देश

5 रुपये की चाय, केला 21 रुपये दर्जन…EC ने जारी किया मेन्यू, उम्मीदवारों के खाते में जोड़ा जाएगा खर्चा

Assembly Elections 2023: राजस्थान और मध्य प्रदेश के साथ-साथ पांच राज्यों में विधानसभा चुनाव होने हैं. तारीख भी तय हो गई है.  मिजोरम में 7 नवंबर को वोटिंग होगी. इसके अलावा मध्य प्रदेश में भी 7 नवंबर को वोटिंग होगी. छत्तीसगढ़ में विधानसभा चुनाव के लिए मतदान 7  और 17 नवंबर को दो चरणों में होगा. वहीं  राजस्थान में 25 नवंबर को वोट डाले जाएंगे. जबकि तेलंगाना में 30 नवंबर को वोटिंग होने वाली है. इसके लिए राजनीतिक पार्टियों ने पूरी ताकत झोंक दिया है. चुनाव आयोग भी इस पर नजर बनाए हुए हैं. EC ने चुनाव से जुड़े कई अहम फैसले लिए हैं. इसी कड़ी में अब प्रचार के दौरान होने वाले खर्चों के लिए चुनाव आयोग ने रेट लिस्ट जारी कर दिया है. इस लिस्ट में चाय, समोसा, रसगुल्ला और कोल्ड ड्रिंक से लेकर तमाम तरह की चीजों के मूल्य तय किए गए हैं. खास बात ये कि ये खर्चा उम्मीदवारों के खाते में जोड़ा जाएगा.

सामानों का रेट फिक्स

मुख्य निर्वाचन अधिकारी ने अब सभी राजनीतिक दलों के प्रतिनिधियों और जिला निर्वाचन अधिकारियों को रेट लिस्ट के हिसाब से खर्च करने का सुझाव दिया है. रेट लिस्ट के मुताबिक, एक प्लास्टिक की कुर्सी 5 रुपए, पाइप की कुर्सी 3 रुपए, वीआईपी कुर्सी 105 रुपए, लकड़ी की टेबल 53 रुपए, ट्यूबलाइट 10 रुपए, हैलोजन 500 वाट 42 रुपए, 1000 वाट के 74 रुपए, वीआईपी सोफा सेट का खर्चा 630 रुपए प्रत्येक दिन के हिसाब से जोड़ा जाएगा.

बता दें कि खाने पीने के सामानों में आम 63 रुपये, केला 21 रुपये, सेब 84, अंगूर 84 रुपये प्रति किलो, पानी की केन 20 लीटर की 20 रुपए, कोल्ड ड्रिंक और आइसक्रीम प्रिंट रेट पर खर्चे में जोड़े जाएंगे. गन्ने का रस प्रति छोटा गिलास 10 रुपए, बर्फ सिल्ली 2 रुपए के हिसाब से जोड़ी जाएगी. खाने के 71 रुपए प्रति प्लेट कीमत निर्धारित की गई है. चाय 5 रुपए, कॉफी 13 रुपए, समोसा 12 रुपए, रसगुल्ला 210 प्रति किलो के हिसाब से खरीद सकता है. साथ ही साथ चुनाव आयोग ने कहा कि किए गए खर्च का ब्यौरा चुनाव आयोग को सौंपना अनिवार्य है.

यह भी पढ़ें: Assembly election 2023: छत्तीसगढ़ में 2018 का इतिहास दोहराएगी कांग्रेस? 25 विधायकों की दावेदारी पर लटकी तलवार

राजनीतिक पार्टी रेट से खुश नहीं

हर बार जब उम्मीदवार अपनी प्रचार टीमों या मेहमानों को चाय, कॉफी या शीतल पेय ऑफर करते हैं, या जब पार्टी कार्यकर्ताओं और समर्थकों द्वारा बैठक में उनका स्वागत गुलदस्ते और मालाओं से किया जाता है, या यदि वे बैठक या सार्वजनिक रैली का आयोजन करते हैं, तो राशि खर्च उनके चुनाव खर्च में जोड़ा जाएगा.

लेकिन अधिकांश राजनीतिक पार्टियां सूची में कई वस्तुओं की दरों से खुश नहीं हैं. उनका तर्क है कि बाजार में कुछ वस्तुएं काफी कम दाम पर उपलब्ध हैं. एक नेता ने कहा, “कुछ वस्तुओं की दरें बहुत अधिक हैं. चूंकि हम इन वस्तुओं को बड़ी मात्रा में किराये पर लेंगे या खरीदेंगे, तो जाहिर तौर पर हमें ये कम कीमत पर मिलेगी.” चुनाव आयोग के अनुसार, उम्मीदवारों को अपने चुनाव संबंधी खर्च का हिसाब-किताब रखना होगा, जिसे चुनाव के बाद आयोग को सौंपा जाएगा. अधिकारियों ने कहा कि पहले यह पता लगाने और स्थापित करने का कोई तरीका नहीं था कि उम्मीदवारों द्वारा दिखाया गया चुनाव खर्च सही था या नहीं.

-भारत एक्सप्रेस

Rakesh Kumar

Sr. Sub-Editor

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