दिल्ली हाईकोर्टने चिकित्सा पेशेवरों को एक मरीज को दी जाने वाली दवा या फार्मास्युटिकल दवाओं से जुड़े सभी संभावित जोखिमों और दुष्प्रभावों को लिखित रूप में निर्दिष्ट करने का निर्देश देने की मांग याचिका खारिज कर दी. कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश मनमोहन और न्यायमूर्ति मनमीत प्रीतम सिंह अरोड़ा की खंडपीठ ने कहा कि ड्रग्स एंड कॉस्मेटिक्स एक्ट 1945 दवाओं के निर्माता या उसके एजेंट को उपभोक्ता और फार्मेसी को दवाओं के दुष्प्रभावों का खुलासा करने वाला एक पैकेज इंसर्ट प्रदान करने के लिए बाध्य करता है. पीठ ने कहा कि एक बार विधायिका ने निर्माता और फार्मासिस्ट पर शुल्क लगाने का फैसला कर लिया है, तो अदालत के पास जनहित याचिका में मांगे गए निर्देश जारी करने का कोई आधार नहीं है क्योंकि यह न्यायिक कानून के समान होगा.
जनहित याचिका खारिज की
पीठ ने कहा याचिकाकर्ता पंजीकृत फार्मासिस्ट द्वारा बिक्री के समय दवा के साथ प्रदान की गई प्रविष्टि के माध्यम से निर्माता द्वारा प्रदान की गई जानकारी की पर्याप्तता के संबंध में विवाद नहीं करता है. हालांकि याचिकाकर्ता का तर्क है कि यदि डॉक्टर द्वारा नुस्खे के साथ वही प्रविष्टि प्रदान की जाती है, तो यह माना जा सकता है कि रोगी/देखभालकर्ता वैध सहमति के साथ एक सूचित विकल्प चुनने में सक्षम होगा. चूंकि विधायिका ने अपने विवेक से निर्माता और फार्मासिस्ट पर यह शुल्क लगाने का निर्णय लिया है, इसलिए हमें इस जनहित याचिका में की गई प्रार्थना के अनुसार निर्देश जारी करने का कोई आधार नहीं है. पीठ ने कहा चूंकि वर्तमान जनहित याचिका में यह स्वीकार किया गया है कि कोई शून्य नहीं है, इसलिए प्रार्थना किए गए निर्देश जारी नहीं किए जा सकते. तदनुसार, आवेदनों के साथ वर्तमान जनहित याचिका खारिज की जाती है.
जनहित याचिका में ये तर्क दिया गया था
जनहित याचिका जैकब वडक्कनचेरी नामक व्यक्ति ने दायर की थी, जिसमें तर्क दिया गया था कि दवाएं साइड इफेक्ट्स के साथ आती हैं, जो बहुत नुकसान पहुंचाने की क्षमता रखती हैं और रोगी को एक सूचित विकल्प चुनने का अधिकार है. इसलिए, दवा लिखने वाले डॉक्टर के लिए यह अनिवार्य होना चाहिए कि वह मरीज को ऐसी दवा के सेवन से होने वाले दुष्प्रभावों के बारे में बताए. वडक्कनचेरी ने कहा कि संभावित दुष्प्रभावों को निर्दिष्ट किए बिना दवा लिखना रोगी की वैध सहमति प्राप्त करने के समान नहीं होगा और रोगी को सूचित करने के लिए कानून में जोर निर्माता और फार्मासिस्ट से हटकर चिकित्सा व्यवसायी पर होना चाहिए.
-भारत एक्सप्रेस
उत्तर प्रदेश के मदरसों में पढ़ रहे लाखों छात्रों को बड़ी राहत मिली है. सुप्रीम…
Samosa Caucus Club: 'समोसा' एक लोकप्रिय भारतीय स्नैक है. यह शब्द 2018 के आसपास राजा…
Maharashtra Assembly Elections 2024: संजय राउत ने कहा कि रश्मि शुक्ला को पुलिस डीजीपी बनाना…
मथुरा में कृष्ण जन्मभूमि मंदिर से सटे शाही ईदगाह मस्जिद परिसर को लेकर भूमि विवाद…
Rahul Gandhi Raebareli visit: रायबरेली आते समय कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने चुरुवा मंदिर में…
Rahu Nakshatra Parivartan: राहु 10 नवंबर को उत्तराभाद्रपद नक्षत्र में प्रवेश करने जा रहा है.…