भारत के नए मल्टी-रोल स्टेल्थ फ्रिगेट INS तुशील (INS Tushil) को सोमवार को रूस के कालिनिनग्राद (Kaliningrad) में भारतीय नौसेना में शामिल किया गया. 3,900 टन वजनी इस युद्धपोत में आधुनिक हथियार और सेंसर लगे हैं. रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह (Defence Minister Rajnath Singh) ने इसे भारत और रूस के रक्षा संबंधों को और मजबूत बनाने का महत्वपूर्ण कदम बताया.
राजनाथ सिंह ने कहा, “भारत और रूस नई और उन्नत तकनीकों जैसे आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI), साइबर सुरक्षा, अंतरिक्ष अन्वेषण और आतंकवाद विरोधी उपायों में एक-दूसरे के विशेषज्ञता का लाभ उठाकर सहयोग के नए युग में प्रवेश करेंगे.” उन्होंने INS तुशील की कमीशनिंग को भारत-रूस की दीर्घकालिक रणनीतिक साझेदारी में एक “महत्वपूर्ण मील का पत्थर” बताया.
रक्षा मंत्री ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (PM Narendra Modi) और राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन (Vladimir Putin) के नेतृत्व में द्विपक्षीय तकनीकी और परिचालन सहयोग नई ऊंचाइयों पर पहुंच रहा है. INS तुशील में ‘मेक इन इंडिया’ का बढ़ता योगदान इस सहयोग का प्रमाण है.
नौसेना प्रमुख एडमिरल दिनेश के त्रिपाठी (Admiral Dinesh K Tripathi) ने इस युद्धपोत को बनाने में शामिल भारतीय और रूसी टीमों की सराहना की. उन्होंने यंतर शिपयार्ड के कर्मचारियों और उपकरण निर्माताओं को उनके बेहतरीन काम के लिए धन्यवाद दिया.
125 मीटर लंबा यह फ्रिगेट, क्रिवाक-III श्रेणी (Krivak-III class) का उन्नत संस्करण है. यह हवा, सतह, पानी के नीचे और विद्युत चुंबकीय युद्धक्षेत्र में काम करने में सक्षम है. यह युद्धपोत 30 नॉट से अधिक की गति प्राप्त करने में सक्षम है. यह कामोव-28 (Kamov-28) और कामोव-31 (Kamov-31) जैसे हेलीकॉप्टरों को भी ले जाने की क्षमता रखता है. अगले साल की शुरुआत में इसी श्रृंखला का दूसरा युद्धपोत INS तमाल (INS Tamal) भी नौसेना में शामिल किया जाएगा.
INS तुशील में कई आधुनिक हथियार और उपकरण लगे हैं, जिनमें शामिल हैं, जैसे:
भारत-रूस द्वारा संयुक्त रूप से विकसित ब्रह्मोस सुपरसोनिक क्रूज मिसाइल.
सतह-से-हवा में मार करने वाली स्ठिल मिसाइल (Shtil surface-to-air missile).
मध्यम दूरी की एंटी-एयर गन.
एंटी-सबमरीन टॉरपीडो और रॉकेट.
उन्नत इलेक्ट्रॉनिक युद्ध और संचार प्रणालियां.
भारत ने अक्टूबर 2018 में रूस के साथ चार क्रिवाक-III श्रेणी के उन्नत फ्रिगेट के लिए समझौता किया था. इनमें से पहले दो जहाज रूस से लगभग ₹8,000 करोड़ में आयात किए जाएंगे. शेष दो जहाज गोवा शिपयार्ड में ₹13,000 करोड़ की लागत से “ट्रांसफर ऑफ टेक्नोलॉजी” के तहत बनाए जा रहे हैं. इन चार नए युद्धपोतों के साथ, भारतीय नौसेना में पहले से मौजूद छह रूसी फ्रिगेट्स (तीन तलवार-श्रेणी और तीन तेग-श्रेणी) की क्षमता और बढ़ेगी.
-भारत एक्सप्रेस
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