दिल्ली हाईकोर्ट ने राजधानी की अदालतों में हाईब्रिड सुनवाई की व्यवस्था के लिए दिल्ली सरकार के मुख्य सचिव को 387 करोड़ रुपये की मंजूरी देने में तेजी लाने को कहा है. साथ ही उस परियोजना को प्राथमिकता के आधार पर लागू करने को कहा है. कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश मनमोहन एवं न्यायमूर्ति तुषार राव गेडेला की पीठ ने सरकार से इन पायलट अदालतों सहित सभी जिला अदालतों में यह सब व्यवस्था करने के लिए निविदा जारी करने को कहा है.
पीठ ने कहा कि हाइब्रिड सुनवाई की व्यवस्था करने में पांच सौ करोड़ रुपए से कम खर्च होना है. इस दशा में इसके लिए कैबिनेट की मंजूरी की जरूरत नहीं है. क्योंकि सरकार हाइब्रिड सुनवाई की नीति पहले ही लागू कर चुकी है. उसने यह भी कहा कि इस मामले में देरी बर्दाश्त नहीं की जाएगी, क्योंकि तकनीक बहुत तेजी से पुरानी हो जाती है. पीठ ने सरकार को शुरू में प्रत्येक अदालत में दो पायलट अदालतें स्थापित करने की अनुमति दे दी. पायलट अदालतों का चयन करने की जिम्मेवारी हाईकोर्ट के रजिस्ट्रार जनरल सौंपी है. पीठ ने इसके साथ ही सुनवाई 30 सितंबर के लिए स्थगित कर दी.
इससे पहले कोरोना महामारी के दौरान लोगों को न्याय की पहुंच में दिक्कत होने को देखते हुए कोर्ट ने सरकार को जिला अदालतों और अर्ध-न्यायिक निकायों में हाइब्रिड सुनवाई के लिए बुनियादी ढांचा और अन्य सुविधाएं प्रदान करने को लेकर शीघ्र कदम उठाने का निर्देश दिया था.
— भारत एक्सप्रेस
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