New Criminal Laws Applicable from Today In India: एक जुलाई यानी सोमवार से देश में तीन नए आपराधिक कानून लागू हो गए हैं. इस तरह से अब अंग्रेजों के समय से चला आ रहा आईपीसी खत्म हो गया है. हालांकि जो मामले एक जुलाई से पहले से दर्ज हैं उनकी जांच और ट्रायल पर नए कानून का कोई असर नहीं होगा. अभी कोर्ट में पुराने मामले पुराने कानून के तहत ही सुने जाएंगे लेकिन एक जुलाई से जो भी मामले दर्ज होंगे, उनको नए कानून के तहत ही दर्ज किया जाएगा.
बता दें कि आज से देश में भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता (BNSS), भारतीय न्याय संहिता (BNS) और भारतीय साक्ष्य अधिनियम (BSA) के तहत जनता को न्याय दिया जाएगा. नए कानूनों में कुछ धाराएं हटा दी गई हैं तो कुछ नई धाराएं जोड़ी गई हैं. कानून में नई धाराएं शामिल होने के बाद पुलिस, वकील और अदालतों के साथ-साथ आम लोगों के कामकाज में भी काफी बदलाव आ जाएगा.
फिलहाल नए कानून को लेकर देश भर के पुलिस थानों से लेकर कोर्ट-कचहरी तक मंथन चल रहा है. क्योंकि आज से दर्ज होने वाले नए मामलों की नए कानून के दायरे में ही जांच और सुनवाई होगी. अदालत, पुलिस और प्रशासन को भी नई धाराओं का अध्ययन करना होगा. लॉ के छात्रों को भी अब नए तरीके से इसका अध्ययन करना होगा.
अब देश में भारतीय न्याय संहिता (BNS) के तहत काम होगा, भारतीय दंड संहिता यानी IPC के तहत नहीं.
कोड ऑफ क्रिमिनल प्रोसीजर (CrPC) अब भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता (BNSS) हो गया है.
इंडियन एविडेंस एक्ट (IEA) अब भारतीय साक्ष्य अधिनियम (BSA) हो गया है.
बता दें कि अब तक इंडियन एविडेंस एक्ट में 167 धाराएं थीं. बता दें कि भारतीय साक्ष्य अधिनियम (BSA) में कुल 170 धाराएं हैं और इस नए कानून में 6 धाराएं निरस्त कर दी गई हैं. इस अधिनियम में दो नई धाराएं और 6 उप धाराएं जोड़ी गई हैं. इसी के साथ ही गवाहों की सुरक्षा के लिए भी प्रावधान किया गया है. दस्तावेजों की तरह इलेक्ट्रॉनिक सबूत भी कोर्ट में मान्य होंगे. इसमें ई-मेल, मोबाइल फोन के साथ ही सोशल मीडिया आदि से मिलने वाले साक्ष्य भी शामिल किए गए हैं.
बता दें कि भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता (BNSS) में कुल 531 धाराएं हैं. इसके अलावा 177 प्रावधानों में संशोधन किया गया है. तो वहीं 14 धाराएं खत्म हटा दी गई हैं. इसी के साथ ही 9 नई धाराएं और कुल 39 उपधाराएं भी जोड़ी गई हैं. अब इसके तहत ट्रायल के दौरान गवाहों के बयान वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए दर्ज हो सकेंगे. यहां पर सबसे बड़ी बात ये बता दें आपको कि 2027 से पहले देश के सारे कोर्ट को कम्प्यूरीकृत करने का लक्ष्य रखा गया है.
चुनावी अपराध- चुनाव से रिलेटेड अपराधों को धारा 169 से 177 तक रखा गया है.
हत्या- हत्या को धारा 101 में रखा गया है. जिस व्यक्ति की मृत्यु कारित करने का आशय था, उससे भिन्न व्यक्ति की मृत्यु करके आपराधिक मानव वध को धारा 102 में रखा गया है तो वहीं हत्या के लिए दंड को धारा 103 (1) में परिभाषित किया गया है. इसी के साथ ही मॉब लिंचिंग को भी अपराध के दायरे में रखा गया है. इन मामलों में 7 साल की कैद, आजीवन कारावास या फांसी का प्रावधान किया गया है. चोट पहुंचाने के अपराधों को धारा 100 से धारा 146 तक की धारा में परिभाषित किया गया है. संगठित अपराधों के मामलों में धारा 111 में सजा का प्रावधान किया गया है.
