देश में छात्रों के आत्महत्या करने के मामलों में हो रही बढ़ोतरी काफी चिंताजनक है. जिसको लेकर देश के चीफ जस्टिस ने चिंता जाहिर की है. उन्होंने कहा की बच्चों द्वारा की जा रही आत्महत्या एक बहुत ही गंभीर सामाजिक मुद्दा है. CJI चंद्रचूड़ ने देश में आत्महत्या की रोकथाम के लिए केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय द्वारा किए जा रहे प्रयासों को लेकर हलफनामा दाखिल करने का आदेश दिया है.
दरअसल वकील गौरव बंसल ने सुप्रीम कोर्ट मे याचिका दाखिल कर बच्चों के बीच बढ़ती आत्महत्या की प्रवृत्ति के लिए दिल्ली पुलिस द्वारा दिए गए RTI के जवाब का हवाला दिया था. जिसमें उन्होंने बताया था कि साल 2014 से 2018 के बीच दिल्ली में 18 वर्ष से कम आयु के 400 से अधिक छात्रों ने आत्महत्या की थी, जो चिंता का विषय है.
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राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो (एनसीआरबी) की ओर से भारत में आकस्मिक मृत्यु और आत्महत्या को लेकर 2023 में एक रिपोर्ट जारी की गई थी. जिसमें 2022 में होने वाली मौतों और आत्महत्या का जिक्र किया गया था. इस रिपोर्ट के अनुसार, 2022 में भारत में 13 हजार से अधिक छात्रों ने सुसाइड किया था. 2022 में आत्महत्या से होने वाली सभी मौतों में 7.6% छात्र थे. 2022 में 18 वर्ष से कम उम्र के 10,295 बच्चों ने आत्महत्या की थी, जिनमें 4616 लड़के और 5588 लड़कियां शामिल थीं.
-भारत एक्सप्रेस
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