UP News: होली के अवसर पर यूपी की तमाम जेलों में हर्बल गुलाल व रंग तैयार किए जा रहे हैं. बंदी दिन-रात लगकर फूलों व फलों से रंग तैयार कर रहे हैं. मथुरा से लेकर, आगरा और मेरठ में भारी मात्रा में रंग तैयार किया जा रहा है. मथुरा में जो हर्बल गुलाल व रंग तैयार किया जा रहा है, वो सबसे पहले काशी में बाबा विश्वनाथ पर चढ़ेगा. इसके बाद जेल के बाहर स्टाल लगाकर रंग को आम जनमानस में बेचा जाएगा. इसी के साथ बंदी लोगों को केमिकल रहित होली खेलने का संदेश देंगे. सबसे बड़ी बात ये है कि गायत्री शक्तिपीठ आंवलखेड़ा से 200 कुंतल गुलाल बनाने का आर्डर आगरा जेल को मिला है.
मेरठ के चौधरी चरण सिंह जिला कारागार में होली के लिए बंदी हर्बल गुलाल तैयार कर रहे हैं. इस काम में हिंदू और मुस्लिम बंदी भी पूरा सहयोग कर रहे हैं. यह गुलाल जेल में आने वाले बंदियों के परिजनों के लिए तो उपलब्ध रहेगा. साथ ही, आउटलेट भी जेल के बाहर लगाया जाएगा. ताकि नेचुरल रंगों का इस्तेमाल लोग होली के त्योहार पर कर सकें. बंदी यहां टेलकम पाउडर, आरारोट, सब्जियों के जूस से हर्बल गुलाल को बना रहे हैं. 100 ग्राम प्राकृतिक गुलाल की कीमत 10 रुपए तय की गई है.
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मेरठ, आगरा और मथुरा जेल के कैदी चुकंदर, पालक, टेसू के फूलों, हल्दी से हर्बल गुलाल तैयार कर रहे हैं. हर्बल गुलाल बनाने के लिए टेलकम पाउडर और अरारोट में पालक को पीसकर उसमें से हरा रंग निकाल कर मिलाया जा रहा है. इसी तरह मेथी को पीसकर हल्का हरा रंग, चुकंदर को पीसकर लाल रंग, हल्दी पाउडर का प्रयोग कर पीला गुलाल तैयार किया जा रहा है. गुलाल में सब्जियों, फूलों की प्राकृतिक खुशबू है. गुलाल जेल में उगने वाली सब्जियों से तैयार हो रहा है. टेलकम पाउडर बाजार से खरीदा गया है.
मेरठ की जिला जेल में बन रहा गुलाल आम लोगों तक पहुंचे इसके लिए भी जेल प्रशासन ने इंतजाम किए हैं. जेल में कैदियों के बनाए जा रहे गुलाल पर करीब 180 रुपए प्रति किलो की लागत आ रही है. इस गुलाल को 200 रुपए किलो के हिसाब से बिक्री किया जाएगा. गुलाल के 100-100 ग्राम के पैकेट जेल के मुख्य द्वार पर बिक्री के लिए उपलब्ध रहेंगे.
बता दें कि जेलों में जो गुलाल व रंग तैयार किया जा रहा है, उसी से बंदी भी होली खेलेंगे. त्योहार पर मुलाकात के दौरान बंदी अपने परिजनों को हर्बल गुलाल गिफ्ट कर पर्यावरण संरक्षण का संदेश देंगे. बता दें कि गुलाल बनाने के लिए कैदियों ने पहले जेल परिसर में पालक और चुकंदर की खेती की है. बिना केमिकल के उगाई हुई सब्जी के इस्तेमाल से बना ये गुलाल एकदम हर्बल है.
डीजी जेल बताते हैं कि कौशल विकास मिशन के तहत कैदियों को आत्मनिर्भर बनाया जा रहा है. जिससे वह जब भी जेल से रिहा हों तो समाज के बीच रहकर अच्छा कार्य करते हुए अपने परिवार का पालन पोषण कर सकें. होली के शुभ अवसर पर कैदी सब्जियों से हर्बल गुलाल तैयार कर रहे हैं. ये पूरी तरह हर्बल है, जिससे त्वचा, आंखों, सांस को कोई नुकसान नहीं होगा. जेल में होलिकोत्सव भी मनाया जाएगा. उस दिन बंदियों को विशेष भोजन भी परोसा जाएगा.
-भारत एक्सप्रेस
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