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Delhi Police: हेड कांस्टेबल सीमा पर दिल्ली पुलिस को नाज, साहस और समर्पण की बनीं मिसाल, देखिए खास रिपोर्ट

Delhi Police: दिल्ली की मेट्रो यूनिट में तैनात हेड कांस्टेबल सीमा पर दिल्ली पुलिस को नाज है. महज दो महीने में 33 लापता बच्चों को ढूंढकर सीमा ने एक मिसाल पेश की है. बड़ी बात ये है कि सीमा अपनी रूटीन ड्यूटी पूरी करने के बाद मिसिंग बच्चों की तलाश करती हैं. दिल्ली पुलिस (Delhi Police) के हेड कांस्टेबल सीमा की कहानी आपको जोश और जज़्बे से भर देगी. सीमा की कहानी आपको उम्मीदों की सैर कराने वाली है. दिल्ली मेट्रो यूनिट में तैनात महिला पुलिस हेड कांस्टेबल सीमा अपने काम से चर्चा में हैं.

तारीख पाँच फरवरी 2023, दिन सोमवार समय शाम के पाँच बजे. दिल्ली के डाबरी पुलिस स्टेशन में एक 11 साल की बच्ची के गायब होने की एफ़आइआर दर्ज होती है. पुलिस अपनी जाँच शुरू कर देती है. हेड कांस्टेबल सीमा रूटीन वर्क पूरा करने के बाद लापता बच्चों की जानकारी के लिये zipnet खोलती हैं. सीमा अपने कंप्यूटर स्क्रीन पर देखती हैं. डाबरी पुलिस स्टेशन में ग्यारह साल की बच्चे की मिसिंग रिपोर्ट हेड कांस्टेबल सीमा की आँखों में तैर जाती है. सीमा एक बच्चे के खोने का दर्द समझती हैं.

सीमा मां-बाप के कलेजे के टुकड़े से दूर होने के एहसास से ही कांप जाती हैं. जिनको सीने से लगाए बिना मां सोती नहीं हैं. उससे जुदा हो जाने पर मां की बेचैनी समझती हैं. सीमा तत्काल पुलिस स्टेशन से मिसिंग बच्चे की रिपोर्ट के बारे में जानकारी हासिल करती हैं. थाने से जानकारी मिलती है. वो बच्चा किसी के बहकावे में आकर नहीं गया था. उसके पास कोई फोन नहीं था, जिससे उसके लोकेशन को ट्रेस किया जा सके. मिलने के चांसेज बहुत कम थे.

एफआइआर की कॉपी लेने के लिए सीमा निकल जाती हैं जल्द से जल्द बच्चे की तलाश जरूरी है. बच्चे के बारे में हर जरूरी इन्फ़ॉर्मेशन लेना है. इसके लिये परिवार से मिलना है और छोटी से छोटी जानकारी कलेक्ट करना है. मिसिंग बच्चे की पूरी डीटेल मिलते ही सीमा उसकी तलाश में जुट जाती हैं. सीमा स्लम बस्ती में जाकर बच्चे की फोटो दिखाती हैं. चाय की दुकान से लेकर रिक्शे वाले से पूछती हैं. दिल्ली का कश्मीरी गेट बस स्टेशन पर लापता बच्चे की तलाश करती हैं. यहाँ एक बस के अंदर जाती हैं और कंडक्टर से लेकर यात्रियों तक से बच्चे की फ़ोटो दिखाकर पूछताछ करती हैं. ज़्यादातर बच्चों को बस से ही बाहर भेजा जाता है. इसलिए यहां तलाश तेज कर दी गई. बहुत ढूँढने के बाद भी लापता बच्चे के बारे में कोई सुराग नहीं मिल पाता है. मगर भारी थकान के बावजूद बच्चे की तलाश जारी है.

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सीमा कहती हैं- कई बार निराश हो जाती हूँ मगर फिर आगे तलाश शुरू करती हूँ. डीसीपी जितेन्द्रमणि त्रिपाठी कहते हैं- सीमा को जिस तरह की ट्रेनिंग और प्रेरणा मिली है उससे उनके अंदर एक ऐसा जज्बा है जो हर हाल में बच्चे को खोजने के लिए प्रेरित करता रहता है.

दिल्ली पुलिस (Delhi Police) में लगभग एक लाख से अधिक पुलिसकर्मी हैं. मगर इनमें से कुछ ऐसे भी हैं जो अपने काम से अपनी नई पहचान गढ़ रहे हैं. वो माँ बाप जिनके जिगर का टुकड़ा उनसे दूर हो गया है उसको पाने के लिये वे पुलिस से ही उम्मीद करते हैं.

हेड कांस्टेबल सीमा को मालूम है कि उन पर कितनी बड़ी ज़िम्मेदारी है. यही वजह है कि दो बच्चों की मां सीमा लापता बच्चों के लिए ख़ाक छानती रहती है. सीमा बच्चे को तलाशती हुई अब कनॉट प्लेस के हनुमान मंदिर आ गई हैं. दुकानदारों से लेकर आते जाते लोगों से बच्चे की फ़ोटो दिखाकर पूछताछ करती हैं और आखिरकार उसे खोज लेती हैं.

-भारत एक्सप्रेस

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