छत्तीसगढ़ के दंतेवाड़ा जिले से प्रगतिशील किसानों का तीसरा बड़ा दल इस हफ्ते ‘मां दंतेश्वरी हर्बल फार्म एवं रिसर्च सेंटर’ पहुंचा. यह फार्म देश का पहला अंतरराष्ट्रीय प्रमाणित जैविक हर्बल फार्म है, जहां पूर्व राष्ट्रपति डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम ने भी दौरा किया था. यह फार्म किhसान-वैज्ञानिक डॉ राजाराम त्रिपाठी द्वारा जैविक तथा हर्बल कृषि के क्षेत्र में किए गए तरह-तरह के सफल नवाचारों के लिए देश-विदेश में विख्यात है.
बस्तर की पारंपरिक खेती में महिलाओं की प्रमुख भूमिका के अनुरूप, इस दल में भी 70% महिलाएं थीं. किसानों ने ऑस्ट्रेलियाई टीक के पेड़ों पर उगाई गई काली-मिर्च (MDBP-16) के साथ-साथ महुआ, आम, इमली, साल, सागौन, और खमार जैसे बस्तर के स्थानीय पेड़ों पर फलती-फूलती काली मिर्च की फसल का भी अवलोकन किया. इस मौके पर किसानों ने देखा कि पेड़ों पर काली मिर्च लगाकर एक एकड़ भूमि से 50 एकड़ की उपज कैसे प्राप्त की जा रही है.
काली-मिर्च के अलावा, किसानों ने सफेद मूसली, पिपली, हल्दी और देसी केसर (सिंदुरी) की लगी हुई फसलें भी देखीं. सीएसआईआर – आईएचबीटी भारत सरकार के मार्गदर्शन में तैयार की गई कड़वाहट-मुक्त शक्कर से 25 गुना मीठी और जीरो कैलोरी वाली स्टीविया की पत्तियों का स्वाद चखकर तो सभी किसान आश्चर्यचकित रह गए.
‘मां दंतेश्वरी हर्बल फार्म’ पर भ्रमण और आवश्यक जानकारी प्रदान करने का कार्य समूह के अनुराग कुमार, दसमती नेताम, और शंकर नाग द्वारा संपन्न किया गया. हालांकि इस फार्म पर पिछले 25-30 वर्षों में देश-विदेश के लाखों लोग आ चुके हैं, परंतु स्थानीय किसानों के बीच जैविक खेती, हर्बल खेती और मसालों की खेती की संभावनाओं को लेकर अब तक जो रुझान होना चाहिए था, वह नहीं दिख पाया. हाल ही में दंतेवाड़ा से यह तीसरा बड़ा किसान दल फार्म पर पहुंचा, जो कि दंतेवाड़ा जिला कलेक्टर महोदय की पहल से संभव हुआ.
‘मां दंतेश्वरी हर्बल फार्म’ पर वर्षों से प्रगतिशील किसान, वैज्ञानिक और शोधार्थी जैविक खेती, उच्च लाभदायक बहुस्तरीय खेती, वनौषधि खेती, मसालों की खेती, और बहुचर्चित ‘नेचुरल ग्रीनहाउस’ के कोंडागांव मॉडल को देखने आते रहे हैं. लेकिन स्थानीय किसानों के बीच इस रुचि का उभरना एक सकारात्मक संकेत है.
इसी तारतम्य में कोंडागांव आए किसानों के एक दल को संबोधित करते हुए संस्थान के संस्थापक डॉ राजाराम त्रिपाठी ने कहा कि एक उद्यमी नवाचारी अपने स्तर पर नए नए प्रयोग करके,अनवरत साधना से एक सफल मॉडल तैयार कर समाज को दे सकता है, परंतु इसे आगे समाज के हर जरूरतमंद तक सफलतापूर्वक पहुंचाने का कार्य केवल सरकार ही कर सकती है. इस दिशा में दंतेवाड़ा के साथ ही कोंडागांव के माननीय कलेक्टर महोदय,जिला प्रशासन तथा कृषि एवं उद्यानकी विभाग व केवीके की भी निश्चित रूप से सराहना की जानी चाहिए, जिनके सक्रिय सहयोग और सक्रिय हस्तक्षेप से यह पहल संभव हुआ. बस्तर के इस दंडकारण्य के पठार में कृषि और उद्यानिकी के क्षेत्र में अपार संभावनाएं हैं, हमें बस मिलजुल कर सकारात्मक दृष्टिकोण के साथ सही दिशा में आगे बढ़ने की जरूरत है.
‘मां दंतेश्वरी हर्बल समूह’ विगत तीन दशकों से इस दिशा में मनसा वाचा कर्मणा समर्पित है और जब तक किसानों के समेकित टिकाऊ विकास का सम्पूर्ण लक्ष्य प्राप्त नहीं होता, तब तक इसी भावना से सेवा करते रहेंगे.
-भारत एक्सप्रेस
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