आंतकवाद के मामलों में टेरर एक्ट को धारा 113 में परिभाषित किया गया है. इसी के साथ ही मानसिक स्वास्थ्य को नुकसान पहुंचाने को क्रूरता माना गया है. इसमें दोषी को 3 साल की सजा का प्रावधान किया गया है.
महिलाओं और बच्चों से जुड़े अपराध- इस मामले को धारा 63 से 99 तक रखा गया है. नाबालिग से रेप या गैंगरेप के मामले में अधिकतम सजा में फांसी का प्रावधान किया गया है. दुष्कृत्य की सजा धारा 64 में स्पष्ट की गई है. अब रेप या बलात्कार के लिए धारा 63 होगी. यौन उत्पीड़न को धारा 74 में परिभाषित किया गया है. सामूहिक बलात्कार या गैंगरेप के लिए धारा 70 है.
बीएनएस में राजद्रोह के मामले में अलग से धारा नहीं है, जबकि आईपीसी में राजद्रोह कानून है. बीएनएस में ऐसे मामलों को धारा 147-158 में परिभाषित किया गया है. इसमें दोषी व्यक्ति को उम्रकैद या फांसी देने का प्रावधान किया गया है.
वैवाहिक बलात्कार के मामले में यदि पत्नी 18 साल से अधिक उम्र की है तो उससे जबरन संबंध बनाना रेप (मैराइटल रेप ) के दायरे में नहीं आएगा. अगर कोई शादी का वादा करके संबंध बनाता है और फिर वादा पूरा नहीं करता है तो इसमें अधिकतम 10 साल की सजा का प्रावधान किया गया है.
दहेज हत्या और दहेज प्रताड़ना को धारा 79 और 84 में रखा गया है. शादी का वादा करके यौन संबंध बनाने के अपराध को रेप से अलग रखा गया है. इसको अलग अपराध के रूप में परिभाषित किया गया है.
भारतीय दंड संहिता (CrPC) में 484 धाराएं थीं तो वहीं नए कानून के तहत भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता (BNSS) में 531 धाराएं हैं. इसमें इलेक्ट्रॉनिक तरीके से ऑडियो-वीडियो के जरिए साक्ष्य जुटाने की भी अहमियत दी गई है.
इसके अलावा कोई भी नागरिक अपराध होने पर किसी भी थाने में जीरो एफआईआर दर्ज करा सकेगा. इसे 15 दिन के अंदर मूल जूरिडिक्शन, यानी जहां अपराध हुआ है, उस क्षेत्र में भेजना होगा.
नए कानून में किसी भी अपराध के लिए अधिकतम सजा काट चुके कैदियों को प्राइवेट बॉन्ड पर रिहा करने की व्यवस्था भी की गई है.
एफआईआर दर्ज होने के 90 दिनों के अंदर आरोप पत्र दायर करना जरूरी होगा. चार्जशीट दाखिल होने के बाद 60 दिन के अंदर अदालत को आरोप तय करने होंगे.
सरकारी अधिकारी या पुलिस अधिकारी के खिलाफ मुकदमा चलाने के लिए संबंधित अथॉरिटी 120 दिनों के अंदर अनुमति देगी. अगर इजाजत नहीं दी गई तो उसे भी सेक्शन माना जाएगा.
हिरासत में लिए गए व्यक्ति के बारे में पुलिस को उसके परिवार को ऑनलाइन, ऑफलाइन सूचना देने के साथ-साथ लिखित जानकारी भी देनी होगी.
महिलाओं के मामलों में पुलिस को थाने में यदि कोई महिला सिपाही है तो उसकी मौजूदगी में पीड़ित महिला का बयान दर्ज कराना होगा.
आपराधित मामले की सुनवाई पूरी होने के 45 दिन के अंदर अदालत को फैसला देना होगा. इसके बाद सात दिनों में फैसले की कॉपी उपलब्ध करानी होगी.
-भारत एक्सप्रेस
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