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“मवेशियों को जहरीला कचरा खाने की अनुमति नहीं दे सकता”, हाई कोर्ट ने भलस्वा डेयरी मामले की सुनवाई के दौरान की सख्त टिप्पणी

दिल्ली हाई कोर्ट ने एक याचिका पर सुनवाई के दौरान कहा कि वह शहर के निवासियों के स्वास्थ्य को लेकर चिंतित है. कोर्ट ने कहा कि वह मवेशियों को जहरीला कचरा खाने की अनुमति नहीं दे सकता, क्योंकि इससे वे स्वास्थ्यवर्धक दूध देने में असमर्थ हो जाएंगे. साथ ही कोर्ट ने आवासीय क्षेत्र में चल रही डेयरियों को लेकर कड़ी आपत्ति जताई और कहा कि डेयरी कालोनियों में भारी अतिक्रमण एवं अवैध निर्माण है.

ये हम अगली पीढ़ी के लिए कर रहे- कोर्ट

कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश मनमोहन एवं न्यायमूर्ति मनमीत प्रीतम सिंह अरोड़ा की पीठ ने कहा कि जब गायें जहरीला कचरा खाने लगेंगी, तो वे स्वास्थ्यवर्धक दूध नहीं देंगी. हम यह अपने लिए नहीं, बल्कि सिर्फ अगली पीढ़ी के लिए कर रहे हैं. अगर आप एमसीडी की कार्रवाई (तोड़फोड़) से परेशान हैं, तो एमसीडी के अपीलीय न्यायाधिकरण में जाएं. पीठ ने आगे कहा कि इन लोगों को डेयरियों से कोई मतलब नहीं है. इन्हें सिर्फ अपनी संपत्तियों से मतलब है. ये सब दलाल हैं. इनको दिल्ली के नागरिकों के स्वास्थ्य से कोई मतलब नहीं है. हमें दिल्ली के नागरिकों के स्वास्थ्य से मतलब है.

अंतरिम संरक्षण 23 अगस्त तक बढ़ाया

कोर्ट ने भलस्वा में उन कुछ खास डेयरी मालिकों को तोड़फोड़ की कार्रवाई से 9 अगस्त को दिया गया अंतरिम संरक्षण 23 अगस्त तक बढ़ा दिया है, जो स्थानांतरित होने के इच्छुक हैं. बशर्ते कि वे अपने संबंधित भूखंडों पर निर्माण की सीमा, अपने पास मौजूद मवेशियों की संख्या आदि के बारे में अपने हलफनामे में बताएं. जब कोर्ट ने अन्य को कोई संरक्षण देने से इनकार कर दिया, तब अन्य लोगों ने अपने अभियोग आवेदन को वापस लेने तथा एमसीडी के अपीलीय न्यायाधिकरण में जाने की छूट मांगी. एमसीडी के वकील ने कहा कि निगम किसी डेयरी के खिलाफ नहीं, बल्कि अवैध एवं अनाधिकृत निर्माणों के खिलाफ कार्रवाई कर रहा है. इन अवैध निर्माणों में डेयरी के जमीन पर शोरूम का निर्माण भी शामिल है.

यह भी पढ़ें- राहुल गांधी की भारतीय नागरिकता रद्द करने की मांग, BJP नेता सुब्रमण्यम स्वामी ने खटखटाया Delhi High Court का दरवाजा

कोर्ट ने यह भी कहा कि अगली पीढ़ी के सामने खराब दूध के सेवन के कारण जानलेवा बीमारियों का खतरा पैदा नहीं होना चाहिए. कोर्ट ने भलस्वा डेयरी कालोनी के निवासी होने का दावा करने वाले लोगों की कई आवेदनों पर सुनवाई करते हुए यह टिप्पणी की. आवेदनकर्ता अधिकारियों की ओर से चलाई जा रही तोड़फोड़ की कार्रवाई या सीलिंग के निर्देश से परेशान थे क्योंकि उन्हें बेघर होने का डर है.

-भारत एक्सप्रेस

गोपाल कृष्ण

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