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मोदी कैबिनेट ने लिए बड़े फैसले, रेल लाइन प्रोजेक्ट, जीरकपुर बाईपास समेत तीन परियोजनाओं को दी मंजूरी

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में बुधवार को हुई केंद्रीय मंत्रिमंडल की बैठक में तीन अहम परियोजनाओं को हरी झंडी दी गई. इनमें जीरकपुर बाईपास का निर्माण, तिरुपति-पाकला-कटपडी सिंगल रेलवे लाइन का दोहरीकरण और प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना के तहत जल प्रबंधन का आधुनिकीकरण शामिल है. इन फैसलों का उद्देश्य यातायात व्यवस्था को सुधारना, जल संसाधनों का प्रभावी उपयोग करना और देश के समग्र आर्थिक विकास को गति देना है.

1. जीरकपुर बाईपास परियोजना को मिली मंजूरी

कैबिनेट ने पंजाब और हरियाणा के बीच बनने वाले जीरकपुर बाईपास के निर्माण को मंजूरी दी है. यह छह लेन का बाईपास होगा, जिसकी कुल लंबाई 19.2 किलोमीटर होगी. यह बाईपास एनएच-7 (जीरकपुर-पटियाला) से शुरू होकर एनएच-5 (जिरकपुर-परवाणू) तक जाएगा.

इस परियोजना की लागत 1,878.31 करोड़ रुपये तय की गई है और यह प्रधानमंत्री गति शक्ति राष्ट्रीय मास्टर प्लान के तहत विकसित की जाएगी. इससे जीरकपुर और पंचकूला जैसे अत्यधिक शहरी और भीड़भाड़ वाले क्षेत्रों में ट्रैफिक का दबाव कम होगा.

बाईपास के बनने से पटियाला, दिल्ली, मोहाली एरोसिटी और हिमाचल प्रदेश के बीच यात्रा करना आसान होगा, जिससे यात्रा समय में कमी आएगी और मुख्य शहरी मार्गों पर ट्रैफिक का सुचारू संचालन सुनिश्चित किया जा सकेगा.

2. तिरुपति-पाकला-कटपडी रेलवे लाइन का दोहरीकरण

कैबिनेट ने आंध्र प्रदेश और तमिलनाडु के बीच की तिरुपति-पाकला-कटपडी सिंगल रेलवे लाइन को डबल ट्रैक में बदलने की मंजूरी दी है. इस परियोजना की लागत 1,332 करोड़ रुपये है.

यह खंड भारतीय रेलवे के व्यस्ततम मार्गों में से एक है. दोहरीकरण से न केवल ट्रेनों की गति बढ़ेगी बल्कि समय की पाबंदी और माल परिवहन में भी सुधार होगा.

इस परियोजना से रेलवे की लाइन क्षमता बढ़ेगी और स्थानीय लोगों के लिए रोजगार व स्वरोजगार के नए अवसर खुलेंगे.

3. जल प्रबंधन परियोजना को 2025-26 तक बढ़ाया गया

प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना के तहत जल प्रबंधन के आधुनिकीकरण को भी कैबिनेट ने मंजूरी दे दी है. यह योजना 2025-26 तक चलेगी और इसकी प्रारंभिक लागत 1,600 करोड़ रुपये निर्धारित की गई है.

इस परियोजना का मकसद मौजूदा सिंचाई नेटवर्क का आधुनिकीकरण करना और किसानों को सूक्ष्म सिंचाई तकनीक मुहैया कराना है. इसमें जल प्रबंधन के लिए SCADA और IoT (Internet of Things) जैसी आधुनिक तकनीकों का इस्तेमाल किया जाएगा.

इससे जल उपयोग की दक्षता बढ़ेगी, कृषि उत्पादन और किसानों की आय में वृद्धि होगी, और जल संसाधनों का संतुलित उपयोग सुनिश्चित किया जा सकेगा.


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-भारत एक्सप्रेस

Prashant Rai

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