सांकेतिक फोटो-सोशल मीडिया
New Criminal Laws Applicable from Today: आज से देश में तीन नए लॉ लागू हो गए हैं. नए आपराधिक कानूनों के तहत दिल्ली में पहला मामला दर्ज किया गया है. भारतीय न्याय संहिता, 2023 के तहत पहली एफआईआर दिल्ली के कमला मार्केट थाने में दर्ज की गई है. नई दिल्ली रेलवे स्टेशन के फुटओवर ब्रिज के नीचे बाधा डालने और बिक्री करने के आरोप में एक स्ट्रीट वेंडर के खिलाफ भारतीय न्याय संहिता की धारा 285 के तहत मामला दर्ज किया गया है.
Delhi: First FIR u/s of Bharatiya Nyaya Sanhita, 2023 registered at Kamla Market PS in Delhi. Case registered against a street vendor u/s 285 of Bharatiya Nyaya Sanhita for obstruction under foot over bridge of New Delhi Railway Station and making sales.
— ANI (@ANI) July 1, 2024
बता दें कि आज से पूरे भारत में अंग्रेजों द्वारा बनाए गए तीनों पुराने कानून इंडियन पीनल कोड 1860, क्रिमनल प्रोजीसर कोड (CrPC) 1898, 1973 और इंडियन एवीडेंस एक्ट 1872 कानून खत्म हो गए हैं और देश में तीनों नए आपराधिक कानून भारतीय न्याय संहिता 2023, भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता 2023, और भारतीय साक्ष्य अधिनियम 2023 लागू हो गए हैं.
अब देश में न्याय आधारित कानून
बता दें कि देश में लागू तीन नए क्रिमिनल लॉ अब दंड नहीं बल्कि न्याय पर आधारित हैं. इसको लेकर सरकार के बयान के मुताबिक, यह तीन नए कानून दंड की जगह न्याय पर आधारित है. ये तीनों कानून अंग्रेजों के जमाने के थे. उन्होंने अंग्रेजी शासन को मजबूत करने और उसकी रक्षा करने के लिए बनाए गए थे. उनका मकसद न्याय नहीं दंड देने का था. मगर भारत का लोकतंत्र न्याय की अवधारणा वाला है और इसी के आधार पर आपराधिक न्याय प्रणाली बनाई गई है. इन तीन नए क्रिमिनल लॉ के लागू होने से भारत की आपराधिक न्याय प्रणाली में कई बदलाव आने की उम्मीद है.
जानें क्या हुआ है बदलाव?
पहली सुनवाई के 60 दिनों के अंदर ही आरोप तय किए जाएंगे.
आपराधिक मामलों में सुनवाई खत्म होने के 45 दिनों के अंदर फैसला आएगा.
नाबालिग से रेप के दोषी को उम्र कैद या फांसी होगी.
किसी भी मामले में 3 साल में न्याय दिलाने का उद्देश्य है.
राजद्रोह अब देशद्रोह होगा.
गैंगरेप के दोषी को 20 साल तक की सजा या फिर जिंदा रहने तक जेल की सजा दी जाएगी.
ट्रायल के मामले में किसी भी शख्त को गिरफ्तार करने पर पुलिस को उसके परिवार को जानकारी देनी होगी, जबकि पहले यह जरूरी हुआ करता था.
किसी भी मामले में 90 दिनों में क्या हुआ, इसकी जानकारी पुलिस को पीड़ितों को देना जरूरी होगा.
हत्या की धारा पहले 302 थी लेकिन अब 101 होगी.
आरोपी और पीड़ित दोनों को 14 दिनों के अंदर एफआईआर, पुलिस रिपोर्ट, चार्जशीट की कॉपी पाने का अधिकार अब मिलेगा.
आरोपी अगर 90 दिनों के भीतर कोर्ट के सामने पेश नहीं होता है तो उसकी गैरमौजूदगी में भी ट्रायल होगा.
फैसले के 7 दिन के अंदर सजा सुनानी होगी.
कानून में महिलाओं और बच्चों के खिलाफ अपराधों पर एक नया अध्याय जोड़ा गया है. इसमें बच्चे को खरीदना या बेचना एक जघन्य अपराध माना गया है. इसके लिए कड़ी सजा का प्रावधान किया गया है.
केस खत्म होने के बाद जज को 43 दिन के भीतर फैसला देना होगा.
-भारत एक्सप्रेस