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जम्मू-कश्मीर में उद्यम को सरकार दे रही बढ़ावा, स्टार्टअप और ‘येलो क्रांति’ से बदल रही है घाटी की आर्थिक सूरत

जम्मू-कश्मीर में लोग अब उद्यमशीलता को लेकर अपना जूनून दिखाने लगे हैं. भौगोलिक रूप में बेहतरीन इस धरती पर क्रिएटिविटी का अंबार है, अब आतंक मुक्त होने के साथ ही यहां पर लोग बदलते परिवेश में अपनी रुचियों के हिसाब से अलग-अलग क्षेत्रों में काम शुरू कर दिया है. सरकार की तरफ से चलाई जा रही योजनाओं के बल पर घाटी के लोग निजी उद्यम की ओर अग्रसर है. गौरतलब है कि जम्मू-कश्मीर में सरकार कई तरह की सुविधाएं और सपोर्ट लोगों तक पहुंचा रही है, जिसका सीधे-सीधे लाभ कर्मठ जनता तक पहुंच रहा है.

अपनी स्थापना के बाद से, जम्मू-कश्मीर प्रशासन ने समाज में महिलाओं के उत्थान पर जोर दिया है. 40,000 से अधिक जम्मू और कश्मीर में महिलाओं को करोड़पति के रूप में वर्गीकृत किया गया है, क्योंकि वे प्रति माह 1 लाख रुपये से अधिक कमाती हैं, जिनमें से 65 प्रतिशत उद्यमी हैं. इस तरह की एक पहल में, ‘जम्मू और कश्मीर स्टार्टअप नीति 2018-2028’ के तहत युवाओं को उद्यमशीलता के लिए प्रोत्साहित किया गया. स्टार्टअप को सरकार ने काफी लिबरल फंडिंग के जरिए युवाओं तक पहुंचाने की कोशिश की है, जिससे उनकी आर्थिक जीवन में बदलाव के साथ-साथ जीवन शैली में भी बदलाव आए. सरकार की ओर से जारी नीतियों में इंजीनियरिंग, खाद्य प्रसंस्करण, बागवानी और फूलों की खेती सहित कृषि, कपड़ा, हस्तशिल्प, हथकरघा और उनकी डिजाइनिंग आदि शामिल हैं।

सरकारी नीतियां 500 नए स्टार्ट-अप को आकार देने में लगी हैं, जो अपने क्षेत्र में काफी अद्वितीय हैं और इसे अधिक ऊंचाइयों तक ले जाने वाली हैं. 10 नए अत्याधुनिक इनक्यूबेटर चल रहे हैं जो इन स्टार्टअप्स के लिए शुरुआती चरण के निवेश तक पहुंच की सुविधा प्रदान करेंगे. माध्यमिक विद्यालयों और विश्वविद्यालयों में ऐसी क्षमताओं की बढ़ती आवश्यकता को अंततः इस नीति के माध्यम से पूरा किया गया है. जम्मू और कश्मीर में चुनिंदा संस्थानों में प्रयोगशालाएं स्थापित की गई हैं. नीति के प्रभावी कार्यान्वयन, निगरानी और मूल्यांकन के लिए एक मजबूत संस्थागत ढांचा हाई स्कूल/कॉलेज स्तर पर इनोवेशन लगातार दुरुस्त करने में मदद करेगा.

वर्तमान में कश्मीर में, तिलहन उत्पादन के अनुकूल मौसम के कारण कई लोग ‘येलो रिवॉल्युशन’ में शामिल हो चुके हैं. अकेले कश्मीर में इस साल करीब 800 करोड़ रुपये का सरसों का तेल पैदा किया गया. गौरतलब है कि तेल निकालने की प्रक्रिया से कई अवशेष निकलते हैं जिनका इस्तेमाल दूसरे उद्योगों में किया जा सकता है. घाटी में लौटे शिक्षित युवा अपने साथ व्यापार करने का दायरा बढ़ाते हुए ऐसा ज्ञान लेकर आए हैं.

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