Nayab Saini Haryana New CM: हरियाणा में पिछले काफी समय से सत्ता परिवर्तन को लेकर चल रही अफवाहों पर आज विराम लग गया. सीट बंटवारे को लेकर सहमति नहीं बनने के बाद जजपा ने भाजपा से गठबंधन तोड़ने का फैसला किया. लगे हाथ भाजपा ने भी मनोहर लाल खट्टर की जगह पर नायब सिंह सैनी की ताजपोशी कर दी.
सोमवार को द्वारका एक्सप्रेसवे के उद्घाटन पर पीएम मोदी ने खट्टर की तारीफ में कसीदे पढ़ें तो कई राजनीतिक विश्लेषक हरियाणा में बड़े बदलाव की आहट महसूस करने लगे थे लेकिन उन्हें भी इतनी जल्दी बदलाव का अंदाजा नहीं था. अब सवाल यह है कि लोकसभा चुनाव से ऐन पहले भाजपा ने पंजाबी समुदाय से आने वाले खट्टर का पत्ता काटकर ओबीसी के नायब सैनी को सत्ता क्यों सौंप दी.
1. हरियाणा में जाटों ने भाजपा को 2014 के विधानसभा चुनाव में जमकर समर्थन दिया. इसका परिणाम यह हुआ कि पार्टी ने पहली बार प्रदेश में दो तिहाई बहुमत के साथ सरकार बनाई. लेकिन जाट को सीएम नहीं बनाने और जाट आरक्षण आंदोलन के कारण नाराज जाट 2019 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस और जेजेपी की ओर चले गए. इससे भाजपा की सीटें घटकर 41 रह गई. जेजेपी के साथ रहने भाजपा को कोई फायदा नहीं होने वाला था. ऐसे में गठबंधन का टूटना तय था. लेकिन तारीख और समय सब कुछ भाजपा के हिसाब से ही तय हुआ.
2. हरियाणा की राजनीति में जाटों का काफी वर्चस्व है. राज्य की 90 विधानसभा सीटों में से 40 पर उनका सीधा प्रभाव है. हालांकि 2019 के चुनाव में जाटों के उतने वोट भाजपा को नहीं मिले जितने मिलने चाहिए थे. इसका कारण था 2014 में जाट की जगह पर पंजाबी समुदाय के व्यक्ति को सीएम बनाना. 2016 में जाट आरक्षण आंदोलन के दौरान भी ओबीसी और पंजाबी हिंदुओं की संपत्ति को भारी नुकसान पहुंचा था. ऐसे में जाटों की आक्रमकता से भाजपा का एंटी जाट वोट मजबूत होता गया. यही कारण था कि पार्टी ने जाट नेता ओमप्रकाश धनखड़ को पार्टी के अध्यक्ष पद से हटाकर नायब सैनी को नया अध्यक्ष बना दिया. नायब ओबीसी से आते हैं. ऐसे में पार्टी ओबीसी और बनियों के वोट लेकर लोकसभा और विधानसभा दोनों ही फतह करना चाहती है.
3. हरियाणा में जाट भाजपा से आरक्षण, महिला पहलवानों के मुद्दे को लेकर नाराज है. पार्टी ने जाटों का समर्थन नहीं मिलता देख बड़े जाट नेताओं को साइडलाइन करना शुरू कर दिया. इनमें ओमप्रकाश धनखड़, चौधरी वीरेंद्र सिंह जैसे नेताओं का नाम सबसे आगे हैं. हालांकि जगदीप धनखड़ को वाईस प्रेसिडेंट बनाकर कुछ हद तक जाटों की नाराजगी को दूर करने की कोशिश की है.
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