Categories: देश

जिसका डर था वही हुआ…लो आ गई 12 साल बाद तबाही की भविष्यवाणी! देश के 80 प्रतिशत जिलों में मौसमी आपदाओं का घोर संकट, पढ़ें ये रिपोर्ट

Climate Change: जलवायु परिवर्तन का असर पूरी दुनिया में देखने को मिल रहा है. कहीं भूकंप तो कहीं भारी बारिश, तेज धूप व सर्दी ने लोगों का जीना मुहाल कर दिया है. इसी बीच IPE Global और ESRI India ने एक डरा देने वाली संयुक्त रिपोर्ट जारी की है. इस रिपोर्ट में बताया गया है कि किस तरह से भारत लगातार भीषण गर्मी, चरम बारिश और कई जगहों पर दोनों ही मौसम की भीषण मार झेल रहा है. इस रिपोर्ट में दावा किया गया है कि जो स्थिति अभी चल रही है, उसके हिसाब से 2036 तक यानी मात्र 12 साल में हर दस में से आठ भारतीय चरम मौसमी आपदाओं का शिकार होगा.

रिपोर्ट में ये भी कहा गया है कि अपने देश के 84 प्रतिशत जिलों में भीषण गर्मी पड़ रही है. तो वहीं 70 प्रतिशत जिलों में चरम बारिश हो रही है. उत्तराखंड, हिमाचल प्रदेश, राजस्थान,गुजरात, महाराष्ट्र, उत्तर प्रदेश, मेघालय और मणिपुर में बेहद गर्मी के साथ ही यहां पर इस तरह से बारिश हो रही है कि लगातार जानमाल का नुकसान हो रहा है. इस तरह से लोगों पर दोहरी मार पड़ रही है. यह स्टडी 1993 से 2022 के आंकड़ों पर बनाई गई है. इतने वर्षों में गर्मी, बारिश की फ्रिक्वेंसी, तीव्रता और असंतुलन में बढ़ोतरी हुई है. इन तीन दशकों में मार्च से लेकर सितंबर तक भीषण हीटवेव वाले दिन में 15 गुना बढोत्तरी हुई है.

इस अध्ययन में बताया गया है कि पिछले दस सालों में भीषण हीटवेव के दिन में 19 गुना बढ़ोत्तरी हुई है. फिलहाल रिपोर्ट में भविष्य में इसका प्रभाव और होने के संकेत दिए गए हैं. रिपोर्ट में कहा गया है कि अक्टूबर से दिसंबर तक 62% से अधिक हीटवेव प्रभावित भारतीय जिले अनियमित और अत्यधिक वर्षा का सामना कर रहे हैं. इसी के साथ ही ये कहा गया है कि वायुमंडलीय तापमान और पूरी दुनिया में ह्यूमिडिटी में बढ़ोतरी उष्णकटिबंधीय क्षेत्रों में हीटवेव को बढ़ा रही है. तटीय क्षेत्रों में सबसे अधिक गर्मी गुजरात, तमिलनाडु, आंध्र प्रदेश, ओडिशा और महाराष्ट्र में पड़ रही है. मैदानी और पहाड़ी इलाकों में सबसे अधिक गर्मी और हीटवेव उत्तर प्रदेश, राजस्थान, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, हरियाणा, महाराष्ट्र, पंजाब, तेलंगाना, बिहार और दिल्ली देखने को मिल रही है.

ये भी पढ़ें-जानें दुनिया के किस देश में है महिलाओं और लड़कियों के खिलाफ हिंसा की दर सबसे अधिक?

तो वहीं पहाड़ी इलाकों में त्रिपुरा, मिजोरम, जम्मू और कश्मीर, उत्तराखंड, मेघालय और हिमाचल प्रदेश में भी सबसे अधिक गर्मी का असर देखने को मिल रहा है. भारत में मानसून के मौसम में गैर-बरसात वाले दिनों को छोड़कर गर्मी रह रही है. गर्मी के कारण पिछली सदी में 0.6 डिग्री सेल्सियस तापमान बढ़ गया है और खतरनाक बारिश की घटनाएं भी तेजी से बढ़ रही हैं.

भारतीय उपमहाद्वीप में सूक्ष्म जलवायु परिवर्तनों की वजह है भूमि-उपयोग-सतह परिवर्तन, वनों की कटाई, मैंग्रूव और वेटलैड्स पर अतिक्रमण. स्टडी में हीट रिस्क ऑब्जर्वेटरी (HRO) स्थापित करने का प्रस्ताव रखा गया है. यह ऐसी लैब होगी जहां पर शहरी ताप द्वीपों, जल तनाव, वेक्टर जनित रोगों, फसल का नुकसान, जैव विविधता और पारिस्थितिकी तंत्र के कम होने जैसे आंकड़ों का पता चल सके. ये तो सभी ने देखा कि हाल ही में केरल के वायनाड में किस तरह से भारी बारिश ने तबाही मचाई है. तो वहीं कई ऐसे भी हिस्से हैं जो कि गर्मी की मार झेल रहे हैं और पानी को तरस रहे हैं. रिपोर्ट में जलवायु परिवर्तन की वजह से भविष्य और खतरनाक होने की सम्भावना जताई गई है. रिपोर्ट में कहा गया है कि इससे लोगों की कमाई और बुनियादी ढांचे पर भी असर पड़ेगा. लैंड यूज और लैंड कवर में 55 फीसदी बदलाव हुआ है. इसका असर जलवायु पर पड़ता है. यही वजह है कि जलवायु अपना रौद्र रूप दिखाती है.

-भारत एक्सप्रेस

Archana Sharma

Recent Posts

Jharkhand Election से पहले CBI ने बढ़ाई हेमंत सोरेन की मुसीबत! CM के करीबी के 17 ठिकानों पर रेड में मिले 1 किलो सोना और 50 लाख

झारखंड के साहिबगंज में 1,250 करोड़ रुपए से अधिक मूल्य के अवैध पत्थर उत्खनन से…

8 mins ago

जानिए कितनी मिलती है अमेरिका के राष्ट्रपति को सैलेरी, और क्या क्या मिलती हैं सूविधाएं

अमेरिका के राष्ट्रपति को सालाना 400,000 डॉलर का वेतन मिलता है, जो लगभग 3.36 करोड़…

8 mins ago

US Presidential Elections: Trump या Kamla Harris… किसके आने से भारत की Economy को होगा फायदा?

अमेरिका दुनिया की आर्थिक महाशक्ति है उसके राष्ट्रपति चुनाव के नतीजे से हर देश की…

33 mins ago

टीम इंडिया को अपनी Spin बॉलिंग से नचाने वाला ये गेंदबाज ICC Player Of The Month अवार्ड के लिए हुआ नामित

अमेलिया केर, डिएंड्रा डॉटिन और लॉरा वोल्वार्ट अक्टूबर के लिए आईसीसी  प्लेयर ऑफ द मंथ…

1 hour ago