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G20 Summit: मिलिए उन चार डिप्लोमेट्स से, जिनकी मेहनत ने ‘नई दिल्ली घोषणापत्र’ पर दुनिया को किया राजी

G20 Summit 2023: जी20 शिखर सम्मेलन-2023 का पहला दिन भारत के लिए बेहद खास रहा, जहां पीएम नरेंद्र मोदी ने दिल्‍ली डिक्‍लेरेशन के लिए सभी देशों को मनाकर अपनी कूटनीतिक दक्षता का बेजोड़ नमूना पेश किया है. इसके पहले, ऐसे हालात बनते नजर आ रहे थे कि यूक्रेन से युद्र के मसले पर चर्चा को लेकर रूस इस घोषणापत्र की राह में बाधा बन सकता है, लेकिन ऐसा हुआ नहीं और सभी की सहमति से पहले ही दिन घोषणापत्र को मंजूरी मिल गई.

पीएम मोदी ने जी20 शिखर सम्मेलन के पहले दिन के सत्र के दौरान इस घोषणापत्र के बारे में जानकारी देते हुए खुशी जताई. दरअसल, रूस-यूक्रेन युद्र और इसके बाद पैदा हुए हालात के बीच पश्चिमी देशों और रूस-चीन को अलग-अलग मोर्चों पर मनाना आसान काम नहीं था, लेकिन पीएम मोदी के नेतृत्व में भारत ने यह कर दिखाया. इस काम में परदे के पीछे कुछ ऐसे चेहरे थे, जिन्होंने बेहद चुनौतीपूर्ण कार्य को कर दिखाया.

भारत के जी20 शेरपा अमिताभ कांत ने कहा कि जी20 नेताओं द्वारा अपनाया गया ‘नयी दिल्ली घोषणापत्र ’ मजबूत और सतत विकास, सतत विकास लक्ष्यों पर प्रगति में तेजी लाने, हरित विकास समझौते और बहुपक्षवाद में नये सिरे जान फूंकने पर केंद्रित है. उन्होंने पीएम मोदी की तारीफ की और कहा कि आज के युग को मानव-केंद्रित वैश्वीकरण के स्वर्ण युग के रूप में चिह्नित किया जाना चाहिए और पीएम मोदी के नेतृत्व में भारत की जी20 अध्यक्षता ने इस लक्ष्य की दिशा में अथक प्रयास किया है.

यूक्रेन मुद्दा था चुनौती

दरअसल, इस घोषणापत्र की मंजूरी में सबसे बड़ी अड़चन यूक्रेन-रूस युद्ध था क्योंकि इसके कारण रूस पर दबाव बन रहा था और रूस हरगिज नहीं चाहता था कि अमेरिका या कोई और देश यूक्रेन के मसले को लेकर जी20 में उस पर दबाव बनाए. ऐसे में आशंका बनी हुई थी कि घोषणापत्र जारी होगा या नहीं.

यूक्रेन पर सभी पक्षों की सर्वसम्मति दिसंबर में टूट गई थी. इसके बाद भारत ने ब्राजील और दक्षिण अफ्रीका को साथ लेने की तरफ कदम बढ़ाए. ऐसे में ग्लोबल साउथ का प्रतिनिधित्व करने वाले देशों का साथ मिला और इस पर सर्वसम्मति बनने के बाद शिखर सम्मेलन के समापन का इंतजार नहीं किया गया और पहले ही दिन इसको सार्वजनिक करने का ऐलान कर दिया गया.

इन चार चेहरों ने निभाई बड़ी भूमिका

इंडियन एक्‍सप्रेस की रिपोर्ट के अनुसार विदेश मंत्रालय के अभय ठाकुर, नागराज नायडू काकनूर, ईनम गंभीर और आशीष सिन्‍हा ने मिलकर इस मुश्किल काम को करने में अहम भूमिका निभाई.

आशीष सिन्‍हा 2005 बैच के ही आईएफएस अधिकारी हैं जिनकी स्पेनिश भाषा पर अच्छी पकड़ है. वे भारतीय राजनयिक के तौर पर मैड्रिड, काठमांडू, न्यूयॉर्क और नैरोबी में अपनी सेवाएं दे चुके हैं. जी20 के संयुक्त सचिव बनने से पहले, वह पिछले सात वर्षों से मल्टीलेटरल सेटिंग्‍स में भारत के लिए बातचीत कर रहे थे.

संयुक्‍त सचिव नागराज नायडू काकनूर जी20 की भारतीय टीम में चाइनीज स्‍पीकर के रूप में लीड कर रहे हैं. साझा बयान में उन्‍होंने यूक्रेन विवाद पर सभी को सहमत करने में अहम भूमिका निभाई. 1998 बैच के आईएफएस अधिकारी नागराज चार अलग-अलग कार्यकाल के दौरान बीजिंग, हांगकांग और गुआंगज़ौ में काम कर चुके हैं. इसके अलावा वे यूरोप और वेस्‍ट डिवीजन के इंचार्ज रह चुके हैं.

ईनम गंभीर भारतीय राजनयिकों की टीम में एकमात्र महिला अधिकारी हैं. 2005 बैच की आईएफएस अधिकारी वर्तमान में संयुक्त सचिव जी20 हैं. उन्होंने न्यूयॉर्क में यूएन हेडक्वार्टर्स में UNGA के 74वें सत्र के अध्यक्ष के कार्यालय में शांति और सुरक्षा मुद्दों पर वरिष्ठ सलाहकार के रूप में कार्य किया है. नायडू और ईनम गंभीर को यूक्रेन-युद्ध पैराग्राफ के लिए कठिन बातचीत का काम सौंपा गया था.

विदेश मंत्रालय के अतिरिक्‍त सचिव अभय ठाकुर जी20 समिट के दौरान सूस-शेरपा है. वो शेरपा अमिताभ कांत के बाद नंबर-2 की भूमिका में हैं. अभय ठाकुर मॉरिशियस, नाइजीरिया में भारत के राजदूत रह चुके हैं. रशियन भाषा पर पकड़ रखने वाले अभय ठाकुर के इस ज्ञान ने जी20 के दौरान काफी मदद की. इस तरह, इन चार लोगों की टीम ने परदे के पीछे से घोषणापत्र पर सहमति बनाने में अपनी अहम भूमिका निभाई है.

-भारत एक्सप्रेस

कमल तिवारी

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