Chandrayaan-3 Rover: भारत का चंद्रयान-3 चांद के साउथ पोल पर उतरने के साथ ही इतिहास रच चुका है. लैंडर के लैंड करने के बाद रोवर प्रज्ञान भी बाहर आ चुका है और अपना काम शुरू कर चुका है. रोवर (Rover Pragyan) चंद्रमा के रहस्यों के बारे में जानकारी जुटाने लगा है. इस बीच इसरो (ISRO) ने एक वीडियो जारी किया है जिसमें ‘प्रज्ञान’ चांद पर चहल-कदमी करते देखा जा सकता है. रोवर के बाहर निकलने के बाद उसमें लगे सारे उपकरण ऑन कर दिए गए हैं और अब वह अपने काम में जुट गया है.
इसके पहले, इसरो ने शुक्रवार को रोवर प्रज्ञान के लैंडर से बाहर आने का वीडियो शेयर किया था. साथ ही इसरो (ISRO) ने बताया था कि रोवर ने लगभग 8 मीटर की दूरी सफलतापूर्वक तय कर ली है. रोवर पेलोड LIBS और APXS चालू हैं. प्रोपल्शन मॉड्यूल, लैंडर मॉड्यूल और रोवर पर सभी पेलोड नॉमिनली परफॉर्म कर रहे हैं.
23 अगस्त को भारत का चंद्रयान-3 चांद के साउथ पोल पर उतरने के साथ ही इतिहास रच चुका था. चंद्रयान-3 की चांद पर लैंडिंग कई मायनों में महत्वपूर्ण है. चंद्रयान-2 साल 2019 में चांद पर उतरने से चूक गया था लेकिन इसरो के वैज्ञानिकों ने हार नहीं मानी और चार साल के बाद वह कर दिखाया, जिसकी पूरी दुनिया भर में तारीफ हो रही है.
लैंडर और रोवर का निर्माण सिर्फ 14 दिनों के लिए ही किया गया है. हालांकि, इसरो के वैज्ञानिक यह भी मानते हैं कि विक्रम और प्रज्ञान चंद्रमा पर सूर्योदय के बाद फिर से पुनर्जिवित हो सकते हैं. अगर ऐसा होता है तो यह इसरो और धरती के लोगों के लिए एक बोनस होगा. कुल मिलाकर यह समझना होगा कि विक्रम और प्रज्ञान को सिर्फ 14 दिनों का ही जीवन दिया गया है.
क्या ये वापस धरती पर लौटेंगे? इसका जवाब है नहीं. विक्रम और प्रज्ञान अब धरती पर वापस नहीं आएंगे. ये अब चंद्रमा पर ही रहेंगे. ये अपनी मौजूदगी से भारत के सफल मिशन की चांद की सतह पर हर पल गवाही देंगे. 1752 किलोग्राम वजनी विक्रम और 26 किलोग्राम वजनी प्रज्ञान चंद्रमा की तसह पर ही रहेंगे.
-भारत एक्सप्रेस
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