी. डोजियर के मुताबिक, निज्जर ने 2020 में मनोहर लाल अरोड़ा और जतिंदरबीर सिंह अरोड़ा की हत्या कराई थी. उसने हत्यारों को कनाडा से पैसे भेजे थे.

-भारत एक्सप्रेस

 

 

Rakesh Kumar

Sr. Sub-Editor

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