आईआरएस अधिकारी ध्रुव सिंह कर चोरी करने वालों के लिए किसी शामत से कम नहीं. वहीं अब तक के अपने करियर में वित्तिय स्तर पर जुड़े कई गुत्थियों को सुलक्षा चुके हैं. लगभग छह राज्यों में अपनी सेवाएं दे चुके आईआरएस अधिकारी ध्रुव सिंह का अगर 15 साल के रिकार्ड की समीक्षा की जाए तो अपने सभी केस में उनकी जांच को देखते हुए उन्हें विश्व स्तर पर सबसे बेहतरीन जांचकर्ताओं में से एक माना जाता है.
उनकी ख्याति तब और बढ़ गई जब उन्होंने करीब 40,000 करोड़ रुपये की कर चोरी वाले अनअर्थिंग घोटाले को उजागर करने में मुख्य भूमिका निभाई. माना जाता है कि यह आयकर इतिहास में सबसे बड़ा घोटाला है.
ध्रुव सिंह ने कानून को बनाए रखने की अपनी प्रतिबद्धता और उल्लेखनीय उपलब्धियों की बदौलत विभाग के भीतर और बाहर व्यापक तौर पर प्रशंसा और सम्मान अर्जित किया है.
अब तक की यात्रा
ध्रुव सिंह साल 2009 बैच के आईआरएस अधिकारी है. संघ लोक सेवा आयोग (UPSC) की परीक्षा में उनकी ऑल इंडिया रैंकिंग-106 थी. इतनी अच्छी रैंकिंग लाने के बावजूद उन्हें भारतीय पुलिस सेवा (IPS) नहीं मिल पाई. इसकी मुख्य वजह उनकी आंखों से संबंधित परेशानी रही. ऐसे में उन्होंने आईआरएस का विकल्प चुना. ध्रुव सिंह उत्तर प्रदेश के आजमगढ़ के रहने वाले हैं. इलाहाबाद जैसी प्रतिष्ठित यूनिवर्सिटी से उन्होंने स्नातक की पढ़ाई पूरी की.
वर्तमान में ध्रुव सिंह केरल के कोच्चि में अतिरिक्त आयकर आयुक्त (ओएसडी) के रूप में कार्यरत हैं, जो कि उनके 15 वर्षों के करियर में छठा राज्य है. केरल से पहले वह उत्तर प्रदेश, महाराष्ट्र, पश्चिम बंगाल, बिहार और हरियाणा में अपनी सेवाएं दे चुके हैं.
जांच विशेषज्ञ
भारतीय राजस्व सेवा का मुख्य क्षेत्र जांच है और ध्रुव सिंह को इसमें महारत हासिल हो चुकी है. उन्होंने देश भर में 18 से अधिक बड़े मामलों की जांच की और उन्हें बखूबी सुलझाया है. उनका कहना है कि “मेरा काम मुझे पहचान के साथ-साथ अत्यधिक आत्मसंतुष्टि भी देता है.” ध्रुव सिंह ने कोलकाता में आयकर जांच के उप निदेशक के रूप में, पेनी स्टॉक पर दीर्घकालिक पूंजीगत लाभ में हुई हेरफेर की जांच का नेतृत्व किया. यह ऑपरेशन आयकर प्रवर्तन में एक मील का पत्थर साबित हुआ. जिससे अब तक दर्ज की गई सबसे बड़ी कर चोरी का खुलासा हुआ.
उनके निर्देशन में हुई जांच में देशभर में घोटाले के चौंका देने वाले 68 हजार लाभार्थियों की पहचान की गई. इन व्यक्तियों को कर चोरी के उद्देश्य से धोखाधड़ी वाली गतिविधियों में लिप्त पाया गया. सावधानीपूर्वक जांच और न्याय की निरंतर खोज के माध्यम से,ध्रुव सिंह और उनकी टीम ने यह सुनिश्चित किया कि इन लाभार्थियों को उनके कार्यों के लिए जिम्मेदार ठहराया जाए.
इस मामले में ध्रुव सिंह बताते हैं “हमने लगभग 80 शेल कंपनियों की पहचान की और लगभग 40,000 करोड़ की कर चोरी का पर्दाफाश किया, जिससे यह आयकर के इतिहास में सबसे बड़ी जांच बन गई.”
आय प्रकटीकरण योजना, 2016
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में, भारत सरकार ने देश के भीतर काले धन से निपटने की अपनी प्रतिबद्धता के तहत 1 जून 2016 को एक साहसिक आय प्रकटीकरण योजना शुरू की. 30 सितंबर तक चलने वाली इस योजना ने व्यक्तियों को किसी भी संपत्ति में निवेश की गई अघोषित आय की घोषणा करने का अवसर प्रदान किया, जो घोषित राशि पर 45% की कर दर के अधीन था. ऐसे में ध्रुव सिंह ने एक ऐसा वातावरण तैयार किया जहां व्यक्तियों को अपनी असूचित आय का खुलासा करने में विफल रहने के परिणामों का एहसास हुआ. अपने प्रयास में वह यह संदेश घर-घर पहुंचाने में सफल रहे कि कर चोरी का प्रयास करने वालों को कड़े नतीजे भुगतने होंगे.
भारत को अधिक कर-अनुपालक राष्ट्र बनाने और कर चोरी के जटिल जाल को खत्म करने की अपनी खोज में, ध्रुव सिंह ने एक परियोजना-आधारित जांच की. इसमें मनी लॉन्ड्रर्स का एक व्यापक डेटाबेस संकलित करना, धोखाधड़ी करने वाली कंपनियों की पहचान करना और देशभर में इनकी खोज करना शामिल था.
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इन प्रयासों के माध्यम से, ध्रुव सिंह ने 2016 की आय प्रकटीकरण योजना को एक शानदार सफलता में बदलने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई, जिससे देश वित्तीय पारदर्शिता और जवाबदेही के अपने लक्ष्य के बेहद करीब आ गया.
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