दिल्ली हाई कोर्ट ने भारतीय प्रबंधन संस्थानों (आईआईएम) और अन्य बिजनेस स्कूलों में प्रवेश के लिए कॉमन एडमिशन टेस्ट (कैट) 2024 के नतीजों को चुनौती देने वाली याचिका को खारिज कर दिया. न्यायमूर्ति तारा वितस्ता गंजू ने एक कैट उम्मीदवार द्वारा दायर याचिका को खारिज कर दिया, जिसने आरोप लगाया था कि उत्तर कुंजी में एक त्रुटि थी जिसे ठीक नहीं किया गया, जिससे कैट के नतीजे प्रभावित हुए.
अदालत ने कहा हमें हस्तक्षेप करने का कोई कारण नहीं मिला, इसलिए याचिका खारिज की जाती है. 3 जनवरी को मामले की सुनवाई के दौरान भी इसने याचिका को खारिज करने की अपनी इच्छा व्यक्त की थी. तब न्यायालय ने टिप्पणी की थी कि वह कुछ सीमित परिस्थितियों को छोड़कर प्रतियोगी परीक्षाओं से संबंधित ऐसे विवादों में हस्तक्षेप नहीं कर सकता.
इस पहलू पर कानून स्पष्ट है आम तौर पर न्यायालय हस्तक्षेप नहीं करेगा. केवल तभी जब कोई गंभीर गलती हो, हम हस्तक्षेप करेंगे. जब कोई ग्रे एरिया हो, तो हम हस्तक्षेप नहीं करेंगे,” इसने अपना निर्णय सुरक्षित रखते हुए कहा था.
कैट 2024 परीक्षा 24 नवंबर को आयोजित की गई थी. 3 दिसंबर को अनंतिम उत्तर कुंजी जारी की गई थी. याचिकाकर्ता आदित्य कुमार मलिक जो परीक्षा देने वाले उम्मीदवारों में से एक थे, ने अनंतिम उत्तर कुंजी पर आपत्ति जताई, जिसमें कहा गया कि परीक्षा पत्र के कॉम्प्रिहेंशन सेक्शन से एक प्रश्न के लिए घोषित उत्तर में त्रुटि थी.
उन्होंने कहा आपत्ति के बावजूद, अनंतिम उत्तर कुंजी में कोई बदलाव किए बिना अंतिम उत्तर कुंजी जारी की गई. अभ्यर्थी ने दावा किया कि उसकी आपत्ति का समर्थन विभिन्न कैट कोचिंग केंद्रों के प्रतिष्ठित विशेषज्ञों और संकाय सदस्यों ने किया. उनकी दलील में कहा गया कि इस प्रश्न पर विभिन्न उम्मीदवारों द्वारा कुल 272 आपत्तियां उठाई गई थीं.
याचिकाकर्ता के अधिवक्ता ने तर्क रखा था कि परीक्षा आयोजित करने वाले आईआईएम कलकत्ता द्वारा दायर जवाब में यह स्पष्ट नहीं किया गया है कि उसका उत्तर कैसे सही है और उम्मीदवार का उत्तर कैसे गलत है. उन्होंने आगे तर्क दिया कि आईआईएम कलकत्ता ने बिना कोई कारण बताए या कानूनी सहारा लेने का समय दिए बिना 19 दिसंबर को जल्दबाजी में परिणाम घोषित कर दिया.
-भारत एक्सप्रेस
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