पंचानन राय- “हेलो, एसपी महोदय से बात हो रही है?
एसपी-जी सर..
पंचानन राय-मैं पंचानन राय बोल रहा हूं.
एसपी- जयहिंद सर…
पंचानन राय- आपके थाने की पुलिस शिक्षक और आतंकवादी में अन्तर नहीं कर पा रही क्या?
एसपी-सर, सर…
पंचानन राय-आपके दारोगा ने जो एक शिक्षक के साथ दुर्व्यवहार किया है, वह बेहद ही दुर्भाग्यपूर्ण है. उन्होंने पूरे शिक्षकों की गरिमा को आघात पहुंचाने का काम किया है.
एसपी-सर, सर.
पंचानन राय-शाम तक उस दारोगा को सस्पेंड करिये और खुद जाकर उस शिक्षक से आपके दारोगा की गलती के लिए क्षमा मांगिए, अन्यथा कल से पूरे राज्य में प्रदर्शन शुरू करा दूँगा.
एसपी-सर, सर. सर मैं करता हूं.
पंचानन राय-हां ठीक है.”
यह वक्तव्य आजमगढ़ की माटी के लाल पंचानन राय (Panchanan Rai) के थे. पंचानन राय का जन्म 28 नवम्बर, 1942 को आजमगढ़ जनपद के सगड़ी तहसील के भुवना ग्रामसभा में हुआ था.
पंचानन राय का स्वभाव और उनके कुशल व्यक्तित्व का कोई सानी नही था. 1966 में वह टाउन इंटर कॉलेज में अध्यापक नियुक्त हुए थे. उन्होंने देखा कि शिक्षकों से मानदेय पर हस्ताक्षर कराया जा रहा था. उन्हें दिया कुछ और जा रहा था और हस्ताक्षर कुछ और हो रहा था. उन्होंने तुरंत प्रबंधक के विरुद्ध बगावत कर दी. नतीजन, उन्हें बर्खास्त कर दिया गया. इसके तुरंत बाद 1967 में वह मालटारी इंटर कॉलेज में प्रवक्ता पद पर नियुक्त हुए, लेकिन प्रबंधकीय तंत्र से विरोध जारी रहा. उन्होंने शिक्षकों से एकजुट होने का एलान किया, 1968 में आजमगढ़ में सामूहिक रूप से उन्होंने आंदोलन किया था.
वर्ष 1968 में गांधी इंटर कॉलेज मालटारी में शाखा मंत्री से उत्तर प्रदेश माध्यमिक शिक्षक संघ के एक सक्रिय कार्यकर्ता के रूप में संगठन में कार्य करना प्रारंभ किया. सन 1971 में उत्तर प्रदेश माध्यमिक शिक्षक संघ के जिला मंत्री निर्वाचित हुए और शिक्षकों की पीड़ा के लिए वह निरंतर संघर्ष करते रहे. सन 1977 में इनके तेवर और संघर्षों को देखते हुए उत्तर प्रदेश माध्यमिक शिक्षक संघ के तत्कालीन अध्यक्ष आर एन ठकुराई ने इन्हें प्रदेश मंत्री निर्वाचित किया.
इनकी लोकप्रियता से प्रभावित होकर कांग्रेस के कद्दावर नेता रहे कल्पनाथ राय ने पंचानन राय (Panchanan Rai) को आजमगढ़ जनपद की सगड़ी विधानसभा क्षेत्र से प्रत्याशी बनाया एवं पंचानन राय ने उन पर जताए गये भरोसे पर खरा उतरते हुए जीत दर्ज की. वे माध्यमिक शिक्षक संघ के 1982 में प्रादेशीय महामंत्री बनाए गए. प्रादेशिक महामंत्री होने के तुरंत बाद इन्होंने संघर्ष को और तेज किया.
तत्कालीन उत्तर प्रदेश की सरकार शिक्षकों के लिए एक आचार संहिता का प्रस्ताव लाने का प्रयास कर रही थी. उन्होंने उसका विरोध किया जिसके कारण 1985 में कांग्रेस पार्टी ने टिकट नहीं दिया.
◆ वह शिक्षक थे जिनके समर्थन में सरेआम मुख्यमंत्री का पुतला शिक्षकों ने फूंक दिया था.
◆ उन्होंने शिक्षकों को प्रबन्ध तंत्र के शोषण से मुक्त कराया.
◆ उन्होंने शिक्षकों के मान सम्मान की लड़ाई लड़ी.
◆ उन्होंने शिक्षकों एवं वंचितों की आवाज को सदन में बुलन्द किया.
◆ उन्होंने विधायक निधि का बंदरबांट नहीं होने दिया.
◆ उन्होंने चाटुकारों के बजाय धरातल पर कार्य करने वालों को सदैव मान-सम्मान दिया.
◆ विधायी मामले उनको कंठस्थ थे, सदन में उनके प्रश्नों की बौछार से घबड़ाए हुए मंत्री को पीछे कर मुख्यमंत्री स्वयं जवाब देते थे.
