देश

दिल्ली हाईकोर्ट ने तुच्छ यौन उत्पीड़न मामलों पर सख्ती बरतने की चेतावनी दी, वकीलों से कानून का दुरुपयोग रोकने का आग्रह किया

दिल्ली हाईकोर्ट ने वकीलों को यौन उत्पीड़न और महिलाओं की शील भंग करने के आरोप लगाने वाले अपराधों के लिए तुच्छ मामले दर्ज करके कानून की प्रक्रिया का दुरुपयोग न करने के प्रति लोगों को जागरूक करने को कहा है. जस्टिस सुब्रमण्यम प्रसाद ने मामले की सुनवाई के दौरान कहा कि उन व्यक्तियों के खिलाफ कार्रवाई शुरू करने का समय आ गया है, जो धारा 354, 354ए, 354बी, 354सी और 354डी आदि के तहत तुच्छ शिकायतें दर्ज करते हैं, जिनका उद्देश्य केवल गुप्त उद्देश्य होता है.

अदालत ने कहा यह देखना भी दुर्भाग्यपूर्ण है कि वकील पक्षों को ऐसे तुच्छ मामले दर्ज करने की सलाह दे रहे हैं और उन्हें उकसा रहे हैं. अदालत ने कहा कि वकीलों को भी संवेदनशील बनाने का समय आ गया है, ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि कानून की प्रक्रिया का दुरुपयोग न हो.

अदालत ने मकान मालिकों और किराएदारों द्वारा महिलाओं के शील भंग करने के आरोप में दर्ज दो क्रॉस एफआईआर को खारिज करते हुए यह टिप्पणी की. किराएदार ने आरोप लगाया कि उसके मकान मालिक ने उसका शील भंग किया. एक अन्य एफआईआर में मकान मालिक ने आरोप लगाया कि किराएदार ने उसका शील भंग किया है. पक्षों के बीच हुए समझौते के आधार पर मामले को खारिज करने की मांग की गई.

अदालत ने कहा दुर्भाग्य से अब धारा 354, 354ए, 354बी, 354सी, 354डी आईपीसी के तहत अपराध का आरोप लगाते हुए एफआईआर दर्ज करना एक चलन बन गया है, ताकि किसी पक्ष को उनके खिलाफ दर्ज शिकायत वापस लेने के लिए मजबूर किया जा सके या किसी पक्ष को मजबूर किया जा सके. धारा 354, 354ए, 354बी, 354सी, 354डी आईपीसी के तहत अपराध गंभीर अपराध हैं.

अदालत ने कहा गया है कि इस तरह के आरोपों से उस व्यक्ति की छवि धूमिल होती है, जिसके खिलाफ ये आरोप लगाए जाते हैं. इस तरह के आरोप बिना सोचे-समझे नहीं लगाए जा सकते. अदालत ने कहा यह प्रथा कानून की प्रक्रिया का दुरुपयोग है. यह मामला इस बात का एक उत्कृष्ट उदाहरण है कि कैसे पार्टियों द्वारा एक-दूसरे के खिलाफ धारा 354 और 354ए के तहत तुच्छ आरोप लगाए गए हैं.

जस्टिस प्रसाद ने इस तथ्य का भी न्यायिक संज्ञान लिया कि पुलिस बल बहुत सीमित है और उसे तुच्छ मामलों की जांच में समय बिताना पड़ता है.
कोर्ट ने दोनों एफआईआर को रद्द करते हुए 50-50 हजार रुपये का जुर्माना लगाया. प्रत्येक याचिकाकर्ता को 10,000 रुपये का जुर्माना सशस्त्र सेना युद्ध हताहत कल्याण कोष में जमा किया जाएगा.

ये भी पढ़ें- उन्नाव रेप पीड़िता और उसके परिवार को मिली CRPF की सुरक्षा वापस लेने के लिे केंद्र ने सुप्रीम कोर्ट में डाली अर्जी

-भारत एक्सप्रेस

गोपाल कृष्ण

Recent Posts

दिल्ली हाईकोर्ट का सख्त रुख: डीयू चुनाव में सार्वजनिक संपत्ति को नुकसान पहुंचाने वालों के खिलाफ कार्रवाई करे विश्वविद्यालय

हाईकोर्ट ने मौखिक रूप से दिल्ली विश्वविद्यालय से कहा कि वह सार्वजनिक संपत्ति को नुकसान…

6 mins ago

संयुक्त राष्ट्र महासभा में बोलीं प्रसिद्ध अभिनेत्री Meryl Streep, कहा- अफगानिस्तान में बिल्लियों के पास महिलाओं से अधिक आजादी

मेरिल स्ट्रीप ने तालिबान के शासन के तहत महिलाओं पर लगाए गए प्रतिबंधों की आलोचना…

24 mins ago

MUDA जमीन घोटाला: Siddaramaiah के खिलाफ चलेगा मुकदमा, कर्नाटक हाईकोर्ट ने राज्यपाल के आदेश को बरकरार रखा

बीते अगस्त महीने में कर्नाटक के राज्यपाल थावरचंद गहलोत द्वारा मैसूर शहरी विकास प्राधिकरण (MUDA)…

2 hours ago

पाकिस्तानी भिखारियों से परेशान सऊदी अरब, मक्का और मदीना की सड़कों पर मांगते हैं भीख

पाकिस्तानी भिखारी उमराह और हज वीजा के तहत सऊदी अरब में दाखिल हुए थे और…

2 hours ago

उन्नाव रेप पीड़िता और उसके परिवार को मिली CRPF की सुरक्षा वापस लेने के लिए केंद्र ने सुप्रीम कोर्ट में डाली अर्जी

भाजपा से निष्कासित नेता कुलदीप सिंह सेंगर 2017 में उन्नाव में नाबालिग लड़की का अपहरण…

2 hours ago