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चीन के विरोध के बावजूद ‘वसुधैव कुटुंबकम’ को भारत ने सभी के दिमाग में किया स्थापित-बोले भारत एक्सप्रेस के चेयरमैन उपेन्द्र राय

भारत एक्सप्रेस के चेयरमैन, एमडी एवं एडिटर-इन-चीफ उपेन्द्र राय रविवार को इंटरनेशनल मीडिया सेंटर पहुंचे थे. यहां उन्होंने G20 समिट पर बोलते हुए कहा कि यह डिप्लोमैटिक लेवल पर भारत के लिए सफल आयोजन रहा.

G20 समिट में शी जिनपिंग के न आने पर भारत एक्सप्रेस के चेयरमैन उपेन्द्र राय ने कहा, “भारत नहीं चाहता था कि चीन की कूटनीति हावी हो. यदि चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग और रूस के राष्ट्रपति व्लादिमिर पुतिन नहीं आए हैं तो यह अच्छा ही है, क्योंकि यदि वो आते तो भारत के लिए असहज स्थिति उत्पन्न हो जाती. यूक्रेन युद्ध को लेकर दुनिया के सारे बड़े देशों, खासकर अमेरिका ने रूस पर प्रतिबंध लगाए हुए हैं..भारत एक कठिन घड़ी में भी उसका बड़ा सहारा रहा. अमेरिका को भी दरकिनार करते हुए भारत ने रूस के साथ जिस तरह से अपनी करंसी में अरबों की डील की…ये बात अमेरिका को कहीं न कहीं चुभ रही थी. उस दौरान भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का बयान आया और विदेश मंत्री एस जयशंकर का भी बयान आया कि भारत एक संप्रभु राष्ट्र है और वो अपने निर्णय अपनी सहूलियत के हिसाब से लेता है.”

बहरहाल, G-20 समिट के दौरान दूसरी बात जो एक इकोनॉमिक कॉरिडोर बनाने की है, उसे चीन के ‘बेल्ट एंड रोड इनीशिएटिव’ यानी BRI का करारा जवाब माना जा रहा है. उसे भारत, यूरोप और मिडिल ईस्ट इकोनॉमिक कॉरिडोर डील कहा जा रहा है.

“भारत ने अफ्रीका महाद्वीप के देशों की यूनियन को भी G20 से जुड़वा दिया. 9 सितंबर को दिल्ली के भारत मंडपम में प्रधानमंत्री मोदी ने अफ्रीकन यूनियन के G20 में शामिल होने की घोषणा की. इसके साथ ही 26 साल पहले 1997 में बना G20 अब G21 बन गया है. इसमें जुड़ने वाला अफ्रीकन यूनियन वो संगठन है जो 1963 में अफ्रीकी देशों को आजादी दिलाने के लिए बनाया था.”

भारत एक्सप्रेस के चेयरमैन ने कहा, “अफ्रीका में चीन का प्रभाव जिस तरह तेजी से बढ़ रहा था, प्रधानमंत्री मोदी की अगुवाई में भारत ने G-20 के जरिए उसको काउंटर किया है. जैसे दक्षिण एशियाई देशों में चीन का प्रभाव तेजी से बढ़ रहा था, उसका सबसे बड़ा शिकार श्रीलंका बना..लेकिन संकट में श्रीलंका को संभालने के लिए चीन नहीं आया, भारत ने सहायता की..ऐसे समय में जब कि पड़ोसी देशों को जरूरत होती है तो भारत जरूर मदद को आगे आता है. तो जो देश भारतीय उपमहाद्वीप से छिटकते हुए दिख रहे थे, वो वापस आ चुके हैं.”

“इस बार G-20 समिट में भारत ने किसी विकासशील देश की तरह अपनी बात नहीं रखी, बल्कि एक विकसित देश की तरह अपनी बात रखी. युद्धकाल में भारत रूस के साथ भी खड़ा रहा और यूक्रेन को भी मदद करता रहा..उसके बाद इस G20 के आयोजन में जो 90% देश रूस के खिलाफ थे, उन्होंने दिल्ली में रूस की बर्बरता से जुड़ी एक लाइन भी नहीं बोली. ये भारत की सबसे बड़ी कूटनीतिक सफलता है.

मौजूदा समय में दुनिया के मैन्यूफेक्चरिंग में 30% हिस्सा अकेले चीन का है. ये सेक्टर चीन की कामयाबी का सबसे बड़ी वजह है. चीन में जिस तरह से बदलाव हुए, वहां के प्रशासनिक ढांचे को देख लें या वहां की लीडरशिप का असर मानें वो तेजी से बढ़ते गए और बड़ी इकोनॉमी बन गए.”

यह भी पढ़िए: PM मोदी का मास्टरस्ट्रोकः जी-20 समिट ने भारत के नेतृत्व और इनोवेशन से दुनिया को कराया रूबरू

भारत एक्सप्रेस के चेयरमैन ने चीन पर बोलते हुए कहा, “कोई आदमी होता है मोहल्ले में जिसके पास रुपया-पैसा, गाड़ी, रसूख ज्यादा होता है, लेकिन न वो मर्यादित होता है न उसका आचरण अनुसरण करने लायक होता है..चीन भी ठीक वैसा ही है. मगर, जो करेक्टर साउथ ईस्ट एशिया में भारत ने पेश किया है अपने मित्रदेशों के साथ, जिस तरह से कोरोना-काल में दूसरे दशों की मदद की है..अन्न से लेकर के वैक्सीन तक तमाम तरह से सहयोग दिया. तो हमने वसुधैव कुटुंबकम की तस्वीर पेश की.”

“चीन के विरोध के बावजूद ‘वसुधैव कुटुंबकम’ को एक स्लोगन के रूप में सबके दिमाग में स्थापित किया. भारत की जो आध्यात्मिक परंपरा है, धार्मिक…वैदिक परंपरा है और यहां तक कि जो भारत मंडपम में भारत की सांस्कृतिक धरोहर से परिचय करवाया, वो अपने आप में बहुत कमाल की बात है.”

— भारत एक्सप्रेस

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