सगड़ी विधानसभा क्षेत्र
1980 में पंचानन राय कांग्रेस के टिकट पर चुनाव जीते, लेकिन 1985 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस ने उनको प्रत्याशी नहीं बनाया तो कांग्रेस को हार का मुंह देखना पड़ा और 1985 में रामजन्म यादव दलित मजदूर किसान पार्टी के टिकट पर चुनाव जीते. 1989 में कांग्रेस ने अपना प्रत्याशी पंचानन राय को बनाया और उन्होंने जीत दर्ज करते हुए यह सीट कांग्रेस की झोली में डाल दी. वह सगड़ी विधानसभा क्षेत्र से कांग्रेस के आखिरी विधायक रहे, 1989 के बाद कांग्रेस वहां से जीत नहीं दर्ज कर पाई है. वह 1980,1989 में सगड़ी विधानसभा क्षेत्र से विधायक निर्वाचित हुए थे.
पंचानन राय (Panchanan Rai) 1996 में गोरखपुर फैजाबाद शिक्षक निर्वाचन क्षेत्र से भारी मतों से शिक्षक विधायक निर्वाचित हुए. इसके बाद 2002 में पुन: शिक्षक विधायक निर्वाचित हुए. इनके संघर्षों की बदौलत अध्यापकों के वेतन का भुगतान सुनिश्चित हुआ एवं प्रबंधकों द्वारा किया जा रहा शोषण पूर्ण रूप से समाप्त हुआ, शिक्षक आज भी पंचानन राय को अपना मसीहा मानते हैं.
पांच सितंबर 1998 को सरकार द्वारा इन्हें गिरफ्तार कर विभिन्न धाराओं में जेल भेजने की साजिश की जा रही थी. इसकी भनक लगते ही शिक्षकों ने खुलेआम दिन में ही तत्कालीन मुख्यमंत्री का पुतला फूंका एवं सरकार के विरुद्ध नारा लगाते हुए दिन में ही 19 शिक्षक साथियों ने एक साथ गिरफ्तारी दी.
शिक्षकों को शून्य से शिखर तक की उपलब्धियां अपने संघर्षों की बदौलत अर्जित कराने वाले शिक्षक मसीहा स्वर्गीय पंचानन का शिक्षा जगत में योगदान कभी भुलाया नहीं जा सकता है. उनका संघर्षों भरा जीवन हर किसी के लिए सदा प्रेरणास्रोत रहेगा. उत्तर प्रदेश माध्यमिक शिक्षक संघ के तेज तर्रार महामंत्री,पूर्व विधायक एवं तत्कालीन सदस्य विधान परिषद को क्रूर काल ने शिक्षक दिवस के दिन ही 5 सितंबर 2007 को शिक्षकों के कार्यक्रम से दूसरे में प्रस्थान करते हुए मार्ग दुर्घटना में काल कलवित कर दिया. शिक्षक दिवस के दिन ही उनके निधन ने शिक्षा महकमे समेत पूरे प्रदेश को झकझोर कर रख दिया था.
ये भी पढ़ें : ‘सांसदों के इन गांवों’ की कहानी, जहां हुए दर्जनों प्रशासनिक अधिकारी
पंचानन राय को शिक्षकों के हित के पर्यायवाची के रूप में भी जाना जाता था. वह एक ऐसे योद्धा थे जो शिक्षकों के हित में अंतिम सांस तक कटिबद्धता के साथ समर्पित रहे. उनको शिक्षकों की बड़ी ताकत के तौर पर जाना जाता था. वह संघर्षों के पर्याय कहे जाते थे, जिनकी दहाड़ सुन हुकूमतों की घिग्घी बंध जाती थी. उन्होंने अपने जीवन में चाहे सरकार किसी दल की भी रही हो, कभी शिक्षकों के हितों पर आंच नहीं आने दी. उनके समर्थकों द्वारा चलाया जा रहा पंचानन राय फाउंडेशन आज भी प्रतिभाशाली गरीब छात्रों को छात्रवृत्ति के माध्यम से उनके पढ़ाई में मदद करता है.
दिल्ली हाई कोर्ट ने तृणमूल कांग्रेस के सांसद साकेत गोखले को लक्ष्मी पूरी की याचिका…
यहां हर वर्ष दिसंबर से अप्रैल तक भोलेनाथ बाबा बर्फानी के रूप में विराजमान होते…
भोपाल के मिंडोरा इलाके में एक लावारिस कार में बड़ी मात्रा में नकद और कीमती…
Chaudhary Charan Singh Birth Anniversary: मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने पूर्व प्रधानमंत्री चौधरी चरण सिंह की…
दिल्ली विधानसभा में विपक्ष के नेता विजेंद्र गुप्ता द्वारा दायर याचिका पर दिल्ली हाई कोर्ट…
पीएम मोदी ने आगे कहा कि भाषा एक समय हाशिए पर रहने वाले समुदायों के…