Delhi News: हजरत निजामुद्दीन क्षेत्र में मजार-ए-गालिब और चौसठ खंबा जैसी संरक्षित स्मारकों के पास पेड़ों की कटाई के मामले में दिल्ली हाई कोर्ट ने वन विभाग से स्टेट्स रिपोर्ट मांगा है. कोर्ट ने अधिकारियों को पेड़ों की सुरक्षा करने और यह सुनिश्चित करने के लिए भी कहा है कि कोई पेड़ न काटा जाए.
न्यायमूर्ति संजीव नरूला ने वन विभाग, एमसीडी, दिल्ली पुलिस, अधीक्षण पुरातत्वविद् और अन्य विभागों को नोटिस जारी किया. उन्होंने दो सप्ताह के भीतर स्थिति रिपोर्ट दाखिल करने का निर्देश दिया। कोर्ट 17 सितंबर को मामले में अगली सुनवाई करेगा.
हजरत निजामुद्दीन वेलफेयर एसोसिएशन (एनजीओ) ने अधिवक्ता मुजीब अहमद के माध्यम से एक याचिका दायर कर पेड़ों को काटने के लिए जिम्मेदार व्यक्ति के खिलाफ कार्रवाई करने के लिए अधिकारियों को निर्देश देने की मांग की है। उन्होंने एमसीडी से पेड़ों को काटने और संरक्षित स्मारकों के समीप अवैध निर्माण करने के लिए अवैध रूप से लगाए गए ऊंचे टीन शेड को हटाने के लिए भी निर्देश देने की मांग की है.
याची ने कहा कि मई माह से कुछ असामाजिक तत्वों की इलाके में जमीन के एक टुकड़े पर बुरी नजर है, जहां मजार-ए-गालिब और चौसठ खंबा जैसे संरक्षित स्मारकों के समीप नीम, बरगद और पीपल जैसे कई बड़े पेड़ हैं, जिन्हें आम जनता की नजरों से बचाने के लिए ऊंचे टीन शेड बनाकर काटा जा रहा है ताकि जमीन पर अवैध निर्माण किया जा सके, जो कि एम्सर अधिनियम, वन और वन्यजीव अधिनियम, डीएमसी अधिनियम का सरासर उल्लंघन है और एमसीडी व अन्य प्रतिवादियों के अधिकारियों की मिलीभगत है.
याचिका में कहा गया कि 28 जुलाई को बिल्डर माफिया ने फिर से वनों की कटाई की अवैध गतिविधियां शुरू कर दीं, याचिकाकर्ता ने फिर से प्रतिवादियों को शिकायत दर्ज कराई, लेकिन प्रतिवादी ने संरक्षित स्मारकों से सटे पेड़ों की अवैध कटाई को रोकने के लिए कोई ध्यान नहीं दिया. याचिकाकर्ता ने ऐतिहासिक स्मारक से सटे भूमि के टुकड़े पर मौजूद पूर्ण विकसित पेड़ों की रक्षा करने और इलाके में पारिस्थितिकी तंत्र और हरियाली की रक्षा करने के लिए निर्देश देने की मांग करते हुए याचिका दायर की है.
— भारत एक्सप्रेस
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