दिल्ली उच्च न्यायालय ने शुक्रवार को राज्यसभा के पूर्व सदस्य विजय दर्डा और उनके बेटे देवेंद्र और कारोबारी मनोज कुमार जायसवाल को अंतरिम जमानत दे दी है. इससे पहले छत्तीसगढ़ में कोयला ब्लॉक आवंटन में अनियमितता से जुड़े एक मामले में बुधवार को पूर्व राज्यसभा सदस्य विजय दर्डा और उनके बेटे देवेंद्र दर्डा को चार साल जेल की सजा सुनाई थी. साथी ही 15 लाख रुपये जुर्माना भी लगाया गया था. पिछले दो दिनों से विजय और देवेंद्र जेल में थे.
बता दें कि कोर्ट ने यवतमाल एनर्जी प्राइवेट लिमिटेड के निदेशक मनोज कुमार जयासवाल को भी चार साल की जेल की सजा सुनाई थी, जबकि पूर्व कोयला सचिव एचसी गुप्ता और दो अन्य अधिकारियों केएस क्रोफा और केसी समारिया को तीन साल की जेल की सजा सुनाई गई थी.
जस्टिस दिनेश कुमार शर्मा ने मामले में अपनी सजा के खिलाफ तीन लोगों की अपील पर सीबीआई को नोटिस जारी कर जवाब मांगा. अदालत ने चार साल की कैद की सजा को निलंबित करने की दोषियों की मांग वाली याचिका पर भी सीबीआई से जवाब देने को कहा.
बता दें कि मामले में मेसर्स जेएलडी यवतमाल पर 50 लाख रुपये जुर्माना लगाया गया है. इस महीने की शुरुआत में, विशेष न्यायाधीश संजय बंसल ने उन्हें भारतीय दंड संहिता (IPC) की धारा 120 बी (आपराधिक साजिश) और 420 (धोखाधड़ी और बेईमानी) और भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम के तहत दोषी ठहराया था. सीबीआई ने कहा कि कोयला आवंटन घोटाले में 13वीं सजा सुनिश्चित की गई है. बता दें कि यह मामला 2012 में मनमोहन सिंह सरकार को हिलाकर रख दिया था.
सुनवाई के दौरान सीबीआई ने अधिकतम सजा की मांग करते हुए दावा किया कि दर्डा और उनके बेटे देवेंद्र ने जांच को प्रभावित करने के लिए पूर्व सीबीआई निदेशक रंजीत सिन्हा से उनके आवास पर मुलाकात की थी. सुप्रीम कोर्ट ने कोयला घोटाला मामलों की जांच को प्रभावित करने की कोशिश करने के प्रथम दृष्टया आरोपों में सिन्हा की भूमिका की जांच के लिए एक एसआईटी का गठन किया था.
-भारत एक्सप्रेस
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