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लोकसभा चुनाव से ठीक पहले Election Commissioner अरुण गोयल का इस्तीफा, कांग्रेस ने खड़े किए ये बड़े सवाल

Election Commissioner Arun Goel Resigns: लोकसभा चुनाव की तारीखों का ऐलान जल्द ही होने वाला है. इससे ठीक पहले चुनाव आयुक्त अरुण गोयल ने इस्तीफा दे दिया है. जिसे राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू न स्वीकार भी कर लिया है. चुनाव आयुक्त अरुण गोयल का कार्यकाल 5 दिसंबर 2027 तक का था. तीन सदस्ययीय चुनाव आयुक्त में अब सिर्फ सदस्य राजीव कुमार (मुख्य चुनाव आयुक्त) हैं. चुनाव आयुक्त अरुण गोयल के इस्तीफे को लेकर कांग्रेस ने कई सवाल खड़े किए हैं.

कांग्रेस नेता जयराम रमेश ने खड़े किए 3 सवाल

चुनाव आयुक्त अरुण गोयल के इस्तीफे को लेकर कांग्रेस ने तीन सवाल खड़े किए हैं. कांग्रेस के नेता जयराम रमेश ने कहा कि क्या उन्होंने वाकई मुख्य चुनाव आयुक्त या मोदी सरकार के मतभेदों के लेकर इस्तीफा दिया है? जो सभी कथित स्वतंत्र संस्थाओं के लिए सबसे आगे रहकर काम करती है.

इसके साथ ही उन्होंने दूसरा सवाल यह किया कि क्या उन्होंने निजी कारणों को लेकर इस्तीफा दिया? जयराम रमेश ने तीसरा सवाल पूछा कि क्या कुछ दिनों पहले कलकत्ता हाईकोर्ट के जज की तरह बीजेपी की टिकट पर आगामी लोकसभा चुनाव लड़ने के लिए इस्तीफा दिया है?

साल 2022 में हुए थे चुनाव आयोग में शामिल

जानकारी रहे कि अरुण गोयल 1985 बैच के पंजाब कैडर के आईएएस अधिकारी रहे हैं. 37 साल की सेवा अवधि पूरा करने के बाद उन्होंने भारी उद्योग मंत्रालय के सचिव से सेवानिवृत हुए थे. साल 2022 के नवंबर में चुनाव आयोग में शामिल हुए थे और इसी साल 18 नवंबर को अपनी इच्छा से सेवानिवृत्ति ले लिया.

परंतु, इसके अगले ही दिन उन्हें चुनाव आयुक्त नियुक्त किया गया था. जिसके बाद उनकी नियुक्ति पर विवाद खड़ा हो गया था. मामला सुप्रीम कोर्ट पहुंचा और शीर्ष अदालत ने अरुण गोयल की नियुक्ति की फाइल तलब किया था. जिसके बाद सरकार से पूछा गया था कि उनकी नियुक्ति में इतनी जल्दबाजी किस बात की थी.

उस वक्त सुप्रीम कोर्ट गोयल की नियुक्ति को चुनौती देने वाली याचिका को खारिज कर दिया था. साथ ही कहा था कि शीर्ष अदालत इस मुद्दे को पहले ही देख चुकी है.

कांग्रेस अध्यक्ष ने किया सरकार पर बड़ा हमला

वहीं, कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने ‘एक्स’ पर पोस्ट करते हुए लिखा कि “चुनाव आयोग या चुनाव चूक? भारत में अब सिर्फ एक चुनाव आयुक्त हैं, जबकि कुछ ही दिनों के बाद लोकसभा चुनावों की घोषणा होनी है. उन्होंने आगे लिखा कि अगर स्वतंत्र संस्थानों का ‘व्यवस्थित विनाश’ नहीं रोका गया तो तानाशाही के द्वारा लोकतंत्र पर कब्जा कर लिया जाएगा.”

Dipesh Thakur

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