इंदौर में भीषण हादसे में 36 लोगों की मौत के बाद बेलेश्वर महादेव झूलेलाल मंदिर को ढहाए जाने के चौथे दिन शुक्रवार को मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने ऐलान किया कि इस प्राचीन मंदिर को फिर से वहीं पर स्थापित किया जाएगा, ताकि श्रद्धालु फिर से वहां पूजा-अर्चन कर सकें. इस मंदिर को ढहाये जाने के विरोध में इंदौर में हो रहे प्रदर्शनों के बीच उन्होंने यह ऐलान किया.
चौहान ने भोपाल में मीडिया से कहा, ‘‘विगत दिनों इंदौर में हृदय विदारक दुर्भाग्यपूर्ण घटना घटित हुई थी. जिसके बाद हमने पूरे प्रदेश में कुएं-बावड़ियों को चिन्हिंत करने के निर्देश दिए थे. कुएं-बावड़ियों को भरना उपाय नहीं है. हमारा प्रयास है कि इनका जीर्णोद्धार कर जल स्त्रोतों के रूप में उपयोग किया जाए.’’ उन्होंने आगे कहा, ‘‘इंदौर की घटना के बाद बावड़ी को भर दिया गया है. मंदिर अत्यंत प्राचीन था. इसलिए पूरी तरह से सुरक्षित रखते हुए सामंजस्य और सद्भाव के साथ फिर से मंदिर स्थापित किया जाएगा, ताकि श्रद्धालु फिर से वहां पूजा-अर्चन कर सकें.’’
उनके इस ऐलान से ठीक पहले इस प्राचीन मंदिर को ढहाए जाने पर रोष जताते हुए बड़ी तादाद में श्रद्धालु आज इंदौर में सड़क पर उतरे थे और इस धार्मिक स्थल को पुरानी जगह पर फिर से बनाये जाने का संकल्प जताया था.
इंदौर से मिली रिपोर्ट के अनुसार चश्मदीदों ने बताया कि प्रदर्शनकारी जुलूस के रूप में जिला मुख्यालय परिसर में दाखिल हुए. उन्होंने इस परिसर में जमकर नारेबाजी करने के बाद जिलाधिकारी डॉ. इलैयाराजा टी. को ज्ञापन सौंपा जिसमें पटेल नगर के बेलेश्वर महादेव झूलेलाल मंदिर को हादसे के बाद ढहाए जाने पर विरोध जताया गया है.
प्रदर्शनकारियों ने अपने हाथों में तख्तियां थाम रखी थीं जिन पर ‘‘मेरा क्या कसूर था : बेलेश्वर महादेव झूलेलाल मंदिर’’, ‘‘बचाव कार्य में लेटलतीफी का दोषी कौन है’’, ‘‘भोलेनाथ हम आएंगे, मंदिर वहीं बनाएंगे’’ जैसे नारे लिखे गए थे.
प्रदर्शन में शामिल संगठन “समग्र सिंधी समाज” के नेता दीपक खत्री ने संवाददाताओं से कहा,‘‘बेलेश्वर महादेव झूलेलाल मंदिर में हुआ भीषण हादसा बेहद दु:खद था. लेकिन प्रशासन ने गलत कदम उठाते हुए इस मंदिर को ही ढहा दिया, जबकि कार्रवाई उन दोषियों पर होनी चाहिए थी जिनकी वजह से यह हादसा हुआ था.”
खत्री ने कहा,‘‘मंदिर ढहाये जाने को लेकर हिंदू समुदाय में बहुत रोष है. मंदिर तो वहीं बनेगा जहां इसे ढहाया गया था. हम सब मिलकर दोबारा मंदिर बनाएंगे.’’ प्रदर्शनकारियों से ज्ञापन लेने के बाद जिलाधिकारी इलैयाराजा ने कहा, ‘‘प्रशासन लोगों की धार्मिक आस्था और भावनाओं का सम्मान करता है. हम विधिनुसार कदम उठाएंगे.’’
अधिकारियों ने बताया कि बेलेश्वर महादेव झूलेलाल मंदिर की फर्श 30 मार्च को रामनवमी के हवन-पूजन के दौरान इस तरह धंस गई थी कि बावड़ी में गिरकर 21 महिलाओं और दो बच्चों समेत 36 लोगों की जान चली गई थी. प्रशासन ने हादसे के चार दिन बाद तीन अप्रैल को बेलेश्वर महादेव झूलेलाल मंदिर के देवी-देवताओं की मूर्तियां अन्य देवस्थान में पहुंचाई थीं और आम लोगों की सुरक्षा का हवाला देते हुए बेलेश्वर महादेव झूलेलाल मंदिर को ढहा दिया था. इसके साथ ही, भीषण हादसे की गवाह रही बावड़ी को मलबा डालकर हमेशा के लिए बंद कर दिया गया था.
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