उत्तरप्रदेश के मैनपुरी उपचुनाव को लेकर सियासत जोरों पर चल रही है. एक तरफ समाजवादी पार्टी इस चुनाव को मुलायम सिंह की यादों का चुनाव बता रही है तो वहीं दूसरी तरफ अब चाचा शिवपाल यादव परिवार के साथ खड़े दिख रहे हैं. जिससे परिवार में एक नई एकजुटता दिख रही है. शिवपाल यादव अखिलेश की पत्नी डिंपल यादव के लिए चुनाव प्रचार कर रहे हैं. लेकिन फिर भी इस बार मैनपुरी का चुनाव सपा के लिए आसान नहीं होने वाला है क्योंकि हम पिछले कुछ चुनावों के आंकड़े देखेंगे और समीकरण साधने की कोशिश करेंगे की कैसे ये चुनाव सपा के लिए चुनौती बनने वाला है.
मैनपुरी उपचुनाव दिलचस्प इसलिए है क्योंकि एक तरफ शिवपाल बहू डिंपल यादव के लिए प्रचार करेंगे तो वहीं बीजेपी ने इस सीट से रघुराज सिंह शाक्य को अपना उम्मीदवार बनाया है. जो शिवपाल यादव के करीबी माने जाते है. चलिए अब पिछले कुछ चुनावों का गणित जानने की कोशिश करते हैं.
मैनपुरी सीट पर हमेशा से समाजवादी पार्टी का दबदबा रहा है. क्योंकि इसमें सबसे जरुरी है जसवंतनगर सीट, ये सीट सपा के लिए एक वरदान की तरह क्योंकि इस पर सपा को सबसे ज्यादा वोट मिलते है. और जब इस सीट पर वोटों की गिनती शुरू होती है तो सपा अपने आप आगे निकल जाती है. शुरुआत करते है 2014 से जब मोदी लहर के सहारे प्रचंड बहुमत से केंद्र में सरकार बनाई थी. लेकिन उस समय में भी मुलायम सिंह ने ढ़ाई लाख से ज्यादा वोट के अंतर से जीत हासिल की थी. मुलायम सिंह यादव को 5.95 लाख वोट मिले थे. जबकि बीजेपी के शत्रुघ्न सिंह चौहान को 2,31,252 वोट मिले थे.
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जिसका बाद 2014 में मुलायम सिंह ने अपना इस्तीफा दे दिया था. तब तेज प्रताप सिंह यादव उपचुनाव में सपा के उम्मीदवार बने थे. तब भी उन्होने अपने गढ़ में बीजेपी के उम्मीदवार को बुरी तरह से हरा दिया था. बीजेपी उस समय अपना उम्मीदवार प्रेम सिंह शाक्य को बनाया था. लेकिन वो भी तेज प्रताप सिंह यादव के आगे खड़े भी नहीं हो पाए. तेज प्रताप ने उन्हे 3 लाख से ज्यादा वोटों से हरा दिया था. वो मुलायम सिंह यादव के भतीजे रणवीर सिंह यादव के बेटे हैं.
बता दें कि 2019 वो साल था, जब मैनपुरी सीट पर सपा का किले में एक बड़ी दरार आई थी इस चुनाव में सपा संरक्षक मुलायम सिंह यादव केवल 94,389 वोट के अंतर से चुनाव जीते थे. मुलायम सिंह को 5,24,926 वोट मिले थे तो वहीं बीजेपी उम्मीदवार प्रेम सिंह शाक्य को 4,30,537 वोट मिले थे. बता दें कि इस चुनाव में सपा-बसपा ने मिलके चुनाव लड़ा था, और यही वो समय था जब सपा जीत तो गई लेकिन बहुत कम अंतर से जीती. बीजेपी एक बार अपने प्रदर्शन को दोहराने की कोशिश करेगी. इसलिए उन्होने सपा के वोट बैंक में सेंध लगाने के लिए शिवपाल के करीबी को वहां से उम्मीदवार बनाया है.
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