India Canada Diplomatic Issue: भारत और कनाडा के बीच जारी तनाव कम होते नहीं दिख रहा. हाल ही में भारत ने जहां कनाडा के 41 राजनयिक और उनके साथ रहने वाले 42 लोगों को मिली ‘डिप्लोमेटिक छूट’ को वापस ले लिया था उसके बाद कनाडा ने इस मामले को एकतरफ़ा कार्रवाई बताया और कहा कि ये कूटनीतिक संबंधों पर वियना संधि के अंतरराष्ट्रीय नियमों का उल्लंघन है.
आपको बता दें की दोनों देशों के बीच विवाद की शुरुआत तब हुई थी जब कनाडा में सिख अलगाववादी नेता हरदीप सिंह निज्जर की हत्या हो गई थी, उसके बाद कनाडा ने भारत के खिलाफ बयानबाजी शुरु कर दी थी. भारत ने दो हफ़्ते पहले कनाडा से कहा था कि दिल्ली में अपने उच्चायोग से दर्जनों कर्मचारियों को वो वापस बुला ले वरना उन्हें मिलने वाली डिप्लोमैटिक इम्युनिटी यानी राजनयिक सुरक्षा वापस ले ली जाएगी क्योंकि वह काफी अधिक संख्या में मौजूद हैं.
कनाडा की विदेश मंत्री मेलैनी जोली ने कहा था कि भारत ने 41 राजनयिकों और उन पर निर्भर 42 लोगों की राजनयिक छूट को ख़त्म करने की एकतरफ़ा कार्रवाई की सूचना दी है, इससे उन राजनायिकों की निजी सुरक्षा ख़तरे में पड़ गई है. भारत के फैसले से दोनों देशों में कांसुलेट की ओर से दी जाने वाली सेवाओं पर असर पड़ेगा. साथ ही उन्होंने कहा कि दुर्भाग्य से हमें चंडीगढ़, मुंबई और बेंगलुरु में अपनी कांसुलेट सेवाओं को रोकना पड़ेगा.
भारत के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अरिंदम बागची ने कनाडा के इन आरोपों का खंडन किया और एक बयान जारी कर कहा कि भारत में कनाडा के राजनयिक अधिक हैं और वे हमारे आंतरिक मामलों में लगातार दखल देते हैं. राजनयिकों की समान संख्या को लेकर की गई हमारी कार्रवाई वियना संधि के अनुच्छेद 11.1 के अनुरूप है.
कनाडा में भारत के राजनयिकों की संख्या की तुलना में भारत में कनाडाई राजनयिकों की संख्या अधिक है. राजनयिकों की संख्या में समानता लाने की ज़रूरत है और पिछले एक महीने से हम इस बारे में कनाडा से बात कर रहे हैं. इस बयान में कहा गया है कि संख्या में समानता को लागू करने को अंतरराष्ट्रीय क़ानूनों का उल्लंघन बताने का हम खंडन करते हैं.
कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो ने भारत के खिलाफ बयान देते हुए कहा कि भारत की कार्रवाइयां दोनों देशों में लाखों लोगों के लिए जीवन को बहुत कठिन बना रही हैं. उन्होंने कहा कि इससे वीजा सेवाओं में देरी होगी. ट्रूडों ने ओंटारियों के ब्रैंपटन में एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा, ”यह कुछ ऐसा है जिसने मुझे उन लाखों कनाडाई लोगों की भलाई और खुशी के बारे में चिंतित किया, जिनका ताल्लुक भारतीय उपमहाद्वीप से है.”
कनाडाई पीएम ने कहा कि उनके कुछ राजनयिकों के निष्कासन से यात्रा और व्यापार में बाधा आएगी और कनाडा में पढ़ रहे भारतीयों के लिए मुश्किलें खड़ी होंगी. आपको बता दें कि कनाडा में बहुत बड़ी संख्या में भारतीय छात्र पढ़ाई करते हैं.
-भारत एक्सप्रेस
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