केंद्र की मोदी सरकार ने फौरी तौर पर राहत देने वाली 14 दवाओं पर प्रतिबंध लगा दिया है. ये दवाएं दर्द और अन्य बीमारियों में तत्काल आराम देती हैं, लेकिन नुकसान का खतरा बहुत ज्यादा होता है. केंद्र सरकार ने दवाओं को बैन करने का फैसला एक्सपर्ट कमेटी से राय-मशविरा करने के बाद लिया है. एक्सपर्ट कमेटी ने पिछले साल अपनी रिपोर्ट सरकार को सौंपी थी. जिसमें कहा गया था कि इन दवाओं का कोई मतलब नहीं है. ये लोगों के लिए खतरनाक हो सकती हैं.
केंद्र सरकार ने जिन दवाओं को बैन करने का फैसला किया है. उनमें पैरासिटामॉल, निमेसुलाइड जैसी दवाएं भी शामिल हैं. इन दवाओं की एक बड़ी मार्केट है. ये दवाएं दर्द और बुखार में लोग इस्तेमाल करते हैं. जिससे तत्काल राहत मिलती है. सरकार के द्वारा गठित विशेषज्ञ सलाहकार समिति ने अपनी रिपोर्ट सरकार को दी थी. जिसके बाद केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने एक्सपर्ट कमेटी की राय लेने के बाद दवाओं को बैन करने का फैसला सुनाया है.
निमेसुलाइड + पेरासिटामोल
क्लोरफेनिरामाइन + कोडीन सिरप
फोल्कोडाइन + प्रोमेथाजीन
एमोक्सिसिलिन + ब्रोमहेक्सिन
ब्रोमहेक्सिन + डेक्सट्रोमेथॉर्फन + अमोनियम क्लोराइड मेंथॉल
पेरासिटामोल + ब्रोमहेक्सिन फेनिलेफ्राइन + क्लोरफेनिरामाइन + गुइफेनेसिन
सालबुटामॉल + क्लोरफेनिरामाइन
दवाएं खतरनाक
एक्सर्ट कमेटी ने सरकार को बताया कि एफडीसी दवाओं का कोई भी मेडिकल औचित्य नहीं है. साथ ही इंसानों के लिए खतरनाक हो सकती हैं. इसलिए जनहित में 14 एफडीसी के निर्माण, बिक्री,भंडारण और वितरण पर रोक लगाना जरूरी है.
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एफडीसी दवाएं दो या दो से अधिक दवाओं के मिश्रण से तैयार की जाती हैं. इन्हें कॉकटेल दवाएं भी कहा जाता है. साल 2016 में सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर विशेषज्ञों की एक समिति का गठन किया गया था. जिसने कहा था कि इन दवाओं को बिना किसी वैज्ञानिक डेटा के लोगों को बेचा जा रहा है. जिसके बाद सरकार ने 344 ड्रग कॉम्बिनेशन के निर्माण और बिक्री पर रोक लगा दी थी.
-भारत एक्सप्रेस
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