सुप्रीम कोर्ट ने महिलाओं को लेकर एक अहम फैसला सुनाया है. शीर्ष अदालत ने कहा है कि महिला का स्त्रीधन उसकी संपूर्ण संपत्ति है. उसे अपनी संपत्ति को अपनी मर्ची से खर्च करने का पूरा अधिकार है. कोर्ट ने कहा कि महिला की संपत्ति उसके पति के साथ संयुक्त संपत्ति नहीं बन सकती है. हालांकि मुसीबत के समय पत्नी का पैसा पति खर्च कर सकता है, लेकिन इस पैसे को वापस पत्नी को लौटाना होगा.
सुप्रीम कोर्ट ने ये फैसला देते हुए केरल हाई कोर्ट के 5 अप्रैल, 2022 के उस फैसले को रद्द कर दिया, जिसमें तलाक मंजूर करते हुए पति और सास से सोने के मूल्य के रूप में 890000 रुपये वसूलने के फैमिली कोर्ट के 2011 के आदेश को रद्द कर दिया था.
शीर्ष अदालत ने इस तर्क को पूरी तरह से खारिज कर दिया कि नवविवाहिता महिला को पहली रात ही सारे जेवरात से वंचित कर दिया जाना बिल्कुल विश्वसनीय नहीं है. कोर्ट ने कहा कि लालच बहुत ही खतरनाक प्रवृत्ति और मनुष्यों को बहुत घृणित अपराध करने के लिए बाध्य करती है.
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दरअसल, पत्नी ने दावा किया था कि 2003 में शादी की पहली रात उसके पति ने उससे सारे गहने ले लिए थे. हालांकि हाई कोर्ट ने साल 2009 में दायर की गई याचिका के कारण महिला की ओर से सद्भावना की कमी को जिम्मेदार ठहराया. जबकि पति-पत्नी का साथ 2006 में खत्म हो गया था.
-भारत एक्सप्रेस
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