Deadliest Cyclones In India: अरब सागर के रास्ते बिपरजॉय नाम का चक्रवाती तूफान तेजी से गुजरात की ओर बढ़ रहा है. इसे लेकर राज्य में हाई अर्लट जारी किया गया है. चक्रवाती तूफान बिपरजॉय अभी से अपना असर दिखा रहा है. मुंबई से लेकर केरल के तट तक समंदर में भयंकर तूफानी लहरें उठ रही हैं. आशंका है कि अरब सागर में विकसित ये तूफान शुक्रवार शाम तक गुजरात में लैंडफॉल कर सकता है. भारत मौसम विज्ञान विभाग (IMD) के मुताबिक, 15 जून को चक्रवात के गुजरात तट पर पहुंचने के साथ ही भारी बारिश होने की संभावना है. कच्छ, देवभूमि द्वारका और जामनगर जिलों में अलग-अलग स्थानों पर अत्यधिक भारी बारिश होने की भी संभावना है. सरकार की ओर से भी तूफान से मचने वाली तबाही के लिए तैयारियां की गई हैं. सेना के जवानों को अलर्ट मोड पर रखा गया है. समुद्र तट पर एनडीआएफ,एसडीआएफ की टीमों की तैनाती की गई हैं. बिपरजॉय ने देश में कुछ भीषण तूफानों की याद दिलाई है, जिसमें हजारों लोगों की जान चली गई थी. गुजरात के लिए भी तूफान को लेकर हाई अलर्ट कोई नई बात नहीं है. आइये देश के कुछ विनाशकारी तूफानों के बारे में विस्तार से बताते हैं:
20वीं शताब्दी में सबसे विनाशकारी चक्रवात 1999 में ओडिशा में आया था. रिपोर्टों के अनुसार, विनाशकारी चक्रवात ने लगभग 10,000 लोगों की जान ले ली, 1,500 बच्चे अनाथ हो गए और 7,500 लोग घायल हो गए. बताया जाता है कि इस तूफान के दौरान 250 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से हवा चल रही थी. समु्द्र में सात मीटर ऊंची लहरें उठ रही थीं. रिपोर्ट के मुताबिक, तूफान के बाद कई लोगों के शवों को पेड़ों पर अटका हुआ पाया गया. हैरत की बात ये थी कि इस विनाशकारी तूफान के बारे में पहले से कोई अलर्ट जारी नहीं किया गया था.
1998 में बेहद गंभीर चक्रवात गुजरात के पोरबंदर तट से टकराया था. इस दौरान अधिकतम 160 किमी प्रति घंटे की रफ्तार से हवा चल रही थी. तूफान के कारण 1,176 लोगों ने जानें गंवा दी थी और 1,700 से ज्यादा लोग घायल हुए थे.
1996 में एक बहुत ही भयंकर चक्रवाती तूफान आंध्र प्रदेश में काकीनांदा के पास के तट से टकराया था. चक्रवात के कारण करीब 2 हजार लोगों की मौत हो गई थी और 900 लोग लापता बताए गए थे. चक्रवात की वजह से 3 लाख हेक्टेयर से ज्यादा जमीन पर फसलों को नुकसान हुआ था.
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भारत और बांग्लादेश के पूर्वी हिस्से से 2020 के मई में चक्रवात अम्फान टकराया था. इस चक्रवात ने 120 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से चलने वाली हवाओं ने पेड़ों और घरों को उखाड़ फेंका. तूफान ने भारत में 98 लोगों की जान ले ली. कोरोना महामारी के दौरान आए इस तूफान में फंसे लोगों तक राहत पहुंचाने में सरकार के पसीने छूट गए थे. इतना ही नहीं इस तूफान के कारण बांग्लादेश में भी भारी तबाही मची थी.
2021 में, गुजरात का सामना चक्रवात तौकते से हुआ था. तौकते के गुजरात के तट से टकराने के बाद करीब 150 किलोमीटर की गति से हवा चल रही थी. रिपोर्ट के मुताबिक, इस तूफान के कारण करीब 70 लोगों और 8,000 से अधिक मवेशियों की जान चली गई. तटीय क्षेत्रों से 2,80,000 लोगों को निकाला गया था.
साल 2019 में ओडिशा के समुद्र तट से चक्रवात फानी टकराया था. इसमें लगभग 100 लोगों की जानें गई थी. हालांकि, मौसम विभाग ने पहले ही फानी को लेकर अर्लट जारी किया था. सरकार ने मुस्तैदी से करीब 12 लाख लोगों को समुद्र तट से दूर शिफ्ट कर दिया था नहीं तो कई लोग मारे जाते. बाद में स्थानीय लोगों ने विरोध प्रदर्शन किया. लोगों ने आरोप लगाया था कि राहत और बचाव कार्य में देरी की गई. मुआवजे की राशि भी देर से दी गई.
चक्रवात ओखी ने 2017 में केरल और तमिलनाडु जैसे राज्यों में कहर बरपाया था. निचले इलाकों में रहने वाले नागरिकों को सुरक्षित ठिकानों पर पहुंचाने के बाद भी कम से कम 300 लोगों की जान चली गई थी. चक्रवात के दौरान 215 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से हवा चल रही थी.चक्रवात ओखी 1890 के बाद से केरल से टकराने वाला केवल चौथा चक्रवात था.
ये उन कई चक्रवातों में से कुछ ही हैं जिन्होंने पिछले कुछ दशकों में भारत में तबाही मचाई है. चक्रवात हमारे देश में असामान्य नहीं हैं, और तटीय क्षेत्रों में मई के महीने में भारत में सबसे अधिक बार आते हैं.
-भारत एक्सप्रेस
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