Tipu Sultan Row: टीपू सुल्तान एक बार फिर कर्नाटक में कांग्रेस बनाम बीजेपी विवाद के केंद्र में है. दरअसल, सत्तारूढ़ पार्टी के एक विधायक ने 18वीं सदी के शासक के नाम पर मैसूरु में हवाई अड्डे (जिसे मंदकल्ली हवाई अड्डा भी कहा जाता है) का नाम रखने का प्रस्ताव रखा है. हुबली-धारवाड़ पूर्व के विधायक प्रसाद अब्बय्या ने हवाईअड्डे के नाम बदलने पर चर्चा के दौरान कहा, “मैं मैसूरु हवाईअड्डे का नाम टीपू सुल्तान हवाईअड्डा करने का प्रस्ताव करता हूं.” इस बयान से विपक्षी भाजपा ने विरोध प्रदर्शन शुरू कर दिया.
टीपू सुल्तान के बारे में इतिहासकारों का मानना है कि वह भारत में ब्रिटिश शासन के घोर विरोधी थे और अपनी राजधानी श्रीरंगपट्टन की रक्षा करते हुए उनके खिलाफ लड़ाई में मारे गए. 2016 में जब सिद्धारमैया के नेतृत्व वाली तत्कालीन कांग्रेस सरकार ने उनका जन्मदिन मनाना शुरू किया. तब से कर्नाटक और पड़ोसी राज्य महाराष्ट्र दोनों में टीपू सुल्तान का बार-बार जिक्र किया गया है. जून में, कुछ हिंदू संगठनों ने मैसूर राजा और मुगल सम्राट औरंगजेब पर सोशल मीडिया पोस्ट पर विरोध प्रदर्शन किया.
इतिहासकारों का मानना है कि उनकी मृत्यु 1799 में चौथे एंग्लो-मैसूर युद्ध में हुई थी. हालांकि, इस चुनाव से पहले, कुछ वर्गों के दावे थे कि वोक्कालिगा समुदाय के दो सरदारों ने उनकी हत्या कर दी थी. वोक्कालिगा राजनीतिक रूप से एक शक्तिशाली वर्ग है, जो राज्य की आबादी का लगभग 16 प्रतिशत है.
हालांकि, येदियुरप्पा ने कहा था कि वह टीपू सुल्तान बनाम वीडी सावरकर की कहानी बनाने की अपनी पार्टी की कोशिश से सहमत नहीं हैं. उन्होंने कहा था, “यह टीपू बनाम सावरकर नहीं है…भाजपा की नीतियां महत्वपूर्ण होंगी.”
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इस साल हुए कर्नाटक विधानसभा चुनाव के दौरान भी बीजेपी के राज्य प्रमुख नलिन कतील ने इस विषय पर वोटर्स के बीच विभाजन पैदा करने के लिए हर कोशिश की थी. इसमें स्थानीय लोगों से टीपू सुल्तान के फॉलोवर्स को मारने का आग्रह करना भी शामिल था. इस दौरान केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने भी कांग्रेस पर हमला किया और टीपू सुल्तान और यादगीर में एक ट्रैफिक सिग्नल का नाम सावरकर के नाम पर रखे जाने के बाद हुई झड़पें को लेकर कांग्रेस पर निशाना साधा था.
इसके अलावा विवाद इस बात पर था कि टीपू सुल्तान की हत्या किसने की थी. इतिहासकारों का मानना है कि उनकी मृत्यु 1799 में चौथे एंग्लो-मैसूर युद्ध में हुई थी. हालांकि, विधानसभा चुनाव से पहले कुछ वर्गों के दावे थे कि वोक्कालिगा समुदाय के दो सरदारों ने टीपू की हत्या कर दी थी.
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